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हिंदी सिनेमा को क्यों कहा गया ‘बॉलीवुड’, इतिहास में कब प्रयोग हुआ था यह नाम…

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DESK : हिन्दी सिनेमा, जिसे बॉलीवुड के नाम से भी जानते है,तो वही ये भी कहा सकते की ये हिन्दी भाषा में फ़िल्म बनाने का उद्योग भी है। तो वही बॉलीवुड नाम अंग्रेज़ी सिनेमा उद्योग हॉलीवुड के तर्ज़ पर रखा गया है। हिन्दी फ़िल्म उद्योग मुख्यतः मुम्बई शहर में बसा है। ये फ़िल्में हिन्दुस्तान, पाकिस्तान और विश्व के कई देशों के लोगों के दिलों की धड़कन हैं।

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भारत में सिनेमा की शुरुआत 1895 में लूमियर ब्रदर्स ने पेरिस सैलून सभाभवन में इंजन ट्रेन की पहली फिल्म प्रदर्शित की थी। इन्हीं लूमियर ब्रदर्श ने 7 जुलाई 1896 को बंबई के वाटसन होटल में फिल्म का पहला शो भी दिखाया था। एक रुपया प्रति व्यक्ति प्रवेश शुल्क देकर बंबई के संभ्रात वर्ग ने वाह-वाह और करतल ध्वनि के साथ इसका स्वागत किया। उसी दिन भारतीय सिनेमा का जन्म हुआ था।

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तो वही बात करे हिंदी सिनेमा की शुरुआत की तो वो 1913 से मानी जाती है। तो वही बॉलीवुड की पहली मूक फिल्म राजा हरिश्चंद्र थी। जिसके निर्माता दादासाहेब फाल्के थे। उन्होंने 1913 और 1918 के बीच 23 फिल्मों का निर्माण किया।

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वह लोकप्रिय कला, सार्वभौमिक अपील, परंपरागत कलाओं का एकत्रीकरण, विश्व सभ्यता का बहुमूल्य खजाना, यथार्थ और यथार्थ से परे लेकर जाने के लिए जादू की छड़ी, समय और समय के प्रतिबिंब को अंकीत करने का साधन, अपनी दुनिया का प्रदर्शन करने का तरीका, सबके लिए उपलब्ध सार्वजनिक कला, दुनिया को चौकानेवाली चमत्कारिक कला हैं।

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सिनेमा राष्ट्रीय एकता तथा भावनात्मक एकता को बढ़ाने में सहायक सिद्ध होते हैं। सभी देशों की फिल्मों के आदान-प्रदान और प्रदर्शन विश्व मानव की समस्या से परिचित होकर समृद्धि और शांति का मार्ग ढूँढ़ते हैं। इन फिल्मों के माध्यम से कला, अभिनय, संगीत, विज्ञान आदि की शिक्षा भी प्रभावी रूप में दी जा सकती है।

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