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बिना Property खरीदे कमाएं Real Estate से Rental Income 

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Person investing in REITs through laptop with commercial buildings like offices
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REITs क्या है? जानें भारत में Real Estate इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट में निवेश का आसान तरीका। बिना प्रॉपर्टी खरीदे कमर्शियल real estate से कमाएं Rental income.रिटर्न, जोखिम और शुरुआत करने की पूरी जानकारी।

REITs:बिना Property खरीदे Real Estate में निवेश का आधुनिक तरीका

क्या आपने कभी सोचा है कि बिना कोई मकान या प्लॉट खरीदे, आप Real Estate के मालिक बन सकते हैं और उससे नियमित आय प्राप्त कर सकते हैं? जी हां, यह कोई सपना नहीं बल्कि एक वित्तीय सच्चाई है, जिसका नाम है REITs (रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट)। भारत में यह अवधारणा नई है, लेकिन तेजी से लोकप्रिय हो रही है। पारंपरिक रूप से रियल एस्टेट में निवेश के लिए भारी पूंजी, लोन की जटिल प्रक्रिया और प्रॉपर्टी मैनेजमेंट की समस्या होती थी। REITs ने इन सभी चुनौतियों का एक शानदार समाधान पेश किया है।

आज के इस व्यापक लेख में, हम आपको बताएंगे कि REITs क्या है, यह कैसे काम करता है, इसके क्या फायदे और नुकसान हैं, और आप कैसे मात्र 10,000-15,000 रुपये से भी REITs में निवेश शुरू कर सकते हैं। अगर आप रियल एस्टेट में निवेश करना चाहते हैं लेकिन भारी रकम नहीं लगा सकते, तो यह लेख आपके लिए ही है।

REITs क्या है? एक साधारण परिभाषा

REITs का मतलब है ‘Real Estate इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट’। इसे आप एक ऐसा म्यूचुअल फंड समझ सकते हैं जो सिर्फ रियल एस्टेट में निवेश करता है। जिस तरह म्यूचुअल फंड विभिन्न कंपनियों के शेयरों में निवेश करके आपको रिटर्न देता है, उसी तरह REITs विभिन्न प्रकार की कमर्शियल प्रॉपर्ट्टीज (जैसे ऑफिस बिल्डिंग, शॉपिंग मॉल, वेयरहाउस) में निवेश करता है और उन प्रॉपर्ट्टीज से होने वाली कमाई (किराया) को अपने निवेशकों में बांटता है।

SEBI (सेबी) के नियमों के अनुसार, एक REIT अपनी कमाई का कम से कम 90% हिस्सा अपने निवेशकों को डिविडेंड (लाभांश) के रूप में वितरित करने के लिए बाध्य है। इस तरह, आप छोटी रकम लगाकर भी बड़ी-बड़ी कमर्शियल प्रॉपर्ट्टीज का हिस्सेदार बन जाते हैं और उनसे नियमित रेंटल इनकम प्राप्त करते हैं।

REITs कैसे काम करते हैं? पूरी प्रक्रिया समझें

REITs का काम करने का तरीका बहुत सरल और पारदर्शी है:

  1. प्रॉपर्टी एकत्रित करना: एक REIT कंपनी कई कमर्शियल प्रॉपर्ट्टीज खरीदती है या उन्हें डेवलप करती है, जैसे बड़े ऑफिस कॉम्प्लेक्स, IT पार्क, शॉपिंग मॉल, या लॉजिस्टिक्स वेयरहाउस।
  2. पैसा जुटाना: इन प्रॉपर्ट्टीज को खरीदने और मेंटेन करने के लिए, REIT स्टॉक एक्सचेंज (NSE/BSE) पर अपनी यूनिट्स जारी करके आम निवेशकों से पैसा जुटाती है।
  3. रेंटल इनकम कमाना: REIT इन property को किराए पर देती है। विभिन्न कंपनियां इन ऑफिस स्पेस या दुकानों को किराए पर लेती हैं और मासिक/तिमाही किराया देती हैं।
  4. निवेशकों को रिटर्न देना: किराए से जो आमदनी होती है, उसका अधिकांश हिस्सा (90%+) REIT अपने निवेशकों (यूनिट होल्डर्स) को डिविडेंड के रूप में वितरित कर देती है।

REITs में निवेश के प्रमुख फायदे

  1. कम पूंजी में निवेश: एक अच्छी कमर्शियल प्रॉपर्टी करोड़ों रुपये की होती है। लेकिन REITs में आप 10,000-15,000 रुपये से भी निवेश शुरू कर सकते हैं।
  2. उत्कृष्ट लिक्विडिटी: अगर आपको पैसों की जरूरत पड़े, तो आप स्टॉक एक्सचेंज पर अपनी REITs यूनिट्स आसानी से बेच सकते हैं, जबकि एक प्रॉपर्टी बेचने में महीनों या सालों लग जाते हैं।
  3. नियमित आय (डिविडेंड): REITs से आपको तिमाही या अर्ध-वार्षिक आधार पर डिविडेंड मिलता रहता है, जो एक नियमित पैसिव इनकम का अच्छा स्रोत है।
  4. पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन: REITs आपके निवेश पोर्टफोलियो में विविधता लाते हैं। जब शेयर बाजार ठप रहता है, तब रियल एस्टेट अच्छा प्रदर्शन कर सकता है।
  5. पेशेवर प्रबंधन: प्रॉपर्टीज का प्रबंधन, मरम्मत और किराया वसूली का काम पेशेवर टीम करती है, आपको कोई सिरदर्द नहीं होता।
  6. पारदर्शिता: REITs, SEBI के सख्त नियमों के तहत काम करते हैं और अपनी वित्तीय स्थिति की नियमित रूप से जानकारी देते रहते हैं।

REITs में निवेश के जोखिम और सीमाएं

  1. ब्याज दर जोखिम: अगर ब्याज दरें बढ़ती हैं, तो REITs के शेयर/यूनिट्स की कीमतों पर दबाव बन सकता है।
  2. बाजार जोखिम: आर्थिक मंदी के दौरान, कमर्शियल प्रॉपर्टी में किराएदारों की कमी हो सकती है, जिससे किराए की आमदनी और डिविडेंड प्रभावित हो सकते हैं।
  3. कीमत में उतार-चढ़ाव: शेयर बाजार की तरह, REITs की यूनिट्स की कीमतों में भी उतार-चढ़ाव होता रहता है।
  4. केंद्रित एक्सपोजर: अगर कोई REIT सिर्फ एक ही शहर या एक ही सेक्टर (जैसे सिर्फ IT पार्क) में निवेश करती है, तो उस क्षेत्र विशेष में मंदी आने पर नुकसान हो सकता है।

भारत में कैसे करें REITs में निवेश? स्टेप बाय स्टेड गाइड

REITs में निवेश करना शेयर खरीदने जितना ही आसान है। बस इन चरणों का पालन करें:

  1. डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट खोलें: सबसे पहले, किसी भी ब्रोकरेज कंपनी (जैसे जेरोधा, एंजेल ब्रोकिंग, ICICI डायरेक्ट, आदि) में अपना डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट खुलवाएं।
  2. रिसर्च करें: भारत में मौजूद लिस्टेड REITs के बारे में रिसर्च करें। उनकी प्रॉपर्टीज, किराएदारों की गुणवत्ता, डेट का स्तर और पिछले डिविडेंड रिकॉर्ड को चेक करें।
  3. ऑर्डर दें: अपने ट्रेडिंग अकाउंट के जरिए, उस REIT की यूनिट्स को उसके स्टॉक सिंबल (जैसे Embassy REIT का EMBASSY) से सर्च करके खरीदने का ऑर्डर दें।
  4. होल्ड करें और डिविडेंड कमाएं: खरीदने के बाद, आपकी यूनिट्स आपके डीमैट अकाउंट में आ जाएंगी। अब आप नियमित डिविडेंड प्राप्त कर सकते हैं।

भारत में प्रमुख REITs

  • Embassy Office Parks REIT: देश का पहला REIT, जिसमें बेंगलुरु, मुंबई, पुणे जैसे शहरों में ऑफिस पार्क शामिल हैं।
  • Mindspace Business Parks REIT: हैदराबाद, मुंबई, पुणे और चेन्नई में ऑफिस पार्क्स का पोर्टफोलियो।
  • Brookfield India Real Estate Trust: मुंबई, गुरुग्राम, नोएडा और कोलकाता में कमर्शियल प्रॉपर्ट्टीज।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. क्या REITs में निवेश करने के लिए न्यूनतम रकम तय है?
सैद्धांतिक रूप से तो नहीं, लेकिन भारत में मौजूद REITs की एक यूनिट की कीमत लगभग 300-500 रुपये के आसपास है। हालांकि, निवेश की शुरुआत करने के लिए 10,000-15,000 रुपये को एक अच्छी शुरुआत माना जा सकता है।

2. क्या REITs से मिलने वाला डिविडेंड टैक्स फ्री होता है?
नहीं, REITs से मिलने वाला डिविडेंड आपकी सामान्य आय में जुड़ जाता है और आपकी इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लगता है। यह पहले ही TDS (टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स) के रूप में काट लिया जाता है।

3. REITs में निवेश करना बेहतर है या सीधे प्रॉपर्टी खरीदना?
यह आपकी वित्तीय स्थिति और लक्ष्यों पर निर्भर करता है। अगर आपके पास कम पूंजी है, लिक्विडिटी चाहते हैं और प्रॉपर्टी मैनेजमेंट का झंझट नहीं चाहते, तो REITs बेहतर है। अगर आपके पास भारी पूंजी है और लंबी अवधि के लिए लीवरेज (लोन) का फायदा उठाना चाहते हैं, तो सीधी प्रॉपर्टी खरीद सकते हैं।

4. क्या REITs में निवेश करने पर कैपिटल गेन टैक्स लगता है?
हां, अगर आप एक साल से पहले REITs की यूनिट्स बेचते हैं, तो Short-Term Capital Gains (STCG) टैक्स लगेगा, जो आपकी सामान्य आय में जुड़ेगा। अगर एक साल बाद बेचते हैं, तो Long-Term Capital Gains (LTCG) टैक्स लगेगा, जो 10% होता है (बिना इंडेक्सेशन बेनिफिट के)।

5. क्या रिटायरमेंट के बाद की इनकम के लिए REITs अच्छा विकल्प है?
हां, बिल्कुल! क्योंकि REITs से नियमित डिविडेंड इनकम मिलती रहती है, यह रिटायरमेंट के बाद के खर्चों को पूरा करने के लिए एक अच्छा पैसिव इनकम स्रोत बन सकता है।

6. क्या रेजिडेंशियल प्रॉपर्टीज में भी REITs निवेश करते हैं?
भारत में अभी ज्यादातर REITs कमर्शियल प्रॉपर्टीज (ऑफिस स्पेस, मॉल, वेयरहाउस) में ही निवेश करते हैं। रेजिडेंशियल प्रॉपर्टीज में REITs का एक्सपोजर अभी बहुत कम है।

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