छतरपुर (मप्र) : छतरपुर जिला के बक्सवाहा स्वास्थ्य विभाग की गंभीर लापरवाही एक बार फिर उजागर हुई है। ग्राम कुही किशनपुरा निवासी लगभग 60 वर्षीय महेश पाटोदिया उर्फ टीकाराम को हल्का बुखार और जुकाम की शिकायत पर परिजन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंचे थे। डॉक्टर ने उन्हें दवा देने के साथ बोतल इंजेक्शन लगाया, लेकिन दवा चढ़ते ही मरीज की हालत बिगड़ने लगी। परिजनों ने बार-बार डॉक्टर को बुलाया, मगर थोड़ी ही देर में बुजुर्ग ने तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया।
परिजनों का आरोप है कि सामान्य बुखार-जुकाम की बीमारी को गलत इलाज और लापरवाही ने मौत में बदल दिया। उनका कहना है कि अगर सही उपचार मिलता तो मरीज की जान बच सकती थी। वहीं अस्पताल का हाल अंदर की पोल खोल रहा है। रिकॉर्ड रूम के बाहर शराब की बोतलें, महिला प्रसव कक्ष और शौचालय के पास तक शराबखोरी के सबूत बिखरे पड़े हैं। पूरे परिसर में गंदगी और नशाखोरी का आलम यह दर्शा रहा है कि अस्पताल इलाज का केंद्र कम और नशेड़ियों का अड्डा ज्यादा बन चुका है।
ग्रामीणों ने बताया कि डॉक्टर समय पर अस्पताल में नहीं मिलते, न दवाएं उपलब्ध रहती हैं और न ही सही इलाज होता है, मगर शराबखोरी आम बात हो गई है। इतना ही नहीं, अस्पताल में इंसानों को इलाज की सुविधा भले न मिले, लेकिन आवारा कुत्ते और जानवर यहां खुलेआम वार्ड और ड्रेसिंग रूम के बाहर आराम फरमाते दिखाई देते हैं।
ग्रामीणों और मृतक परिवार ने प्रशासन से मांग की है कि इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच हो, जिम्मेदार डॉक्टर-कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए और अस्पताल में फैली गंदगी व नशाखोरी पर तुरंत रोक लगाई जाए।
संवाददाता : भरत यादव (छतरपुर, मप्र)
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