बिजनौर (यूपी) । अक्सर फिल्मों में बिछड़े लोग सालों बाद मिलते हुए दिखाई देते हैं, लेकिन असल ज़िंदगी में ऐसी घटनाएं बेहद कम होती हैं। ऐसी ही एक सच्ची कहानी सामने आई है, जहां 69 वर्षीय बालेश देवी उर्फ मुन्नी करीब 60 वर्षों बाद अपने परिवार से दोबारा मिलीं। इस भावुक मुलाकात के दौरान गांव में खुशी की लहर दौड़ गई और परिजनों ने फूल-मालाओं व आतिशबाजी से बालेश देवी का भव्य स्वागत किया।बालेश ने भावुक होकर बताया कि वह वर्षों बाद अपने भाई की कलाई पर राखी बांधी।
जनपद बिजनौर के गांव कंभौर निवासी भगवान सिंह वर्षो पहले परिवार के साथ गंगा स्नान मेले के लिए गए थे और साथ में वह अपनी 9 वर्षीय पुत्री बालेश को भी ले गए थे, जहां वह भीड़ में बिछड़ गई। परिजनों और ग्रामीणों ने वर्षों तलाश की, लेकिन नाकाम रहे और उम्मीद भी खत्म हो गई।
पोते प्रशांत ने दादी की कहानी सुनकर ठान लिया था कि वह उन्हें परिवार से मिलवाएंगे। 1 अगस्त को मां से अनुमति लेकर वह फर्रुखाबाद से बिजनौर के लिए रवाना हुए और जानकारी जुटाते हुए 3 अगस्त को कंभौर पहुंचे।
प्रशांत ने अपनी दादी के बारे में जगदीश के परिवार को बताया कि उनकी दादी रेशमा देवी असल में बालेश देवी हैं, जो मेले में परिवार से बिछड़ गई थीं।
बालेश के भाई जगदीश को जब यह खबर मिली तो वे भावुक हो उठे। 4 अगस्त को भाई जगदीश, भतीजे नरेश, नरपाल और पोते सतेंद्र, अंकित के साथ फर्रुखाबाद पहुंचे और बालेश को घर लाए। 5 अगस्त को गांव पहुंचने पर परिजनों और ग्रामीणों ने उनका फूल माला और आतिशबाजी कर जोरदार स्वागत किया।
बालेश ने बताया कि मेले में एक महिला उन्हें अपने साथ ले गई और रिश्तेदार ललई सिंह व डालकुंवर देवी को सौंप दिया, जिनके कोई संतान नहीं थी। उन्होंने ही उनका पालन-पोषण किया और 15 वर्ष की उम्र में सिरोली गांव में विवाह कर दिया। अब बालेश के तीन बेटे और दो बेटियां हैं। उन्होंने कहा कि परिवार से मिलना उनके जीवन का सबसे बड़ा सुख है।वह वर्षों बाद अपने भाई की कलाई पर राखी बांधी।
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