RSS Chief Bhagwat ने कहा- भारत को वैश्विक चुनौतियों के बीच सनातन मूल्यों का पालन करते हुए, अपनी खुद की विकास नीति बनानी चाहिए; पश्चिमी सोच का अनुकरण स्थायी समाधान नहीं।
भारत को अपनी राह खुद तय करनी होगी, सनातन मूल्यों पर ज़ोर: RSS Chief Bhagwat
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने अमरीकी टैरिफ और आप्रवासन संकट के बीच भारत के लिए अपनी अलग सस्टेनेबल विकास राह तय करने की अपील की है। नई दिल्ली में एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि वर्तमान वैश्विक समस्याएं कटा हुआ, विरोधाभासी नजरिए का परिणाम हैं, इसलिए भारत को अपनी ‘सनातन’ परंपरा और मूल्यों पर टिकना चाहिए।
भारत को चाहिए अपनी राह
भागवत ने कहा- “हम अपनी समस्या से मुंह नहीं मोड़ सकते। लेकिन हमें अंधानुकरण नहीं करना चाहिए। भारत को अपनी खुद की राह बनानी चाहिए, जिसमें धन, काम, मोक्ष के चार पुरुषार्थ धर्म के अनुसार संतुलित हों। धर्म का अर्थ पूजा पद्धति नहीं, बल्कि जीवन का सार्वभौमिक और नैतिक कानून है।”
पश्चिमी विकास मॉडल की आलोचना
भागवत ने कहा कि पिछले 2000 वर्षों से अधिकतर विकास का मानदंड ‘मैं और बाकी दुनिया’ या ‘हम-वे’ जैसा रहा, जिससे आत्मकेंद्रित विरोध और संघर्ष पैदा होते हैं। उन्होंने अमेरिकी प्रतिनिधियों के साथ पुरानी बातचीत का हवाला देते हुए कहा कि केवल ‘अपने’ हित की सोच अवश्य ही टकराव का कारण बनती है।
भारत की वैश्विक भूमिका और पर्यावरण प्रतिबद्धता
उन्होंने भारत के पिछले सात दशकों के दृष्टिकोण का उल्लेख करते हुए कहा कि युद्ध से खुद को दूर रखकर, भारतीयनें अपने मूल्यों के आधार पर सच्ची मानवता का उदाहरण दिया। पर्यावरण की दिशा में भी भारत ने सभी वैश्विक वादों का पालन करके अग्रणी भूमिका निभाई है।
“विश्वगुरु” बनने के लिए सनातन सूत्र
भागवत ने कहा कि अगर भारत विश्वगुरु या विश्वमित्र बनना चाहता है तो उसे अपने ट्रैडिशनल संदर्भों और अनुशासन का पालन करना होगा, जो किसी को भी पीछे नहीं छोड़ता। “हमने कभी अर्थ और काम का खंडन नहीं किया, इनके साथ जीवन में धर्म और मोक्ष का संतुलन जरूरी है।”
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)
Q1: मोहन भागवत ने भारत के विकास मॉडल के बारे में क्या कहा?
A: उन्होंने कहा कि भारत को अपनी परंपरा और नैतिक कानूनों पर आधारित अलग विकास नीति बनानी चाहिए।
Q2: अमेरिकी टैरिफ व इमिग्रेशन पर भागवत का क्या कहना था?
A: उन्होंने कहा कि केवल स्वार्थ आधारित पश्चिमी दृष्टिकोण दूरगामी हित में नहीं है, भारत को अपनी राह खुद बनानी है।
Q3: सनातन मूल्य के क्या मायने हैं?
A: व्यक्ति और समाज के कल्याण के लिए चार पुरुषार्थ (अर्थ, काम, धर्म, मोक्ष) का संतुलित पालन।
Q4: भागवत ने पर्यावरण के बारे में क्या कहा?
A: भारत ने वैश्विक पर्यावरण वादों को हमेशा पूरा किया है।
Q5: विश्वगुरु बनने के लिए भारत को क्या करना चाहिए?
A: भारतीय परंपरा और अनुशासन के आधार पर, सबका साथ-सबका विकास वाली सोच अपनानी चाहिए।
भागवत का यह संदेश भारत को अपनी विशेषता, पौराणिक परंपरा और समावेशी नैतिकता के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है—जिससे देश न सिर्फ खुद, बल्कि पूरी दुनिया को सच्चे अर्थों में नेतृत्व दे सके।
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