Delhi के ट्रिवेणी कला संगम में बीसवीं सदी की श्रेष्ठ 40+ भारतीय sculpture कृतियों की प्रदर्शनी, जिसमें रामकिनकर बैज, एमएफ हुसैन और एसएच रजा जैसी प्रतिभाएँ शामिल हैं।
Delhi ट्रिवेणी कला संगम में Sculpture का Exhibition
देश की राजधानी Delhi में अक्टूबर 2025 में ट्रिवेणी कला संगम में “सकल्पिंग द सेंचुरी” नामक प्रदर्शनी का आयोजन हुआ, जो बीसवीं सदी की भारतीय आधुनिक मूर्तिकला की कला यात्रा का सम्मान है। इस प्रदर्शनी में 40 से अधिक अद्भुत मूर्तिकला कृतियाँ Exhibition की गईं, जिनकी रचना भारत के सबसे प्रमुख और प्रभावशाली कलाकारों ने की थी।
Exhibition में रामकिनकर बैज, एम.एफ. हुसैन, सतिश गुजऱाल, शैलेन्द्रनाथ नंदगोपाल, हिम्मत शाह, मीराकुमारी मुखर्जी, अमरनाथ सेहगल, अकबर पदमसी, एस.एच. रजा, और कृष्ण खन्ना जैसे कलाकारों की मूर्तियाँ शामिल हैं। ये कलाकार भारतीय मूर्तिकला की परंपरा को न केवल जिंदा रखते हैं बल्कि आधुनिकता के साथ नए प्रयोग भी करते हैं। प्रदर्शनी का सबसे खास पहलू यह रहा कि यह पारंपरिक और आधुनिक मूर्तिकला के बीच संतुलन दर्शाती है।
इस प्रदर्शनी की संरचना में पारंपरिक भारतीय शिल्पकारियों द्वारा उपयोग किए गए तरीकों को आधुनिक संदर्भों में फिर से पेश किया गया है। मूर्तिकला के माध्यम से मानवीय भावनाओं, आध्यात्मिकता, संघर्ष और सांस्कृतिक पहचान की गहरी व्याख्या देखने को मिलती है। प्रदर्शनी के दौरान रामकिनकर बैज के “संताल परिवार” जैसे प्रभावशाली कार्यों के माध्यम से उन सामाजिक व ऐतिहासिक परिस्थितियों का परिचय भी मिलता है, जिन्होंने इन कलाकृतियों को उत्पन्न किया।
वर्तमान डिजिटल युग में, मूर्तिकला की शारीरिकता और प्रमाणिकता दर्शकों को एक अलग अनुभव प्रदान करती है। कुरेटर यशोधरा डालमिया के शब्दों में, “मूर्तिकला भारत की सांस्कृतिक कल्पना से गहराई से जुड़ी है। यह पारंपरिक और आधुनिक कला के बीच संवाद स्थापित करती है।”
प्रदर्शनी ने दर्शकों के बीच भारतीय मूर्तिकला के विविध रंग, विषयों और सामग्रियों का समृद्ध अनुभव प्रस्तुत किया, जो कला के छात्र एवं विशेषज्ञों के लिए एक महत्वपूर्ण शिक्षा स्थल भी है।
“सोलहवीं शताब्दी से लेकर आधुनिक भारत तक की भारतीय मूर्तिकला की यात्रा” पर आधारित “Sculpting the Century” प्रदर्शनी अक्टूबर 2025 में दिल्ली के ट्रिवेणी कला संगम में आयोजित की गई थी। यह प्रदर्शनी बीसवीं सदी की प्रमुख भारतीय मूर्तिकला कलाकारों के 40 से अधिक महत्वपूर्ण कार्यों का संग्रह है, जिसमें रामा किंगकर बैज, एम.एफ. हुसैन, एस.एच. रजा सहित 23 प्रतिभाशाली मूर्तिकार शामिल हैं।
इस प्रदर्शनी में कांस्य, टेराकोटा, चमड़ा, लकड़ी और अन्य सामग्रियों से बनी मूर्तियों का बड़ा संग्रह है। प्रदर्शनी एक सौ वर्षों में निर्मित प्रमुख मूर्तिकला और शैलीगत विकास को प्रदर्शित करती है। प्रदर्शनी में रामकिंकर बैज की “संताल परिवार” जैसी सामाजिक संदर्भों से जुड़े बेहतरीन कृतियाँ भी शामिल थीं।
क्यूरेटर यशोधरा डालमिया के अनुसार, यह प्रदर्शनी न केवल मूर्तिकला की तकनीकी विविधता को दर्शाती है बल्कि मानवीय भावनाओं, सांस्कृतिक विरासत और आधुनिक अभिव्यक्तियों को भी बखूबी प्रस्तुत करती है। उन्होंने कहा कि भारतीय मूर्तिकला परंपरा और आधुनिकता के बीच की बातचीत का प्रतिनिधित्व करती है।
प्रदर्शनी में कई चित्रकार और प्रिंटमेकर्स के रूप में प्रसिद्ध कलाकारों ने भी मूर्तिकला की अपनी विस्तृत रचनाएँ प्रस्तुत कीं, जैसे कि कृष्ण खन्ना, एमएफ हुसैन और अख्तर पदमसी। यह शो दिल्ली कला प्रेमियों के लिए आधुनिक भारतीय मूर्तिकला की एक गहरी और प्रभावशाली झलक प्रदान करता है।
प्रदर्शनी 5 अक्टूबर से 13 अक्टूबर 2025 तक लगी रही और कला जगत में अत्यधिक सराही गई।
प्रदर्शनी की मुख्य बातें:
- 23 प्रमुख कलाकारों की 40+ मूर्तियां
- पारंपरिक से आधुनिक कला का संतुलन
- विभिन्न सामग्रियों जैसे कांस्य, टेराकोटा, लकड़ी का प्रयोग
- सामाजिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विषयों की अभिव्यक्ति
- ट्रिवेणी कला संगम, दिल्ली में 5-13 अक्टूबर 2025 तक
FAQs:
- “सकल्पिंग द सेंचुरी” प्रदर्शनी कहाँ आयोजित हुई?
- ट्रिवेणी कला संगम, दिल्ली में।
- प्रदर्शनी में शामिल प्रमुख कलाकार कौन-कौन थे?
- रामकिनकर बैज, एम.एफ. हुसैन, एस.एच. रजा, मीराकुमारी मुखर्जी सहित 23 प्रसिद्ध कलाकार।
- इस प्रदर्शनी का मुख्य उद्देश्य क्या है?
- भारत के बीसवीं सदी के मूर्तिकला के इतिहास और विविधता को दर्शाना।
- भारतीय मूर्तिकला की क्या विशेषताएँ प्रदर्शनी में दिखीं?
- पारंपरिक कला और आधुनिकता का संतुलन, विभिन्न सामग्रियों जैसे कांस्य, पत्थर, टेराकोटा, धातु का प्रयोग।
- प्रदर्शनी कब तक चलेगी?
- 5 अक्टूबर से 13 अक्टूबर 2025 तक।
- प्रदर्शनी का क्यूरेटेड किसने किया?
- प्रसिद्ध कला समीक्षक यशोधरा डालमिया ने।
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