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“सॉफ्ट पोर्न बन रहा था”: रवि किशन

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डिजिटल दुनिया में सरकार का बड़ा कदम

भारत के एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में हड़कंप मचा देने वाले एक बड़े फैसले में, सूचना और प्रसारण मंत्रालय (Ministry of I&B) ने हाल ही में 25 OTT (ओवर-द-टॉप) प्लेटफॉर्म्स पर बैन लगा दिया है। इन पर आरोप था कि ये अश्लील, भड़काऊ और सामाजिक रूप से नुकसानदायक कंटेंट दिखा रहे थे।

इस बैन के समर्थन में सामने आए हैं रवि किशन, जो न सिर्फ एक जाने-माने अभिनेता हैं, बल्कि गोरखपुर से बीजेपी सांसद भी हैं। उनका बयान –

सॉफ्ट पोर्न बन रहा था, हमारे संस्कार बर्बाद हो रहे थे
सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया और इसके बाद देशभर में आर्टिस्टिक फ्रीडम बनाम सेंसरशिप को लेकर एक नई बहस शुरू हो गई।

आइए जानते हैं इस बैन की पूरी कहानी, रवि किशन का नजरिया, जनता की राय और इसका एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री पर क्या असर पड़ सकता है।


क्या था बैन का कारण?

24 जुलाई 2025 को भारत सरकार ने आधिकारिक रूप से 25 OTT प्लेटफॉर्म्स को बैन कर दिया। जिन मुख्य वजहों का हवाला दिया गया, वे थीं:

  • उम्र की पुष्टि के बिना एडल्ट कंटेंट दिखाना
  • ‘रीयलिस्टिक स्टोरीटेलिंग’ के नाम पर यौन दृश्यों की भरमार
  • महिलाओं, बच्चों और हाशिए के समुदायों को घटिया तरीके से पेश करना
  • कंटेंट क्लासिफिकेशन के सरकारी नियमों का उल्लंघन करना

सूचना मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, इन प्लेटफॉर्म्स को पहले कई बार चेतावनी दी गई थी और सुधारने का मौका भी दिया गया, लेकिन जब कोई सुधार नहीं हुआ, तो सरकार ने ये कड़ा कदम उठाया।


रवि किशन का रिएक्शन: “बहुत पहले हो जाना चाहिए था”

रवि किशन काफी समय से ये कहते आ रहे थे कि डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर नैतिकता गिरती जा रही है। इस बैन पर उन्होंने कहा:

“ये कंटेंट अब ऐसा हो गया था कि कोई परिवार साथ बैठकर नहीं देख सकता था। सॉफ्ट पोर्न बन रहा था, और हमारी संस्कृति पर हमला हो रहा था। सरकार का ये फैसला जरूरी था, मैं इसका स्वागत करता हूं।”

उन्होंने ये भी कहा कि रचनात्मक आज़ादी जरूरी है, लेकिन

“आज़ादी का मतलब नग्नता, अश्लीलता और संस्कृति का अपमान नहीं होता।”

रवि किशन न सिर्फ भोजपुरी फिल्मों के सुपरस्टार हैं, बल्कि संसद में सांस्कृतिक मुद्दों को बेबाकी से उठाने के लिए भी जाने जाते हैं। उन्होंने पहले भी OTT पर सेंसरशिप या कंटेंट मॉडरेशन की मांग की थी।


किन प्लेटफॉर्म्स पर पड़ा असर? ULLU का नाम सबसे ऊपर

सरकारी सूत्रों के मुताबिक, ज़्यादातर बैन किए गए OTT प्लेटफॉर्म्स छोटे या अनजाने ऐप्स थे जो बिना किसी निगरानी के चल रहे थे

इनमें सबसे ज्यादा चर्चा में रहा ULLU ऐप, जो अपने एडल्ट वेब सीरीज़ के लिए बदनाम है। इस पर एक शो में अजाज़ खान (विवादास्पद एक्टर) नजर आए थे, जिसे अधिकारियों ने उदाहरण के तौर पर पेश किया कि कैसे OTT प्लेटफॉर्म्स सॉफ्ट पोर्न फैक्ट्री बन चुके हैं।

इन सीरीज़ में न सिर्फ ग्राफिक और भड़काऊ सीन होते थे, बल्कि इनमें उम्र की कोई पाबंदी भी नहीं थी। ULLU और ऐसे दूसरे प्लेटफॉर्म दावा करते हैं कि वे “बोल्ड और रीयल” कंटेंट दिखा रहे हैं, लेकिन आलोचक कहते हैं कि यह मर्यादा की सभी सीमाएं पार करता है


जनता की राय: बंटा हुआ देश

इस फैसले के बाद सोशल मीडिया और आम लोगों की राय दो हिस्सों में बंट गई:

बैन के समर्थकों का कहना है:

  • “डिजिटल दुनिया को साफ करने का ये बहुत जरूरी कदम था।”
  • “ऐसा कंटेंट युवाओं के दिमाग पर बुरा असर डाल रहा था।”
  • “OTT पोर्न हब बन चुके थे, बस कहानी के नाम पर अश्लीलता परोस रहे थे।”
  • “अगर सेंसर नहीं होगा, तो कुछ भी चल जाएगा। ये भारत जैसे देश के लिए खतरनाक है।”

आलोचकों की राय:

  • “ये तो अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला है।”
  • “सिर्फ छोटे प्लेटफॉर्म्स को क्यों निशाना बनाया? बड़े ब्रांड्स का क्या?”
  • “किसे तय करने का हक है कि क्या अश्लील है? अब हर बोल्ड कंटेंट बैन होगा क्या?”
  • “ये तो धीरे-धीरे संस्कृति के नाम पर नैतिक पुलिसिंग बन जाएगी।”

कोरोना के बाद कैसे फैला OTT का बोल्ड ट्रेंड?

कोरोना काल में जब सिनेमाघर बंद थे, तब लोगों का रुझान तेजी से OTT की तरफ बढ़ा। Netflix, Amazon Prime, ALTBalaji, ULLU जैसे प्लेटफॉर्म्स ने लाखों दर्शकों को जोड़ लिया।

इस मौके का फायदा उठाते हुए छोटे OTT प्लेटफॉर्म्स ने “बोल्ड” और एडल्ट कंटेंट बनाना शुरू किया। कम बजट, नए चेहरे और ज्यादा बोल्ड सीन के दम पर ये शो टीयर-2 और टीयर-3 शहरों में हिट हो गए, जहां पहले इस तरह का कंटेंट आसानी से नहीं मिलता था।

बड़े प्लेटफॉर्म्स ने जहां कंटेंट रेटिंग्स और गाइडलाइंस का पालन किया, वहीं छोटे ऐप्स ने इन बातों को नजरअंदाज कर दिया


रवि किशन: “संस्कृति का मतलब कट्टरता नहीं है”

रवि किशन ने एक इंटरव्यू में कहा:

“संस्कृति का मतलब ये नहीं कि आप कट्टर हो जाओ। इसका मतलब है गरिमा, सम्मान और मूल्य। नग्नता और सेक्स सीन दिखाना अगर रीयलिज़्म कहलाए, तो वो संस्कृति नहीं है।”

उन्होंने फिल्मों की तरह OTT पर भी CBFC जैसी सख्त गाइडलाइंस लागू करने की मांग की।

“सिर्फ इसलिए कि कुछ ऑनलाइन है, इसका मतलब ये नहीं कि उसे नियमों से छूट मिल जाए। आजकल बच्चे भी बिना कुछ समझे ऐसे शो देख रहे हैं। हमें उनकी सुरक्षा करनी चाहिए।”


कानून और नियम क्या कहते हैं?

OTT को रेगुलेट करने की चर्चा 2021 के IT नियमों के साथ शुरू हुई थी। इसके तहत सभी डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को:

  • कंटेंट को 5 आयु-आधारित कैटेगरी में बांटना (U, 7+, 13+, 16+, A)
  • कंटेंट एडवाइजरी देना
  • शिकायत निवारण अधिकारी रखना
  • तीन-स्तरीय शिकायत समाधान व्यवस्था अपनानी थी

लेकिन छोटे और अनजाने प्लेटफॉर्म्स ने इन नियमों को या तो अपनाया ही नहीं या सही से लागू नहीं किया। यही वजह है कि सरकार अब सख्ती कर रही है।


आगे क्या हो सकता है?

इस बैन के बाद भारत की OTT दुनिया में कई बदलाव आ सकते हैं:

  • कंटेंट मॉनिटरिंग कड़ी होगी: अब शायद हर प्लेटफॉर्म को खुद की सेंसर टीम बनानी पड़े
  • सरकारी निगरानी बढ़ेगी: लाइसेंस सिस्टम या कंटेंट सर्टिफिकेशन अनिवार्य किया जा सकता है
  • बड़े ब्रांड्स भी खुद को बदलेंगे: Netflix, Amazon वगैरह अब पहले से ज्यादा सतर्क हो सकते हैं
  • नई कहानियों की शुरुआत: शायद अब लेखक ऐसी कहानियों पर काम करेंगे जो बोल्ड तो हों लेकिन अश्लील न हों
  • कानूनी लड़ाइयाँ: कुछ कंपनियां अदालतों में सरकार के खिलाफ अपील कर सकती हैं

फिल्म इंडस्ट्री की प्रतिक्रिया

OTT इंडस्ट्री से जुड़े कई डायरेक्टर और कलाकारों ने इस बैन पर सवाल उठाए हैं:

एक वेब सीरीज़ डायरेक्टर ने कहा:

“हां, कुछ कंटेंट वाकई घटिया था, लेकिन पूरे प्लेटफॉर्म्स को बैन करना कुछ ज्यादा सख्त कदम लगता है।”

एक्ट्रेस रिद्धि डोगरा ने ट्वीट किया:

“डर है कि कहीं अब हर बोल्ड कंटेंट को अश्लील करार न दे दिया जाए।”

हालांकि कुछ लोग ये भी मानते हैं कि इंडस्ट्री में कुछ हद तक साफ-सफाई ज़रूरी थी, खासकर जब कई प्लेटफॉर्म्स बिना किसी नियम के मनमानी कर रहे थे।


कला और अश्लीलता के बीच की रेखा

रवि किशन के बयानों ने एक लंबे समय से चले आ रहे कल्चरल डिबेट को फिर से हवा दी है। उनका कथन –

“सॉफ्ट पोर्न बन रहा था”
उन लोगों की सोच को दर्शाता है जो मानते हैं कि डिजिटल युग में भारत की संस्कृति की सीमाएं पार हो रही हैं।

अब सबसे बड़ा सवाल यही है –
रीयलिज़्म और भोंडापन, बोल्डनेस और अश्लीलता, आज़ादी और गैर-जिम्मेदारी के बीच की रेखा कौन खींचेगा?

ये पूरा मामला अब भारत की OTT इंडस्ट्री के लिए एक टर्निंग पॉइंट बन सकता है। जहां प्लेटफॉर्म्स और सरकार दोनों को अपनी ज़िम्मेदारी फिर से तय करनी पड़ेगी।


यह एक चेतावनी है

25 OTT प्लेटफॉर्म्स पर बैन और रवि किशन की तीखी प्रतिक्रिया सिर्फ एक खबर नहीं, बल्कि ये बताती है कि आधुनिक एंटरटेनमेंट और पारंपरिक भारतीय मूल्यों में टकराव तेज होता जा रहा है।

कोई इसे सेंसरशिप कहे या संस्कृति की रक्षा – एक बात तो तय है:

OTT का खेल अब बदल चुका है।
प्लेटफॉर्म्स को खुद को सुधारना होगा, नियमों को अपनाना होगा – नहीं तो नतीजे भुगतने होंगे।

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