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US Sanctions: अमेरिका की सख्ती में भारतीय शिपिंग कंपनियां फंसीं

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US Sanctions shipping container
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अमेरिका ने ईरान के पेट्रोलियम व्यापार में सहायता के आरोप में दो भारतीय नागरिकों समेत 50 से अधिक संस्थाओं पर प्रतिबंध लगाए हैं, शिपिंग कंपनियां जांच के दायरे में।

US Sanctions की ज़द में भारतीय नागरिक, ईरानी पेट्रोलियम व्यापार से जुड़े आरोप

अमेरिका ने ईरान की ऊर्जा कारोबार में सहायता के आरोप में दो भारतीय नागरिकों समेत 50 से ज्यादा कंपनियों, व्यक्तियों और पोतों (vessels) पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं। अमेरिकी ट्रेजरी विभाग के ऑफिस ऑफ फॉरेन एसेट्स कंट्रोल (OFAC) ने यह कदम तेहरान की ‘एनर्जी एक्सपोर्ट मशीन’ का नेटवर्क कमजोर करने और ईरान की पेट्रोलियम व पेट्रोकेमिकल बिक्री को रोकने के लिए उठाया है।

ट्रेजरी विभाग के अनुसार, “इन सभी ने मिलकर अरबों डॉलर की ईरानी पेट्रोलियम और पेट्रोलियम उत्पादों के निर्यात में मदद की, जिससे ईरान को अहम आर्थिक फायदा और आतंकी संगठनों को फंडिंग प्राप्त होती रही।” विभाग ने कहा कि इस नेटवर्क को तोड़कर ईरान की नकद आमदनी और क्षेत्रीय अस्थिरता को नियंत्रित करने का प्रयास जारी है।

प्रतिबंधित भारतीय नागरिक

  • प्रतिबंधित व्यक्तियों में मार्शल आइलैंड्स स्थित Bertha Shipping Inc. के मालिक वरुण पुला भी हैं, जिनकी कंपनी के पास Comoros फ्लैग वाले पोत ‘PAMIR’ का संचालन है। इस जहाज ने जुलाई 2024 से चीन को लगभग 4 मिलियन बैरल ईरानी एलपीजी पहुंचाने का काम किया।
  • दूसरी भारतीय नागरिक सोनिया श्रेष्ठा हैं, जो Vega Star Ship Management Private Limited की मालकिन हैं। उनकी कंपनी के पोत ‘NEPTA’ ने जनवरी 2025 से पाकिस्तान में ईरानी एलपीजी पहुंचाई।

अमेरिकी प्रतिबंधों के प्रभाव

  • प्रतिबंधों के दायरे में आने वाले सभी व्यक्तियों/कंपनियों की अमेरिकी संपत्तियाँ और उनके लाभ US सरकार द्वारा फ्रीज़ कर दिए गए।
  • यदि किसी प्रतिबंधित व्यक्ति के पास किसी और कंपनी में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से 50% या उससे ज्यादा स्वामित्व है, तो वह कंपनी भी अपने आप प्रतिबंधित हो जाती है।
  • US citizens/companies को इन संस्थाओं से जुड़ी कोई भी लेन-देन करने की मनाही है।

भारत पर असर

  • भारत के दो नागरिकों के शामिल होने का मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अहम है, क्योंकि भारत इतिहास में आम तौर पर अमेरिकी प्रतिबंधों के नियमों का पालन करता रहा है।
  • अब भारतीय शिपिंग कंपनियों की वैश्विक छवि और बाजार तक पहुँच पर असर पड़ सकता है—विशेष रूप से उन कंपनियों पर जिनका अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा सप्लाई में हिस्सा है।
  • यह मामला भारत सहित उन देशों के लिए भी चेतावनी है, जिनकी शिपिंग कंपनियां तेहरान संबंधी कारोबार में संलिप्त रहती हैं।

  • विशेषज्ञ कहते हैं कि OFAC के ऐसे प्रतिबंध वैश्विक शिपिंग और ऊर्जा व्यापार में पारदर्शिता, नीति-अनुपालन और वित्तीय सुरक्षिता बढ़ाने को मजबूर करते हैं।
  • भारत सहित कई दक्षिण एशियाई देशों के लिए यह चेतावनी है कि अमेरिकी नीति और प्रतिबंधों के उल्लंघन से विश्व व्यापार में कठिनाइयाँ आ सकती हैं। (स्रोत: UN, Energy Policy Journal)

ईरान की ऊर्जा सप्लाई में सहयोग के चलते भारतीय शिपिंग कंपनियों के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंध, अंतरराष्ट्रीय व्यापार पॉलिसी और भारत के ऊर्जा-नौवहन सेक्टर के लिए बड़ी चुनौती हैं। परिस्थितियों के मद्देनज़र भारतीय कंपनियों के लिए फॉरेन एसेट्स के सभी लेन-देन और संचालन नीति को सख्ती से परखना जरूरी हो गया है।


FAQs

  1. अमेरिकी प्रतिबंध में किन भारतीय नागरिकों का नाम आया?
    • वरुण पुला (Bertha Shipping Inc.) और सोनिया श्रेष्ठा (Vega Star Ship Management Pvt. Ltd.)।
  2. ये भारतीय कंपनियाँ किस काम में लिप्त थीं?
    • ईरानी एलपीजी/पेट्रोलियम को चीन व पाकिस्तान जैसे देशों तक पहुँचाने के शिपिंग कारोबार में।
  3. OFAC प्रतिबंध का मुख्य उद्देश्य क्या है?
    • ईरान की “एनेर्जी एक्सपोर्ट मशीन” को नुकसान पहुंचाना और आतंकी फंडिंग रोकना।
  4. इन प्रतिबंधों का कंपनियों पर क्या असर होता है?
    • US अंतर्गत सभी संपत्तियाँ/धनराशि सीज़, अगली लेन-देन पर रोक और व्यापार साझेदारों पर असर।
  5. क्या भारत पर भी इसका असर पड़ सकता है?
    • भारत की शिपिंग कंपनियों की अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिष्ठा और कामकाज पर असर पड़ सकता है।
  6. प्रतिबंध से किन अन्य देशों की गतिविधियाँ प्रभावित होंगी?
    • जिन देशों में इन शिपिंग कंपनियों के ग्राहक या कारोबारी साझेदार जुड़े हैं, वहां भी प्रतिबंधों का असर पड़ेगा (जैसे चीन, पाकिस्तान)।

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