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क्यों तेजी से बढ़ रहे हैं PCOS के मामले ?

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भारतीय महिलाओं में PCOS के मामले तेजी से क्यों बढ़ रहे हैं? जानें 5 प्रमुख कारण – जीवनशैली में बदलाव, आहार, तनाव, genetic factors और environmental causes। एक्सपर्ट की सलाह और बचाव के उपाय।

PCOS बढ़ने के पीछे की 5 वजहें

आज के समय में अगर भारतीय महिलाओं की स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं की बात करें, तो PCOS (पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) सबसे ऊपर आता है। एक अध्ययन के अनुसार, भारत में लगभग 20-25% प्रजनन आयु की महिलाएं PCOS से प्रभावित हैं, और यह आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। यह स्थिति न सिर्फ प्रजनन स्वास्थ्य को प्रभावित करती है, बल्कि इसके दीर्घकालिक प्रभाव मधुमेह, हृदय रोग और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के रूप में भी सामने आ सकते हैं।

PCOS सिर्फ एक gynecological समस्या नहीं, बल्कि एक endocrine और metabolic disorder है जो हार्मोनल असंतुलन के कारण होता है। आज के इस लेख में, हम विस्तार से जानेंगे कि आखिर क्यों भारतीय महिलाओं में PCOS के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और इससे बचाव के क्या उपाय हैं।

PCOS क्या है? बेसिक समझ

PCOS यानी पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम एक हार्मोनल विकार है जिसमें महिलाओं के अंडाशय में multiple cysts बन जाते हैं। इसके मुख्य लक्षणों में अनियमित पीरियड्स, excessive androgen hormones और पॉलिसिस्टिक ओवरीज शामिल हैं।

भारतीय महिलाओं में PCOS बढ़ने के 5 प्रमुख कारण

1. जीवनशैली में आया बदलाव: शारीरिक गतिविधि में कमी

आधुनिक जीवनशैली ने हमारी शारीरिक गतिविधियों को काफी कम कर दिया है:

  • डेस्क जॉब्स: 8-10 घंटे की बैठे रहने वाली नौकरियां
  • शारीरिक श्रम की कमी: घरेलू कामों में मशीनों का बढ़ता इस्तेमाल
  • यातायात के साधन: पैदल चलने के बजाय वाहनों पर निर्भरता
  • मनोरंजन के साधन: आउटडोर गतिविधियों के बजाय स्क्रीन टाइम

वैज्ञानिक आधार: NIH की एक स्टडी के अनुसार, शारीरिक निष्क्रियता insulin resistance को बढ़ाती है, जो PCOS का मुख्य कारण है।

2. आहार संबंधी गलतियां: पश्चिमी आहार का प्रभाव

हमारे पारंपरिक आहार में आए बदलाव ने इस समस्या को और बढ़ाया है:

  • प्रोसेस्ड फूड्स का बढ़ता सेवन
  • रेफाइंड कार्बोहाइड्रेट्स की अधिकता
  • शुगर और फ्रक्टोज युक्त पेय पदार्थ
  • हेल्दी फैट्स की जगह अनहेल्दी फैट्स का इस्तेमाल
  • फाइबर युक्त आहार में कमी

वैज्ञानिक आधार: ICMR के अनुसार, भारतीय महिलाओं में 60% से अधिक PCOS मामले आहार संबंधी गलतियों से जुड़े हैं।

3. तनाव और मानसिक स्वास्थ्य: आधुनिक जीवन का दबाव

लगातार बढ़ता तनाव PCOS को बढ़ावा दे रहा है:

  • काम का दबाव: प्रोफेशनल लाइफ की चुनौतियां
  • पारिवारिक जिम्मेदारियां: वर्क-लाइफ बैलेंस की कमी
  • सोशल मीडिया का प्रभाव: अवास्तविक expectations
  • नींद की कमी: अनियमित नींद के पैटर्न

वैज्ञानिक आधार: तनाव cortisol हार्मोन को बढ़ाता है, जो insulin resistance और androgen hormones को प्रभावित करता है।

4. आनुवंशिक कारक: पारिवारिक इतिहास

भारतीय आबादी में कुछ genetic factors PCOS के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाते हैं:

  • पारिवारिक इतिहास: मां या बहन में PCOS होना
  • एथनिक प्रीडिस्पोजिशन: दक्षिण एशियाई महिलाओं में higher risk
  • इंसुलिन रेजिस्टेंस की प्रवृत्ति: genetic predisposition

वैज्ञानिक आधार: रिसर्च बताती है कि PCOS वाली 35% महिलाओं में पारिवारिक इतिहास होता है।

5. पर्यावरणीय और सामाजिक कारण

कुछ external factors भी PCOS में वृद्धि के लिए जिम्मेदार हैं:

  • एंडोक्राइन डिसरप्टिंग केमिकल्स: प्लास्टिक, कीटनाशक
  • प्रदूषण: वायु और जल प्रदूषण का प्रभाव
  • शहरीकरण: ग्रामीण से शहरी जीवनशैली में बदलाव
  • शादी और गर्भधारण में देरी: बढ़ती उम्र में पहला बच्चा

PCOS के प्रमुख लक्षण क्या हैं?

  1. मासिक धर्म में अनियमितता: 35 दिन से ज्यादा का gap
  2. वजन बढ़ना: खासकर पेट के आसपास
  3. एक्ने और ऑयली स्किन: androgen hormones के बढ़ने से
  4. बालों का झड़ना या अत्यधिक बाल आना: hirsutism
  5. प्रजनन संबंधी समस्याएं: infertility issues
  6. मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं: anxiety और depression
  7. स्किन डिसऑर्डर: skin tags और darkening

बचाव और प्रबंधन के उपाय

1. जीवनशैली में सुधार

  • नियमित व्यायाम: सप्ताह में 5 दिन 30-45 मिनट
  • योग और प्राणायाम: विशेष रूप से PCOS के लिए beneficial
  • वजन प्रबंधन: BMI 23 से कम रखने का प्रयास

2. संतुलित आहार

  • लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स फूड्स: जौ, दलिया, राजमा
  • प्रोटीन युक्त आहार: दालें, सोया, पनीर
  • हेल्दी फैट्स: अखरोट, अलसी, घी
  • फाइबर युक्त आहार: हरी सब्जियां, फल

3. तनाव प्रबंधन

  • नियमित ध्यान और मेडिटेशन
  • पर्याप्त नींद: 7-8 घंटे की गहरी नींद
  • हॉबीज और रिलैक्सेशन एक्टिविटीज

4. नियमित जांच और मॉनिटरिंग

  • साल में एक बार gynecological checkup
  • ब्लड शुगर और lipid profile टेस्ट
  • अल्ट्रासाउंड और hormonal tests

आयुर्वेद और प्राकृतिक उपचार

  1. अश्वगंधा: तनाव कम करने और हार्मोन बैलेंस के लिए
  2. दारुहल्दी: इंसुलिन सेंसिटिविटी बढ़ाने के लिए
  3. मेथीदाना: ब्लड शुगर कंट्रोल के लिए
  4. त्रिफला: डिटॉक्सिफिकेशन और पाचन के लिए

FAQs

1. क्या PCOS पूरी तरह ठीक हो सकता है?
PCOS को पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सकता, लेकिन लक्षणों को प्रभावी ढंग से मैनेज कर सकते हैं और एक normal life जी सकते हैं। सही जीवनशैली और उपचार से जटिलताओं को रोका जा सकता है।

2. क्या PCOS केवल overweight महिलाओं को होता है?
नहीं, PCOS किसी भी वजन की महिलाओं को हो सकता है। लगभग 20% PCOS मामले normal weight की महिलाओं में पाए जाते हैं, जिन्हें ‘lean PCOS’ कहा जाता है।

3. क्या PCOS गर्भधारण में बाधा है?
PCOS infertility का एक common cause है, लेकिन proper treatment और lifestyle changes से ज्यादातर महिलाएं successful pregnancy achieve कर सकती हैं।

4. PCOS का निदान कैसे किया जाता है?
रॉटरडैम क्राइटेरिया के अनुसार, निम्नलिखित में से दो लक्षण होने पर PCOS का निदान किया जाता है:

  • अनियमित पीरियड्स
  • हाइपरएंड्रोजेनिज्म के लक्षण
  • अल्ट्रासाउंड में पॉलिसिस्टिक ओवरीज

5. क्या डाइटिंग से PCOS ठीक हो सकता है?
केवल डाइटिंग से PCOS ठीक नहीं होता, लेकिन संतुलित आहार और नियमित व्यायाम लक्षणों को कंट्रोल करने में मदद करते हैं। क्रैश डाइटिंग से बचना चाहिए।

6. PCOS के long-term effects क्या हैं?
अनुपचारित PCOS से type 2 diabetes, heart disease, high blood pressure, endometrial cancer और depression का risk बढ़ सकता है।

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