Rohingya Muslims ने संयुक्त राष्ट्र में म्यांमार में हो रहे नरसंहार और उत्पीड़न को रोकने और सुरक्षित जीवन की मदद के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आग्रह किया।
म्यांमार की स्थिति पर Rohingya Muslims ने यूएन में मदद की अपील की
Rohingya Muslims ने संयुक्त राष्ट्र संघ की पहली उच्च स्तरीय बैठक में म्यांमार में हो रहे नरसंहार और उत्पीड़न को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से सहायता मांगी। इस बैठक में अंतरराष्ट्रीय मंत्रियों और राजदूतों ने भाग लिया।
रोहिंग्या समुदाय की दशा
म्यांमार में बौद्ध बहुसंख्यक सरकार ने दशकों से रोहिंग्या मुस्लिम अल्पसंख्यक को उत्पीड़न, विस्थापन और हिंसा का शिकार बनाया है। वे 1982 से देश की नागरिकता से वंचित हैं और कई वर्षों से शरणार्थी के रूप में जीवन व्यतीत कर रहे हैं। अगस्त 2017 में म्यांमार सैनिकों द्वारा क्यू क्लीनिंग अभियान के तहत लाखों रोहिंग्या पड़ोसी देश बांग्लादेश में भागे।
संयुक्त राष्ट्र का दृष्टिकोण
यूएन के शरणार्थी प्रमुख फिलिप्पो ग्रांडी ने बताया कि 2024 में रिसर्च और युद्धों के बीच बांग्लादेश में लगभग 1.2 मिलियन रोहिंग्या शरणार्थी हैं। यूएन मानवाधिकार प्रमुख ने बताया कि आगामी चुनाव लोकतांत्रिक नहीं होंगे और रोहिंग्या को वोट देने का अधिकार नहीं मिलेगा।
रोहिंग्या नेताओं की अपील
रोहिंग्या नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र में सुरक्षित क्षेत्र बनाने, आत्म-निर्णय का अधिकार देने और अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ाने की मांग की। उन्होंने कहा कि उनके बिना सुरक्षित और स्थिर जीवन की संभावना नहीं है।
आर्थिक और सामाजिक जीवन की चुनौतियाँ
रोहिंग्या समुदाय को बेरोजगारी, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित रखा गया है। उनके गांव जलाये गए, आवाज़ दबाई गई और लगातार उत्पीड़न झेलना पड़ा।
संयुक्त राष्ट्र में हुई यह बैठक रोहिंग्या संकट पर वैश्विक जागरूकता जागृत करने की दिशा में अहम कदम है। इसे निरंतरता देते हुए प्रभावी कार्रवाई और संरक्षण की आवश्यकता है।
FAQs
- Rohingya Muslims को म्यांमार में किस तरह का उत्पीड़न जाता है?
- संयुक्त राष्ट्र में रोहिंग्या ने क्या मांग की है?
- बांग्लादेश में कितने रोहिंग्या शरणार्थी हैं?
- म्यांमार में रोहिंग्या को नागरिकता क्यों नहीं दी गई?
- यूएन ने म्यांमार की स्थिति पर क्या कार्रवाई की है?
- रोहिंग्या संकट के समाधान के लिए क्या जरूरी कदम हैं?
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