अहमदाबाद में पाकिस्तान से आए 195 प्रवासियों को भारतीय नागरिकता प्रमाणपत्र दिए गए, जिनमें 122 को CAA के तहत लाभ मिला; हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन समुदाय के शरणार्थियों ने दशकों पुरा इंतज़ार खत्म होने की भावुक कहानियां साझा कीं।
गुजरात में पाकिस्तान से आए 195 शरणार्थी बने भारतीय: हरष संघवी ने कहा – “अब आप भारत के नागरिक हैं”
भारतीय नागरिकता प्रमाणपत्र बांटे गए: पाकिस्तान से आए 195 प्रवासी अब बने “भारतीय”
अहमदाबाद में आयोजित एक खास कार्यक्रम में पाकिस्तान से आए 195 प्रवासियों को आधिकारिक रूप से भारतीय नागरिकता प्रमाणपत्र सौंपे गए, जिनमें से 122 लोगों को सीधे नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के तहत लाभ मिला। बाकी 73 लोगों को नागरिकता उन पुराने आवेदनों के आधार पर दी गई जो उन्होंने अहमदाबाद जिला कलेक्टर कार्यालय के माध्यम से नियमित प्रक्रिया से किए थे। यह कार्यक्रम न केवल कानूनी प्रक्रिया का पड़ाव था, बल्कि उन परिवारों के लिए भावनात्मक मुकाम भी, जो दशकों से भारत में शरण लेकर स्थायी पहचान का इंतज़ार कर रहे थे।
राज्य के उपमुख्यमंत्री हर्ष संघवी ने मंच से घोषणा की कि यह दिन उन सैकड़ों शरणार्थियों के लिए “नई जिंदगी की शुरुआत” जैसा है, जिन्होंने पाकिस्तान और पड़ोसी देशों में धार्मिक अल्पसंख्यक होने के कारण भय और असुरक्षा का सामना किया। कार्यक्रम में मौजूद लाभार्थी हिंदू, सिख, बौद्ध और जैन समुदाय से थे, जो पिछले कई दशकों में धीरे‑धीरे पाकिस्तान से गुजरात के अलग‑अलग हिस्सों में आकर बसे थे और लंबे समय से भारतीय नागरिकता की औपचारिक मान्यता का इंतज़ार कर रहे थे।
CAA के तहत कितनों को लाभ और कैसे?
कार्यक्रम में कुल 195 लोगों को नागरिकता प्रमाणपत्र दिए गए, जिनमें से 122 को सीधे CAA के प्रावधानों के तहत नागरिकता प्राप्त हुई। शेष 73 लोगों को नागरिकता उन आवेदनों के आधार पर दी गई जो उन्होंने वर्षों पहले जिला प्रशासन के पास जमा करवाए थे और जो अब मंजूर होकर सर्टिफिकेट के रूप में उन्हें सौंपे गए। अधिकारियों के मुताबिक, इन 73 मामलों में संबंधित लोग नागरिकता अधिनियम की सामान्य धाराओं के तहत योग्य पाए गए थे, लेकिन औपचारिकता पूरी होने में लंबा समय लग गया।
हर्ष संघवी ने अपने संबोधन में साफ कहा कि पाकिस्तान और अन्य पड़ोसी देशों में रहने वाले गैर‑मुस्लिम अल्पसंख्यकों को वर्षों तक गंभीर चुनौतियों और सुरक्षा संबंधी खतरों का सामना करना पड़ा है, इसलिए CAA के नियमों में संशोधन करके ऐसे शरणार्थियों को भारत में बराबरी की पहचान देने की कोशिश की गई है। उनके अनुसार, इन संशोधित नियमों ने उन परिवारों को राहत दी है जो दशकों से यहां रहकर भी कागजों में “विदेशी” माने जाते थे और जिनके पास वोट, पासपोर्ट, सरकारी योजनाओं और औपचारिक रोजगार जैसे अधिकार नहीं थे।
“मुस्कुराइए, आप अब भारत के नागरिक हैं”: मंच से दिया संदेश
कार्यक्रम के दौरान हर्ष संघवी ने मंच से लाभार्थियों की ओर देखते हुए कहा कि अब उन्हें खुद को शरणार्थी नहीं, बल्कि भारत के नागरिक के रूप में देखना चाहिए। उन्होंने बताया कि समारोह में मौजूद कई वरिष्ठ नागरिक ऐसे थे जिन्होंने डॉक्टर, शिक्षक या अन्य प्रोफेशन में रहकर वर्षों तक समाज की सेवा की, लेकिन नागरिकता न होने के कारण हमेशा एक अनिश्चितता और डर में जीते रहे।
समारोह में उपस्थित कई लाभार्थियों ने मंच पर आकर अपना अनुभव साझा किया। कुछ ने बताया कि बिना नागरिकता प्रमाणपत्र के वे न तो पासपोर्ट बनवा पा रहे थे, न ही सरकारी नौकरियों और योजनाओं का पूरा लाभ ले पा रहे थे, जबकि उनकी अगली पीढ़ी यहां ही पढ़‑लिख कर बड़ी हुई है और खुद को पूरी तरह भारतीय मानती है।
डॉक्टर महेशकुमार पुरोहित की 69 साल लंबी यात्रा
इस कार्यक्रम की सबसे भावुक कहानियों में से एक थी डॉ महेशकुमार पुरोहित की, जो मूल रूप से पाकिस्तान से हैं और 1956 में भारत आकर बस गए थे। पेशे से स्त्रीरोग विशेषज्ञ डॉ पुरोहित ने दशकों तक भारत में डॉक्टर के रूप में काम किया, लेकिन उन्हें कई सालों तक यह पता ही नहीं चला कि उनके पास कानूनी रूप से भारतीय नागरिकता की मान्यता नहीं है।
रिपोर्टों के अनुसार, उन्हें यह सच तब पता चला जब उन्होंने विदेश यात्रा के लिए पासपोर्ट बनवाने की कोशिश की, तब दस्तावेजों की जांच में सामने आया कि उनके नागरिकता कागज पूरे नहीं हैं। इसके बाद उन्होंने कई बार प्रयास करके कानूनी प्रक्रिया पूरी की और अंततः अप्रैल 2025 में CAA के तहत उन्हें आधिकारिक नागरिकता मिली, जिसके बाद वे पासपोर्ट बनवाकर अपनी विदेश में रहने वाली बेटी से मिलने जा सके। डॉ पुरोहित ने इसे अपने जीवन का “बहुत लंबे इंतजार के बाद आया बेहद भावुक पल” बताया, क्योंकि अब उन्हें खुद को आधिकारिक रूप से उसी देश का नागरिक मानने का अधिकार मिला जहां उन्होंने पूरी उम्र सेवा की।
इसी तरह, इंजीनियर पूजा अभिमन्यु ने भी कहा कि उनके लिए यह प्रमाणपत्र केवल एक कागज़ नहीं, बल्कि पहचान, सम्मान और सुरक्षा की भावना का प्रतीक है, जो उन्हें और उनके परिवार को अब महसूस हो रही है। कई अन्य लाभार्थियों ने भी साझा किया कि वे सालों से विभिन्न दफ्तरों के चक्कर काटते रहे और अब जाकर उन्हें ऐसा लग रहा है कि उनकी लंबी जद्दोजहद को औपचारिक मान्यता मिली है।
समुदाय, संख्या और प्रशासनिक प्रक्रिया
आधिकारिक जानकारी के अनुसार, इस कार्यक्रम में जिन 195 लोगों को नागरिकता मिली, वे सभी पाकिस्तान से आए थे और हिंदू, सिख, बौद्ध और जैन समुदायों से संबंधित हैं। ये लोग अलग‑अलग वर्षों में, खासकर 1950 के दशक के बाद, भारत आए और गुजरात के अहमदाबाद सहित विभिन्न जिलों में शरणार्थी के रूप में बस गए थे।
अहमदाबाद जिला प्रशासन 2017 से ऐसे पात्र आवेदकों को नागरिकता प्रमाणपत्र जारी कर रहा है, लेकिन CAA लागू होने और नियमों में संशोधन के बाद प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ी है। अधिकारियों ने बताया कि जिला कलेक्टर कार्यालय के माध्यम से जमा किए गए पुराने मामलों की समीक्षा करने के बाद इस शिविर में 73 लंबित आवेदनों को निपटाया गया, जबकि 122 नए मामलों को CAA के प्रावधानों के तहत स्वीकृति मिली।
CAA के व्यापक संदर्भ में यह वितरण
नागरिकता संशोधन अधिनियम का उद्देश्य उन गैर‑मुस्लिम अल्पसंख्यकों को तेज़ी से भारतीय नागरिकता देना है जो पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से धार्मिक उत्पीड़न या असुरक्षा के कारण 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए थे। गुजरात सहित कई राज्यों में इस कानून के तहत नागरिकता देने की प्रक्रिया चरणबद्ध तरीके से चल रही है, जिसके तहत पहले भी राजकोट, कच्छ और अन्य जिलों में पाकिस्तानी मूल के सैकड़ों शरणार्थियों को नागरिकता प्रमाणपत्र दिए जा चुके हैं।
विशेषज्ञ मानते हैं कि इस तरह के शिविर उन परिवारों के लिए महत्वपूर्ण हैं जो कई पीढ़ियों से भारत में रह रहे हैं लेकिन नागरिकता दस्तावेज पूरे न होने के कारण वोटिंग, उच्च शिक्षा, सरकारी नौकरियों और अंतरराष्ट्रीय यात्रा के अधिकारों से वंचित रह जाते हैं। नई नागरिकता मिलने के साथ अब वे न केवल आधिकारिक रूप से भारतीय कहलाते हैं, बल्कि विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं, बैंकिंग सुविधाओं और कानूनी सुरक्षा का भी लाभ उठा सकेंगे।
5 FAQs (Hindi)
- इस कार्यक्रम में कुल कितने लोगों को भारतीय नागरिकता दी गई?
कुल 195 प्रवासियों को भारतीय नागरिकता प्रमाणपत्र दिए गए, जो सभी पाकिस्तान से आए थे। - इनमें से कितने लोगों को CAA के तहत नागरिकता मिली?
195 में से 122 लोगों को सीधे नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के तहत नागरिकता दी गई। - बाकी 73 लोगों को किस आधार पर नागरिकता दी गई?
शेष 73 लोगों को वे नागरिकता प्रमाणपत्र दिए गए जिनके आवेदन अहमदाबाद जिला कलेक्टर कार्यालय में पहले से लंबित थे और अब नियमित प्रक्रिया के तहत मंजूर हुए। - डॉ महेशकुमार पुरोहित का मामला क्यों चर्चा में रहा?
वे 1956 में भारत आए थे, दशकों से डॉक्टर के रूप में काम कर रहे थे, लेकिन पासपोर्ट बनवाते समय पता चला कि उनकी नागरिकता पूरी नहीं है; आखिरकार अप्रैल 2025 में CAA के तहत नागरिकता और पासपोर्ट मिलने के बाद वे अपनी विदेश में रहने वाली बेटी से मिल सके। - CAA के तहत किन समुदायों को लाभ मिलता है और इस शिविर में कौन‑कौन शामिल थे?
CAA में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के शरणार्थियों को प्राथमिकता दी गई है; इस शिविर में पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध और जैन समुदाय के 195 लोगों को नागरिकता दी गई।
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