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China-India Flight News: कोरोना के बाद अक्टूबर से फिर से शुरू होंगी यात्री उड़ानें

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China-India Flight
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भारत और चीन के बीच सीधी China-India Flight यात्री उड़ानों की शुरुआत अक्टूबर तक होने की उम्मीद। जानें इस फैसले से यात्रा, व्यापार और द्विपक्षीय संबंधों पर क्या पड़ेगा असर।

अक्टूबर से फिर से शुरू होंगी China-India Flight की सीधी फ्लाइटें

भारत और चीन के बीच सीधी उड़ानें होंगी शुरू, अक्टूबर तक मिल सकेगी फ्लाइट

कोरोना महामारी की शुरुआत के बाद से लगभग चार साल तक ठप पड़ी भारत और चीन के बीच की सीधी यात्री उड़ानें अब फिर से शुरू होने जा रही हैं। यह जानकारी चीन के एक वरिष्ठ राजनयिक ने हाल ही में दी है। इस घोषणा ने हजारों यात्रियों, विशेष रूप से छात्रों, व्यवसायियों और परिवारों में एक नई उम्मीद जगाई है, जो लंबे समय से इन उड़ानों की बहाली का इंतजार कर रहे थे।

साल 2020 की शुरुआत में जब दुनिया ने कोविड-19 महामारी का सामना किया, तब भारत सरकार ने अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर रोक लगा दी थी। हालाँकि, धीरे-धीरे दुनिया के ज्यादातर देशों के साथ उड़ान services फिर से शुरू हो गईं, लेकिन चीन के साथ सीधी उड़ानें अब तक बहाल नहीं हो पाई थीं। इसकी एक बड़ी वजह दोनों देशों के बीच चल रहे सीमा विवाद और राजनयिक तनाव भी रहे। इस पृष्ठभूमि में, उड़ानों की पुनःशुरुआत का यह फैसला एक अहम कूटनीतिक और आर्थिक कदम माना जा रहा है।

इस लेख में, हम आपको इस विकास के हर पहलू पर विस्तार से बताएंगे। हम जानेंगे कि यह फैसला क्यों हुआ, इससे किन लोगों को सबसे ज्यादा फायदा होगा, उड़ानें फिर से शुरू होने की प्रक्रिया क्या है, और इसका भारत और चीन के बीच आर्थिक और राजनयिक रिश्तों पर क्या असर पड़ सकता है।

चार साल का सफर: उड़ानें क्यों रुकीं और अब क्यों शुरू हो रही हैं?

मार्च 2020 में, कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए भारत सरकार ने “वायबबंदी” (एयर बबल) व्यवस्था शुरू की, जिसके तहत सीमित देशों के साथ ही उड़ानों की अनुमति दी गई। चीन को इसमें शामिल नहीं किया गया। इसके बाद, जून 2020 में गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों के रिश्तों में गहरा तनाव आ गया, जिसने उड़ानों की बहाली की किसी भी संभावना को और पीछे धकेल दिया।

इन चार वर्षों में, भारत और चीन के बीच यात्रा करने वाले लोगों को दूसरे देशों (जैसे श्रीलंका, नेपाल, म्यांमार या संयुक्त अरब अमीरात) के रास्ते connecting flights लेनी पड़ती थीं। इससे उनकी यात्रा का समय और खर्च दोनों ही कई गुना बढ़ गया। एक समय में दिल्ली से बीजिंग की सीधी उड़ान मात्र 5-6 घंटे की होती थी, लेकिन connecting flight लेने पर यह यात्रा 15 से 20 घंटे या उससे भी ज्यादा की हो गई।

अब सवाल उठता है कि आखिर यह फैसला अब क्यों हो रहा है? इसके पीछे कई कारण हैं:

  • छात्रों और व्यवसायियों की मुश्किलें: लगभग 23,000 भारतीय छात्र चीन में मेडिकल और अन्य कोर्सेज में पढ़ाई छोड़कर भारत लौट आए थे। लगभग चार साल से वे ऑनलाइन क्लासेज ले रहे हैं, लेकिन प्रैक्टिकल ट्रेनिंग के अभाव में उनकी पढ़ाई अधूरी है। उनकी और उनके परिवारों की लगातार उठती आवाज़ों ने सरकार पर दबाव बनाया।
  • आर्थिक दबाव: दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्ते मजबूत बने हुए हैं। भारत और चीन के बीच व्यापार 2022-23 में 136.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर का रहा। व्यवसायियों के लिए लगातार connecting flights लेना समय और पैसे दोनों की बर्बादी थी। सीधी उड़ानों के बिना व्यापार पर भी नकारात्मक असर पड़ रहा था।
  • राजनयिक प्रयास: दोनों देशों के बीच recent diplomatic engagements हुई हैं। भारत की विदेश मंत्री, डॉ. एस. जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री, वांग यी के बीच हुई बैठकों में इस मुद्दे पर चर्चा हुई थी। उड़ानों की पुनःशुरुआत को द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य बनाने (normalization) की दिशा में एक positive step माना जा रहा है।

क्या है वर्तमान स्थिति और आगे की राह?

चीन के राजदूत शु वेइदोंग ने स्पष्ट किया है कि चीन की एयरलाइंस भारत में उड़ान services फिर से शुरू करने के लिए तैयार हैं। हालाँकि, उन्होंने यह भी कहा कि अब भारतीय नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) से necessary approvals की प्रक्रिया पूरी करनी है।

इसका मतलब है कि चीनी एयरलाइंस (जैसे एयर चाइना, चाइना सदर्न एयरलाइंस आदि) ने उड़ानें शुरू करने की अपनी तरफ से तैयारी कर ली है। अब भारतीय अधिकारियों को यह देखना है कि operational और technical aspects पर सब कुछ ठीक है या नहीं। इसमें उड़ान सुरक्षा, स्लॉट की उपलब्धता (हवाई अड्डे पर उतरने-उड़ने का समय), और ground handling जैसे मुद्दे शामिल हैं।

उम्मीद जताई जा रही है कि यह पूरी प्रक्रिया अक्टूबर 2024 तक पूरी हो जाएगी और तब तक सीधी उड़ानों का संचालन फिर से शुरू हो सकेगा। यह तिथि इसलिए भी अहम है क्योंकि अक्टूबर तक चीन में सर्दियों का मौसम शुरू हो जाता है, जो उड़ान संचालन के लिए अनुकूल रहता है।

इस फैसले के प्रमुख लाभ और प्रभाव

सीधी उड़ानों के फिर से शुरू होने के सकारात्मक असर कई क्षेत्रों में देखने को मिलेंगे।

  • यात्रियों के लिए राहत: यात्रा का समय और खर्च कम होगा। आज की तारीख में, दिल्ली से शंघाई की connecting flight का किराया 40,000 से 70,000 रुपये के बीच है, और यात्रा में 15 घंटे से ज्यादा का समय लगता है। सीधी उड़ानों के शुरू होने से किराया कम होने और यात्रा का समय घटकर 5-6 घंटे होने की उम्मीद है।
  • छात्रों के लिए नई उम्मीद: चीन में पढ़ने वाले हजारों भारतीय छात्र, खासकर मेडिकल के छात्र, अपनी प्रैक्टिकल ट्रेनिंग फिर से शुरू कर सकेंगे। यह उनके करियर के लिए एक बहुत बड़ी राहत की बात है।
  • व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा: व्यवसायियों के लिए दोनों देशों के बीच आना-जाना आसान होगा, जिससे व्यापार और निवेश के नए अवसर पैदा होंगे। पर्यटन उद्योग को भी फायदा होगा। चीन से आने वाले पर्यटक भारत के लिए एक बड़ा बाजार हैं।
  • द्विपक्षीय संबंधों में सुधार: यह कदम भारत और चीन के बीच तनाव कम करने और रिश्तों को सामान्य बनाने की दिशा में एक “कॉन्फिडेंस बिल्डिंग मेजर” (विश्वास बढ़ाने वाला कदम) माना जा रहा है। यह दर्शाता है कि दोनों देश व्यावहारिक मुद्दों पर सहयोग करने के लिए तैयार हैं, भले ही राजनयिक मतभेद बने हुए हैं।

क्या चुनौतियाँ अभी बाकी हैं?

हालाँकि यह एक सकारात्मक कदम है, लेकिन कुछ चुनौतियाँ और सवाल अभी भी बने हुए हैं।

  • शुरुआती चरण में सीमित उड़ानें: शुरुआत में उड़ानों की आवृत्ति (frequency) कोविड-पूर्व स्तर जितनी नहीं होगी। 2020 से पहले, दोनों देशों के बीच हफ्ते में सैकड़ों उड़ानें होती थीं। शुरुआत में यह संख्या कम रह सकती है और धीरे-धीरे बढ़ेगी।
  • राजनयिक संवेदनशीलता: सीमा विवाज जैसे गंभीर मुद्दे अभी भी मौजूद हैं। अगर कोई नया तनाव पैदा होता है, तो यह उड़ान services पर असर डाल सकता है।
  • किराया और मांग: शुरुआत में, उड़ानों की कम संख्या के कारण किराए ज्यादा हो सकते हैं। जैसे-जैसे मांग और आपूर्ति का संतुलन बनेगा, किराए सामान्य होंगे।

भारत और चीन के बीच सीधी यात्री उड़ानों की पुनःशुरुआत एक बहुत ही स्वागत योग्य और व्यावहारिक कदम है। यह उन हजारों लोगों की जिंदगी को आसान बनाएगा जिनका इन दोनों देशों से सीधा जुड़ाव है। यह घटनाक्रम साबित करता है कि आपसी हित के मामलों में सहयोग, राजनयिक मतभेदों से ऊपर हो सकता है।

अक्टूबर तक की यह समयसीमा एक सकारात्मक संकेत है। हालाँकि, अभी भारतीय अधिकारियों की मंजूरी का इंतजार है। अगर सब कुछ योजना के अनुसार रहा, तो जल्द ही हम दिल्ली-बीजिंग, मुंबई-शंघाई जैसे रूट्स पर एयरक्राफ्ट फिर से आते-जाते देखेंगे। यह न सिर्फ आसमान में एक उड़ान भरेगा, बल्कि दो एशियाई महाशक्तियों के बीच एक नई उम्मीद की उड़ान भी होगी।


अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

1. क्या भारतीय एयरलाइंस भी चीन के लिए उड़ानें भरेंगी?
हाँ, उम्मीद है कि दोनों देशों की एयरलाइंस को इस व्यवस्था में शामिल किया जाएगा। चीनी एयरलाइंस के साथ-साथ एयर इंडिया और इंडिगो जैसी भारतीय एयरलाइंस भी चीन के लिए उड़ानें संचालित कर सकती हैं, बशर्ते उन्हें दोनों देशों के नागरिक उड्डयन प्राधिकरणों से necessary permissions मिल जाएं।

2. क्या वीजा की प्रक्रिया में कोई बदलाव होगा?
अभी तक, दोनों देशों की सरकारों ने वीजा नियमों में किसी बदलाव की आधिकारिक घोषणा नहीं की है। उड़ानों की शुरुआत के बाद, वीजा जारी करने की प्रक्रिया पर भी नजर रखी जाएगी। फिलहाल, छात्रों और व्यवसायियों को मौजूदा वीजा नियमों का ही पालन करना होगा।

3. क्या यह उड़ानें सभी प्रमुख शहरों के बीच होंगी?
शुरुआत में, उड़ानें सबसे प्रमुख मार्गों जैसे दिल्ली-बीजिंग, दिल्ली-शंघाई और मुंबई-गुआंगज़ौ के बीच शुरू होने की संभावना है। जैसे-जैसे मांग बढ़ेगी, अन्य शहरों जैसे बेंगलुरु, चेन्नई, चेंगदू आदि को भी जोड़ा जा सकता है।

4. क्या कोविड-19 से संबंधित कोई प्रतिबंध अभी भी लागू होंगे?
फिलहाल, भारत ने अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के लिए सभी कोविड-19 संबंधित प्रतिबंध हटा लिए हैं। चीन ने भी अपने अधिकांश प्रतिबंधों में ढील दे दी है। हालाँकि, उड़ानें शुरू होने से पहले यात्रियों को respective government guidelines की latest update जरूर check कर लेनी चाहिए।

5. इससे भारत और चीन के बीच व्यापार पर क्या असर पड़ेगा?
इसका व्यापार पर सीधा सकारात्मक असर पड़ेगा। व्यवसायियों के लिए face-to-face meetings करना, supply chains को manage करना और नए बाजारों का पता लगाना बहुत आसान हो जाएगा। इससे द्विपक्षीय व्यापार और निवेश को गति मिलने की उम्मीद है।

6. क्या इससे दोनों देशों के बीच तनाव कम होगा?
यह एक बहुत ही सकारात्मक संकेत है और इसे द्विपक्षीय संबंधों में “आइस-ब्रेकर” (बर्फ पिघलाने वाला) माना जा रहा है। हालाँकि, यह अकेला सीमा विवाद जैसे गहरे मतभेदों को हल नहीं कर सकता, लेकिन यह बातचीत और सहयोग का माहौल जरूर बनाएगा।

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