Home धर्म Lord Yama के लिए जलाएं Deepam
धर्म

Lord Yama के लिए जलाएं Deepam

Share
depicting the ritual of lighting a traditional oil lamp for Yama Deepam
Share

Yama Deepam 2025 में 23 अक्टूबर को मनाया जाएगा। जानें सही तिथि, शुभ मुहूर्त, दीप जलाने की विधि, मंत्र और इसका महत्व। यमराज की कृपा से मिलेगी दीर्घायु।

Yama Deepam 2025 की पूरी विधि

Yama Deepam 2025: अकाल मृत्यु का भय दूर करने और लंबी उम्र पाने के लिए इस तरह करें यमराज का दीपदान

दिवाली का त्योहार सिर्फ रोशनी और खुशियों का ही नहीं, बल्कि कई गहरी आध्यात्मिक मान्यताओं और रीति-रिवाजों से भरा हुआ है। इन्हीं में से एक है यम दीपदान या यम दीपम। यह एक ऐसी पावन परंपरा है जो मृत्यु के देवता यमराज को प्रसन्न करके अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति और परिवार के सदस्यों के दीर्घायु जीवन की कामना के लिए की जाती है।

कहा जाता है कि इस एक दीये की रोशनी में इतनी शक्ति होती है कि यह मनुष्य को उसके पापों से मुक्ति दिलाकर मोक्ष के मार्ग पर ले जा सकती है। अगर आप भी इस साल यम दीपदान का पूरा लाभ उठाना चाहते हैं, तो जरूरी है कि आप सही तरीके, सही समय और सही विधि से इस अनुष्ठान को करें। यह लेख आपको यम दीपम 2025 से जुड़ी हर छोटी-बड़ी जानकारी देगा, ताकि आप इसका पूरा फल प्राप्त कर सकें।

Yama Deepam 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त

इस साल 2025 में, यम दीपम या यम द्वितीया दिवाली के दूसरे दिन यानी ‘गोवर्धन पूजा’ के दिन मनाई जाएगी।

  • यम द्वितीया तिथि: 23 अक्टूबर, 2025 (गुरुवार)
  • दीपदान का शुभ मुहूर्त (प्रदोष काल): शाम 05:43 बजे से 08:21 बजे तक
  • द्वितीया तिथि प्रारंभ: 22 अक्टूबर 2025 को रात 09:02 बजे
  • द्वितीया तिथि समाप्त: 23 अक्टूबर 2025 को रात 11:37 बजे

यम दीपदान का विशेष महत्व प्रदोष काल में ही माना गया है। इसलिए कोशिश करें कि आप उपरोक्त बताए गए समय के दौरान ही यह दीपदान करें।

यम दीपम का धार्मिक और पौराणिक महत्व

यम दीपम की परंपरा हजारों साल पुरानी है और इसका जिक्र हमारे पुराणों में मिलता है। पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार सूर्य देव के पुत्र यमराज ने अपनी बहन यमुना से कहा कि जो भी व्यक्ति दिवाली के दूसरे दिन यम द्वितीया पर उनके नाम का दीपक जलाकर दान करेगा, उस व्यक्ति को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहेगा और उसे मोक्ष की प्राप्ति होगी।

एक दूसरी लोककथा के अनुसार, एक बार एक राजा की अकाल मृत्यु हो गई। उसकी आत्मा यमलोक पहुंची। यमराज ने जब उसके पाप-पुण्य का लेखा-जोखा किया तो पाया कि उसने अपने जीवन में सिर्फ एक ही अच्छा काम किया था – उसने एक बार यम द्वितीया के दिन यमराज के नाम का दीपक जलाया था। यमराज इस एक पुण्य कर्म से इतने प्रसन्न हुए कि उन्होंने राजा को पुनः जीवनदान दे दिया और लंबी आयु का वरदान दिया। इसीलिए मान्यता है कि यम दीपदान करने से यमराज प्रसन्न होते हैं और अकाल मृत्यु का भय दूर होता है।

Yama Deepam की सही विधि (Step-by-Step पूजा विधि)

यम दीपदान करना बहुत ही आसान है, लेकिन कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। आइए जानते हैं step-by-step विधि:

सामग्री (सामान):

  • सरसों के तेल से भरा हुआ एक मिट्टी का दीपक
  • मोटा सूत का बत्ती (रुई की बत्ती)
  • फूल, अक्षत (चावल)
  • जल से भरा एक कलश या लोटा
  • मिठाई (जैसे खीर या कोई प्रसाद)

विधि:

  1. समय और स्थान का चुनाव: सबसे पहले प्रदोष काल के समय का चुनाव करें। दीपक जलाने के लिए अपने घर के बाहर, दक्षिण दिशा की ओर एक स्वच्छ और पवित्र स्थान चुनें। दक्षिण दिशा को यमराज की दिशा माना जाता है।
  2. दीपक तैयार करें: मिट्टी के दीपक में सरसों का तेल भरें और एक मोटी सूत की बत्ती लगाएं। ध्यान रखें कि बत्ती पूरी तरह तेल में भीगी हुई हो।
  3. दीपक जलाएं और स्थापित करें: दीपक जलाकर उसे दक्षिण दिशा की ओर मुख करके रख दें। दीपक को किसी ऐसी जगह रखें जहां हवा से बुझने का डर न हो।
  4. यमराज का आवाहन और मंत्र जाप: दीपक जलाने के बाद जल, फूल और अक्षत अर्पित करें। इसके बाद निम्नलिखित मंत्र का जाप करें:“मृत्युना पाशदंडाभ्यां कालेन श्यामया सह। त्रयोदश्यां दीपदानात सूर्यजः प्रीयतां मम॥”इस मंत्र का अर्थ है: “हे सूर्यपुत्र यमराज, आप पाश, डंडा, काल और श्यामा के साथ मेरे द्वारा त्रयोदशी को किए गए इस दीपदान से प्रसन्न हों।”
  5. प्रार्थना करें: मंत्र जाप के बाद यमराज से प्रार्थना करें कि वे आपके और आपके परिवार के सभी सदस्यों को अकाल मृत्यु के भय से मुक्त करें और सभी को स्वस्थ और दीर्घायु जीवन प्रदान करें।
  6. दीपक को ऐसे ही जलने दें: इस दीपक को अपने आप बुझने दें। इसे बुझाकर या हटाकर न रखें।

Yama Deepam में ध्यान रखने योग्य विशेष बातें

  • Yama Deepam हमेशा घर के मुख्य द्वार के बाहर ही करना चाहिए।
  • दीपक जलाते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि दीपक की लौ बुझने न पाए।
  • इस दिन पूरे दिन व्रत रखना अत्यंत शुभ माना जाता है।
  • यम दीपदान करते समय काले तिल के तेल का प्रयोग भी शुभ माना जाता है, हालांकि सरसों का तेल सबसे आम और प्रचलित है।
  • कहा जाता है कि Yama Deepam करने वाले व्यक्ति को यमदूत भी नहीं छूते।

FAQs

1. क्या Yama Deepam सिर्फ पुरुषों को ही करना चाहिए?
नहीं, यम दीपदान कोई भी व्यक्ति कर सकता है, चाहे वह पुरुष हो या महिला। परिवार का कोई भी सदस्य यह ritual perform कर सकता है।

2. अगर मिट्टी का दीपक न मिले तो क्या करें?
मिट्टी का दीपक सबसे श्रेष्ठ माना गया है। अगर यह उपलब्ध न हो, तो आप किसी धातु के दीपक का भी उपयोग कर सकते हैं, लेकिन प्लास्टिक के दीपक का इस्तेमाल बिल्कुल न करें।

3. क्या Yama Deepam के दिन मांसाहार या शराब का सेवन कर सकते हैं?
बिल्कुल नहीं। यह एक पवित्र व्रत और अनुष्ठान है। इस दिन सात्विक भोजन करना चाहिए और बुरी आदतों से दूर रहना चाहिए। मांसाहार और नशीले पदार्थों का सेवन वर्जित है।

4. क्या यम दीपदान करने से सभी प्रकार की मृत्यु का भय दूर हो जाता है?
शास्त्रों में यम दीपदान को अकाल मृत्यु (असमय मृत्यु) के भय को दूर करने वाला माना गया है। यह व्यक्ति को दीर्घायु और स्वस्थ जीवन प्रदान करने में सहायक है। प्राकृतिक मृत्यु तो जीवन का एक अटल सत्य है।

5. क्या यम दीपदान के साथ कोई दान भी करना चाहिए?
जी हां, इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को अनाज, वस्त्र या दक्षिणा दान करना बहुत पुण्यदायी माना जाता है। इससे यमराज की कृपा और बढ़ जाती है।

6. क्या बारिश के दिन भी यम दीपदान कर सकते हैं?
जी हां, कर सकते हैं। अगर बारिश हो रही है, तो आप दीपक को घर के अंदर, दक्षिण दिशा की ओर मुख करके किसी सुरक्षित स्थान पर रखकर जला सकते हैं। महत्व इरादे और श्रद्धा का है।

Share

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

Hanuman Jayanti की पूरी जानकारी

Deepavali 2025 में Hanuman Jayanti पूजा 19 अक्टूबर को है या 20?...

Dhanteras 2025 शास्त्रों और ज्योतिष की नजर से

Dhanteras 2025 पर शुभ खरीदारी के लिए जरूरी है कुछ चीजों से...

Govatsa Dwadashi and Vasu Baras व्रत का महत्व?

Govatsa Dwadashi 2025: जानें Vasu Baras की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा...

Tula Sankranti के धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व

Tula Sankranti 2025: जानें कब है तुला संक्रांति, क्या है शुभ मुहूर्त...