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ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट: ₹72,000 करोड़ की लागत, कांग्रेस ने जताई पर्यावरणीय चिंता

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Great Nicobar Project India
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1982 में शुरू हुआ ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट, ₹72,000 करोड़ की लागत के साथ भारत के हिंद-प्रशांत रणनीति का हिस्सा है, लेकिन कांग्रेस ने पर्यावरण और आदिवासी अधिकारों को लेकर चिंता जताई है।

ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट: भारत का रणनीतिक इंफ्रा बंपर और पर्यावरणीय विवाद

नीति आयोग के तहत 2021 में प्रस्तावित ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के दक्षिणी भाग में भारत के रणनीतिक हितों को मजबूत करने के उद्देश्य से शुरू किया गया एक विशाल इंफ्रास्ट्रक्चर विकास योजना है। इस परियोजना का बजट लगभग ₹72,000 करोड़ है और इसे पूरा करने की समय सीमा 30 वर्ष निर्धारित है।

प्रोजेक्ट का महत्व और उद्देश्य

  • रणनीतिक स्थिति: निकोबार द्वीप एशिया और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत के नौसैनिक और व्यापारिक हितों के लिए किफायती और महत्वपूर्ण स्थान है।
  • विकास के आयाम: अंतरराष्ट्रीय कंटेनर टर्मिनल, इंटरनेशनल एयरपोर्ट, और 3-4 लाख लोगों के रहने के लिए टाउनशिप डेवलपमेंट।
  • ग्रीन एनर्जी: प्रोजेक्ट में सोलर पावर प्लांट भी शामिल है जो स्वच्छ ऊर्जा प्रदान करेगा।

अब तक की प्रगति

  • सितंबर 2024 में गैलेथिया-बे को मेजर पोर्ट घोषित किया गया।
  • अप्रैल 2025 में एनटीपीसी ने सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट के लिए निविदाएं निकालीं।
  • पेड़ों की गणना और कटाई का कार्य टाउनशिप डेवलपमेंट के लिए शुरू हो चुका है।
  • पर्यावरणीय मंजूरी नवंबर 2022 में मिल चुकी है।
  • निगरानी के लिए ₹80 करोड़ का फंड आवंटित किया गया है।

कांग्रेस की आपत्तियाँ और चिंता

  • सोनिया गांधी समेत कांग्रेसी नेताओं ने प्रोजेक्ट के पर्यावरणीय प्रभाव को लेकर गंभीर आपत्ति जताई है।
  • उनका कहना है कि यह परियोजना स्थानीय आदिवासी समुदायों के अस्तित्व के लिए खतरा है।
  • वनस्पति और जीवधारियों के प्राकृतिक आवासों पर नकारात्मक प्रभाव।

भाजपा का पलटवार

भाजपा प्रवक्ता अनिल के. एंटनी ने कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि वे भारत के हिंद-प्रशांत क्षेत्र में राष्ट्रीय हितों को कमजोर करने का प्रयास कर रहे हैं।

  • निकोबार द्वीप समूह इंडोनेशिया से 150 मील की दूरी पर है और मलक्का स्ट्रेट के पश्चिम में स्थित है, जो विश्व के सबसे महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों में से एक है।
  • इस परियोजना के माध्यम से भारत अपनी नौसैनिक शक्ति और क्षेत्रीय प्रभाव को मजबूत कर सकता है।

पर्यावरण और सामाजिक चुनौती

  • आदिवासी समुदायों के अधिकारों का संरक्षण आवश्यक।
  • पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के लिए सतत विकास की जरूरत।
  • सरकार को आदिवासियों की हिस्सेदारी सुनिश्चित करनी होगी।

भविष्य की राह

  • प्रोजेक्ट के पर्यावरणीय प्रबंधन और आदिवासी संवेदनशीलता के लिए ठोस नीति।
  • रणनीतिक विकास और पर्यावरणीय संरक्षण में संतुलन।
  • 30 वर्षों तक चरणबद्ध विकास और निगरानी।

FAQs

Q1. ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत क्या है?
₹72,000 करोड़।

Q2. परियोजना का मुख्य उद्देश्य क्या है?
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की रणनीतिक स्थिति मजबूत करना।

Q3. सोनिया गांधी ने प्रोजेक्ट पर क्या आपत्तियाँ की हैं?
पर्यावरणीय प्रभाव और आदिवासी समुदायों के अधिकारों के लिए खतरा बताया है।

Q4. भाजपा ने क्या जवाब दिया?
कांग्रेस पर भारत के रणनीतिक हितों को कमजोर करने का आरोप लगाया।

Q5. अब तक प्रोजेक्ट में क्या प्रगति हुई है?
गैलेथिया-बे मेजर पोर्ट घोषित, सोलर प्रोजेक्ट के लिए निविदाएं, पेड़ों की कटाई आदि।

Q6. प्रोजेक्ट की पर्यावरणीय मंजूरी कब मिली?
नवंबर 2022 में।

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