WEF President Börge Brende ने कहा कि क्रिप्टोकरेन्सी डॉलर के वैश्विक प्रभुत्व के लिए BRICS से ज्यादा बड़ी चुनौती है। उन्होंने डिडॉलराइजेशन के निकट भविष्य में होने की संभावना को कम बताया।
WEF President Börge Brende ने कहा, TRUMP के समर्थन से क्रिप्टो डॉलर की असली चुनौती
विश्व आर्थिक मंच (WEF) के अध्यक्ष Börge Brende ने हाल ही में एक खास बातचीत में कहा कि डॉलर की वैश्विक वर्चस्वता के लिए निकट भविष्य में BRICS देश समूह की मुद्रा की तुलना में क्रिप्टोकरेन्सी ज्यादा बड़ी चुनौती है। उन्होंने यह भी माना कि अमेरिका का डॉलर अभी भी काफी प्रतिस्पर्धी है और डिडॉलराइजेशन की संभावना अब फिलहाल कम ही दिखती है।
क्रिप्टोकरेन्सी का बढ़ता प्रभाव
Brende ने कहा कि Donald Trump के तहत कई नीतिगत बदलाव क्रिप्टोकरेन्सी के लिए अधिक खुलेपन की तरफ हैं, जिससे इसकी वैश्विक स्वीकार्यता और बढ़ रही है। डिजिटल करेंसी और डीसेंट्रलाइज्ड फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स के तेजी से विस्तार के कारण, क्रिप्टो डॉलर के वैश्विक व्यापार और पूंजी प्रवाह में उसकी प्रमुख भूमिका के लिए एक तकनीकी चुनौती बन सकती है।
BRICS करेंसी की सीमित संभावना
BRICS देशों — ब्राजील, रूस, भारत, चीन, और दक्षिण अफ्रीका — द्वारा एक वैकल्पिक आरक्षित मुद्रा के विचार को अभी तक व्यापक वित्तीय एकीकरण और साझा हितों की कमी के कारण समर्थन नहीं मिला है। इसका अर्थ यह है कि BRICS मुद्रा के डॉलर के स्थान पर वैश्विक अर्थव्यवस्था में असंगति के कारण बड़ा प्रभाव डालने की संभावना फिलहाल कम है।
भारत और वैश्विक आर्थिक परिदृश्य
Brende ने भारत को वैश्विक आर्थिक विकास की सबसे बड़ी चालिका बताया, जो लगभग 18% योगदान देता है। उन्होंने भारत की डिजिटल व्यापार, सेवा और विनिर्माण क्षेत्रों में मजबूत स्थिति की भी सराहना की, साथ ही संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ जैसे बाजारों तक पहुंच को विकास बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण बताया।
अमेरिका-भारत व्यापार और चीन की स्थिति
हालांकि अमेरिका और भारत के बीच हाल के व्यापार तनाव को अस्थायी कहा गया है, दीर्घकालिक सहयोग के दृष्टिकोण से दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध मजबूत होंगे। चीन की अर्थव्यवस्था सोलर, इलेक्ट्रिक वाहन और उन्नत उत्पादन में नेतृत्व जारी रखे हुए है और अपेक्षित है कि यह 4-5% के बीच वृद्धि दर बनाए रखेगा।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)
Q1: WEF अध्यक्ष के अनुसार डॉलर के लिए सबसे बड़ी चुनौती क्या है?
A: क्रिप्टोकरेन्सी है, जो BRICS मुद्रा से बड़ी चुनौती बन रही है।
Q2: डिडॉलराइजेशन कब तक संभव है?
A: निकट भविष्य में डिडॉलराइजेशन की संभावना कम है।
Q3: BRICS मुद्रा क्यों सफल नहीं हो सकती?
A: वित्तीय एकीकरण की कमी और विभिन्न देशों के हितों के कारण।
Q4: भारत का वैश्विक आर्थिक विकास में योगदान कितना है?
A: लगभग 18%।
Q5: अमेरिका और भारत के व्यापारिक संबंधों को लेकर क्या कहा गया?
A: व्यापारिक तनाव अस्थायी हैं और दोनों देशों के बीच भविष्य में सहयोग मजबूत होगा।
Q6: चीन की अर्थव्यवस्था की स्थिति कैसी है?
A: 4-5% की वृद्धि के साथ वैश्विक नेतृत्व कायम रखे हुए है।
WEF अध्यक्ष Börge Brende ने इस महत्वपूर्ण बयान के माध्यम से क्रिप्टोकरेन्सी को डॉलर की वैश्विक प्रभुत्वता के लिए BRICS मुद्रा की तुलना में बढ़ती हुई तकनीकी चुनौती बताया है और वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में भारत और चीन के बढ़ते प्रभाव पर भी प्रकाश डाला है।
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