केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव और जापान के मंत्री नाकानो ने सूरत में Mumbai-Ahmedabad Bullet Train कॉरिडोर के निर्माण स्थल का निरीक्षण किया। जानें प्रोजेक्ट की लेटेस्ट प्रोग्रेस, 100 किमी पाइलर्स के निर्माण और 2026 में पूरा होने की संभावना के बारे में।
India-Japan Bullet Train Project: सूरत में बुलेट ट्रेन का काम तेज
सूरत में चल रहा है Bullet Train का काम, अश्विनी वैष्णव और जापानी मंत्री नाकानो ने देखी प्रगति
भारत की पहली Bullet Train परियोजना ने एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर पार कर लिया है, और इसकी प्रगति को देखने के लिए भारत और जापान के शीर्ष नेतृत्व एक साथ मैदान में उतरे हैं। केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव और जापान की ओर से उसके राज्य मंत्री शिन्या नाकानो ने गुजरात के सूरत शहर में मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल (एचएसआर) कॉरिडोर के निर्माण स्थल का जायजा लिया।
यह दौरा केवल एक औपचारिकता नहीं थी, बल्कि इस महत्वाकांक्षी परियोजना में हुई ठोस प्रगति और भारत-जापान रणनीतिक साझेदारी की मजबूती का एक स्पष्ट संकेत था। सूरत में, एक विशाल एलिवेटेड कॉरिडोर (पुल पर रेलवे लाइन) आकार ले रहा है, जो देश के इन्फ्रास्ट्रक्चर इतिहास में एक नया अध्याय लिख रहा है।
इस लेख में, हम इस महत्वपूर्ण निरीक्षण की मुख्य बातों, परियोजना की वर्तमान स्थिति, और इसके भारत के भविष्य के लिए क्या मायने हैं, इस पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
निरीक्षण के मुख्य बिंदु: क्या कहा मंत्रियों ने?
मंत्रियों की उपस्थिति ने इस परियोजना के प्रति दोनों देशों की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया।
- प्रगति पर संतुष्टि: दोनों मंत्रियों ने निर्माण कार्य की गति और गुणवत्ता पर संतोष जताया। उन्होंने साइट पर इंजीनियरों और श्रमिकों के साथ बातचीत भी की।
- स्थानीयकरण पर जोर: मंत्री वैष्णव ने फिर से इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे यह परियोजना ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा दे रही है। परियोजना में इस्तेमाल होने वाले स्टील और अन्य सामग्रियों का एक बड़ा हिस्सा अब भारत में ही निर्मित किया जा रहा है।
- तकनीकी हस्तांतरण: जापानी मंत्री नाकानो ने भारत के साथ जापान की उन्नत हाई-स्पीड रेल तकनीक साझा करने की प्रतिबद्धता दोहराई। यह सहयोग केवल एक रेल लाइन बनाने तक सीमित नहीं है, बल्कि भारत में एक पूरी नई रेलवे प्रौद्योगिकी की नींव रखने जैसा है।
प्रोजेक्ट की लेटेस्ट स्टेटस: कहाँ पहुँचा है बुलेट ट्रेन का काम?
सूरत साइट का निरीक्षण इसलिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि गुजरात में निर्माण कार्य तेजी से आगे बढ़ रहा है।
- एलिवेटेड कॉरिडोर का निर्माण: पूरे 508 किमी मार्ग का लगभग 70% हिस्सा एक एलिवेटेड कॉरिडोर पर बनाया जा रहा है। सूरत में, यह कॉरिडोर जमीन से लगभग 20 मीटर की ऊंचाई पर उठ रहा है।
- 100 किमी से अधिक पाइलर्स तैयार: राष्ट्रीय हाई-स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NHSRCL) के अनुसार, अब तक 100 किलोमीटर से अधिक लंबाई के लिए पाइलर्स (खंभे) का निर्माण पूरा हो चुका है। यह एक बहुत बड़ा उपलब्धि है जो दर्शाती है कि नींव का काम तेजी से आगे बढ़ रहा है।
- स्पेन (ब्रिज के sections) का लगाना: पाइलर्स के बाद, उन पर प्री-कास्ट स्पेन (पुल के खंड) लगाए जा रहे हैं। यह कार्य भी लगातार जारी है।
- सूरत स्टेशन का काम: सूरत में, बुलेट ट्रेन स्टेशन का निर्माण भी शुरू हो गया है, जो एक आधुनिक और दुनिया के सबसे अच्छे स्टेशनों में से एक होगा।
भारत-जापान साझेदारी: एक रणनीतिक गठजोड
मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल परियोजना भारत और जापान के बीच रणनीतिक और आर्थिक सहयोग का एक प्रमुख प्रतीक बन गई है।
- वित्तीय सहायता: जापान इस परियोजना के लिए लगभग 85% धनराशि एक अत्यधिक रियायती ऋण के रूप में उपलब्ध करा रहा है, जिस पर ब्याज दर मात्र 0.1% है और भुगतान अवधि 50 वर्ष की है।
- तकनीकी विशेषज्ञता: जापान, जिसने दुनिया की पहली और सबसे सफल हाई-स्पीड रेल प्रणाली शिंकान्सेन शुरू की थी, अपनी तकनीकी जानकारी और प्रशिक्षण साझा कर रहा है।
- सुरक्षा मानक: यह परियोजना जापानी शिंकान्सेन की ‘जीरो एक्सीडेंट’ सुरक्षा संस्कृति को भारत में ला रही है, जो भविष्य में भारतीय रेलवे के लिए एक नया बेंचमार्क स्थापित करेगी।
परियोजना के लाभ और भविष्य की राह
- यात्रा समय में कमी: बुलेट ट्रेन चलने के बाद, मुंबई और अहमदाबाद के बीच की यात्रा का समय वर्तमान के 7-8 घंटे से घटकर केवल लगभग 2 घंटे रह जाएगा।
- आर्थिक विकास: यह कॉरिडोर औद्योगिक और आर्थिक गलियारे के रूप में काम करेगा, जिससे रोजगार सृजन होगा और शहरों का विकास तेज होगा।
- 2026 का लक्ष्य: हालांकि महाराष्ट्र में भूमि अधिग्रहण में कुछ देरी हुई है, लेकिन गुजरात में तेज प्रगति के कारण, 2026 तक परियोजना के पूरा होने की उम्मीद बनी हुई है। पहले चरण में, गुजरात (सूरत-बिलिमोड़ा) के भीतर ही 50 किमी का एक section 2026 में शुरू हो सकता है।
सूरत में हाई-स्पीड रेल निर्माण स्थल का निरीक्षण एक शक्तिशाली दृश्य प्रमाण था कि भारत का बुलेट ट्रेन सपना अब सच्चाई का रूप ले रहा है। यह परियोजना सिर्फ एक नई ट्रेन लाने के बारे में नहीं है, बल्कि यह एक नए युग की शुरुआत है – अगली पीढ़ी के बुनियादी ढांचे, विनिर्माण क्षमताओं और वैश्विक साझेदारी का युग। जैसे-जैसे सूरत में पाइलर्स आसमान की ओर बढ़ रहे हैं, वैसे-वैसे भारत की आर्थिक महत्वाकांक्षाएं भी नई ऊंचाइयों को छू रही हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
1. बुलेट ट्रेन परियोजना की कुल लागत कितनी है?
परियोजना की अनुमानित लागत लगभग 1.08 लाख करोड़ रुपये है। इसमें से जापान लगभग 85% राशि बेहद रियायती दरों पर ऋण के रूप में दे रहा है।
2. क्या बुलेट ट्रेन पूरी तरह से ‘मेक इन इंडिया’ होगी?
पहली बुलेट ट्रेनें जापान से आयातित की जाएंगी। हालाँकि, परियोजना के बाद के चरणों में ट्रेनों के components के भारत में निर्माण की योजना है। निर्माण सामग्री (स्टील, सीमेंट) और बुनियादी ढांचे का एक बड़ा हिस्सा पहले से ही भारत में बन रहा है।
3. बुलेट ट्रेन की अधिकतम गति क्या होगी?
यह ट्रेनें 320 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम गति से चलने में सक्षम होंगी, हालांकि operational speed इससे कुछ कम हो सकती है।
4. क्या महाराष्ट्र में भी निर्माण कार्य शुरू हो गया है?
महाराष्ट्र में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया अभी भी जारी है, जिसके कारण वहाँ निर्माण कार्य में कुछ देरी हुई है। हालाँकि, गुजरात में निर्माण कार्य पूरी गति से चल रहा है।
5. बुलेट ट्रेन का किराया कितना होगा?
अभी तक अंतिम किराया तय नहीं किया गया है। अनुमान लगाया जा रहा है कि यह वायुयान के किराये के लगभग 80% के बराबर हो सकता है, लेकिन यह अभी घोषित नहीं किया गया है।
6. क्या यह परियोजना पर्यावरण के अनुकूल है?
हां, हाई-स्पीड रेल परिवहन का एक ऊर्जा-कुशल तरीका है। बुलेट ट्रेन विमानन और सड़क यातायात की तुलना में प्रति यात्री कार्बन उत्सर्जन कम करेगी। इसके अलावा, एलिवेटेड कॉरिडोर से जमीन के उपयोग पर न्यूनतम प्रभाव पड़ता है।
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