साल 2012 में समाजवादी पार्टी ने जौनपुर की नौ सीटों में से 7 सीटों पर कब्जा जमाया था। लेकिन साल 2017 के चुनाव में उसे बड़ा झटका लगा था। भाजपा ने अपना दल एस के साथ मिलकर पांच सीटों पर कब्जा जमा लिया था। यूपी विधानसभा चुनाव 2022 का बिगुल बज चुका है। जौनपुर जिले में साल 2017 से भी ज्यादा रोचक इस बार का चुनाव माना जा रहा है। मतदाता चुप्पी साधे हुए है, जिससे प्रमुख दल अभी प्रत्याशियों के चयन पर अंतिम निर्णय नहीं ले पाए हैं। हालांकि साल 2012 से लेकर अब तक हुए दो विधानसभा चुनाव के परिणाम को देखें तो जनता ने काफी उलटफेर किया है। पहले समाजवादी पार्टी ने आधी से अधिक सीटें जीत ली थी, लेकिन साल 2017 के चुनाव में उसे बड़ा झटका लगा था। भाजपा ने अपना दल एस के साथ मिलकर पांच सीटों पर कब्जा जमा लिया था।
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साल 2012 में समाजवादी पार्टी ने जनपद की नौ सीटों में से 7 सीटों पर कब्जा जमाया था। उस समय मड़ियाहूं से श्रद्धा यादव, केराकत से गुलाब चंद्र सरोज, जफराबाद से शतींद्रनाथ त्रिपाठी, मल्हनी से पारसनाथ यादव, मछलीशहर से जगदीश सोनकर, शाहगंज से शैलेंद्र यादव ललई, बदलापुर से ओमप्रकाश दुबे बाबा ने जीत दर्ज की थी।सरकार बनने पर पारसनाथ यादव, शैलेंद्र यादव ललई और जगदीश सोनकर मंत्री बनाए गए थे। वहीं लंबे समय से जनपद की एक भी सीट पर जीत न दर्ज कर पाने वाली कांग्रेस की झोली में नदीम जावेद ने सदर सीट डाली थी। जबकि भाजपा सिर्फ मुंगराबादशाहपुर में सीमा द्विवेदी की बदौलत ही जीत पाई थी।
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वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में स्थिति बदली हुई थी। भाजपा व सपा के बीच मतों का जबरदस्त ध्रुवीकरण हुआ। भाजपा ने चार और उसके सहयोगी दल अपना दल (एस) ने एक सीट पर जीत दर्ज की थी। वहीं जातिगत समीकरण के चलते तत्कालीन सपा सरकार के तीनों मंत्री पारसनाथ यादव, शैलेंद्र यादव ललई और जगदीश सोनकर ने अपनी सीट पर फिर जीत हासिल की। बसपा से सुषमा पटेल पहली बार मुंगराबादशाहपुर से विधायक बनीं, जो इस समय सपा में हैं। जबकि सपा से गठबंधन के बाद सदर सीट से उतरे कांग्रेस के निवर्तमान विधायक नदीम जावेद दूसरे स्थान पर रहे। मुस्लिम बहुल इस सीट पर मतों के ध्रुवीकरण से भाजपा के गिरीशचंद्र यादव जीते और सरकार में मंत्री बने थे।
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