भारत में सेमीकंडक्टर और चिप मैन्युफैक्चरिंग का तेजी से विकास, सरकारी नीतियाँ, तकनीकी उन्नति और उद्योग के भविष्य पर विस्तार से जानकारी।
सेमीकंडक्टर और चिप मैन्युफैक्चरिंग भारत में: संभावनाएँ, चुनौतियाँ और भविष्य
सेमीकंडक्टर चिप्स आधुनिक डिजिटल युग के आधार स्तंभ हैं, जो स्मार्टफोन, कंप्यूटर, ऑटोमोबाइल, चिकित्सा उपकरण, और अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स का कामकाज संभव बनाते हैं। पिछले कुछ दशकों में दुनिया भर में सेमीकंडक्टर उद्योग ने अभूतपूर्व विकास किया है, लेकिन भारत में इस क्षेत्र का विकास अब धीमी गति से तेजी पकड़ रहा है। भारत सरकार की “मेक इन इंडिया” पहल और सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने वाली नीतियों के कारण यह क्षेत्र अब एक नया विस्तार पंख फैलाने लगा है।
सेमीकंडक्टर का महत्व और उसकी जरूरत
सेमीकंडक्टर पदार्थ ऐसे पदार्थ होते हैं जो विद्युत का आंशिक संचालन करते हैं। इनसे सेमीकंडक्टर चिप्स, जिन्हें geïntegreerde circuits (ICs) भी कहते हैं, बनाए जाते हैं। ये चिप्स डिजिटल दुनिया के मस्तिष्क की तरह कार्य करते हैं। इनके बिना कंप्यूटर, मोबाइल, ऑटो, एयरक्राफ्ट, स्मार्ट होम, रोबोटिक्स, और 5जी नेटवर्क जैसी तकनीकें संभव नहीं हैं।
विश्व स्तर पर चीन, ताइवान, दक्षिण कोरिया, अमेरिका जैसे देश सेमीकंडक्टर निर्माण में अग्रणी हैं। भारत अभी मुख्य रूप से सेमीकंडक्टर डिजाइन, रिसर्च और कुछ असेंबली में सीमित है।
भारत में सेमीकंडक्टर उद्योग की वर्तमान स्थिति
भारत का सेमीकंडक्टर मार्केट वर्ष 2025 तक लगभग $50 बिलियन तक पहुँचने का अनुमान है, जो इलेक्ट्रॉनिक्स और कनेक्टेड डिवाइसेस की बढ़ती मांग से प्रेरित है। मात्र कुछ कंपनियां और स्टार्टअप्स डिजाइनिंग और असेंबली में सक्रिय हैं, लेकिन मैन्युफैक्चरिंग के लिए आवश्यक फाउंड्रीज़ (fabs) का अभाव है।
अभी तक भारत में सेमीकंडक्टर फाउंड्री की कमी के कारण देश को टेढ़ी चिप समस्या का सामना करना पड़ा है, जैसा 2020 और 2021 के दौरान विश्वव्यापी चिप से जुड़ी आपूर्ति संकट में देखा गया।
सरकार की पहलें और प्रोत्साहन
सरकार ने सितंबर 2021 में सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले फाउंड्रीज के लिए एक विशेष PLI (Production Linked Incentive) योजना घोषित की है, जिसके अंतर्गत कंपनियों को निवेश पर भारी प्रोत्साहन दिया जाएगा। इस योजना के तहत लगभग 76,000 करोड़ रुपये की मदद दी जाएगी ताकि नई उत्पादन इकाइयां लगाई जा सकें।
इसे पूरा करने के लिए कई तकनीकी भागीदारी, निवेश और यूनिवर्सिटी-इंडस्ट्री कोलैबोरेशन को बढ़ावा दिया जा रहा है। भारत विभिन्न ग्लोबल सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरर्स के साथ भागीदारी कर रहा है ताकि नवाचार और उत्पादन क्षमता बढ़ाई जा सके।
तकनीकी चुनौतियाँ और समाधान
- उच्च तकनीकी उपकरणों की जरूरत: सेमीकंडक्टर फाउंड्री सेटअप के लिए हैवी मशीनरी, क्लीन रूम तकनीकी, और विशिष्ट सामग्री की आवश्यकता होती है।
- विशेषज्ञता की कमी: विशेषज्ञ इंजीनियरों और तकनीकी कर्मियों की कमी हैं, जिसे बढ़ाने के लिए शिक्षा और प्रशिक्षण में निवेश हो रहा है।
- लॉजिस्टिक्स और सप्लाई चेन: वैश्विक सप्लाई चेन बाधाओं को कम करने के लिए भारत स्थानीय संसाधनों पर अधिक निर्भर होने की योजना बना रहा है।
भारत में सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग के भविष्य की संभावनाएँ
- भविष्य में भारत डिजिटल इकोनॉमी का नेतृत्व कर सकता है, अगर तकनीकी विकास और उत्पादन को प्रोत्साहित किया जाए।
- इलेक्ट्रिक वाहन और स्मार्ट डिवाइसों के बढ़ते उपयोग के कारण घरेलू चिप मैन्युफैक्चरिंग का विस्तार होगा।
- वैश्विक कंपनियाँ भारत के युवाओं और टेक्नोलॉजी बुनियादी ढांचे का उपयोग कर उभरते बाजार से लाभ उठाना चाहेंगी।
भारत में सेमीकंडक्टर और चिप मैन्युफैक्चरिंग को लेकर हाल के वर्षों में जो राजनैतिक, आर्थिक और तकनीकी प्रयास हुए हैं, वे इस क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव ला रहे हैं। भविष्य में भारत को इस अत्याधुनिक उद्योग में आत्मनिर्भर और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अग्रणी देश बनने की मजबूत संभावना है।
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