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Deepavali Amavasya के साथ Kedar Gauri Vrat का महत्व

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Kedara Vratham with lamps
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Kedar Gauri Vrat 2025 की तिथि, समय, पूजा विधि और भगवान शिव व माता गौरी की संयुक्त पूजा का महत्व जानिए।

शिव-शक्ति की एकता का पर्व:Kedar Gauri Vrat 2025

केदारा व्रतम, जिसे केदार गौरी व्रत के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित एक प्रमुख उपवास और पूजा है। यह व्रत विशेष रूप से तमिलनाडु, कर्नाटक, और आंध्र प्रदेश जैसे दक्षिण भारतीय राज्यों में बहुत श्रद्धा से मनाया जाता है। दिवाली 2025 की अमावस्या के दिन, यानी 21 अक्टूबर, को यह व्रत संपन्न होगा।

केदारा व्रतम का आध्यात्मिक महत्व

यह व्रत भगवान केदारनाथ सिंह और माता गौरी के सम्मिलित रूप की उपासना का प्रतीक है। यह शिव और शक्ति के आद्य स्वरुप अर्धनारीश्वर की आराधना का रूप है। व्रत के दौरान भक्त जीवन में शांति, सामंजस्य, और आध्यात्मिक बल की कामना करते हैं। यह व्रत बाधाओं को दूर करने, वैवाहिक जीवन में सौहार्द बढ़ाने तथा समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है।

Kedar Gauri Vrat की पौराणिक कथा

यह व्रत ऋषि भृंगी और अर्धनारीश्वर की कथा से जुड़ा हुआ है। ऋषि भृंगी, भगवान शिव के कट्टर भक्त थे पर माँ शक्ति का सम्मान नहीं करते थे। इससे मां शक्ति आहत हुईं और उन्होंने उनसे अपनी शक्ति वापस ले ली, जिससे ऋषि कमजोर हो गए। शक्ति, जिसे गौरी भी कहा जाता है, ने शिव की भक्ति से प्रेरित होकर कठोर तपस्या की। त्रिपुण्ड और अर्धनारीश्वरत्व की प्राप्ति के पश्चात यह व्रत उनके नाम पर पड़ गया।

पूजा विधि और नियम

व्रत द्वारा भक्त पूरी अवधि शुद्धता और संयम बनाए रखते हैं। पूजा के दौरान भगवान शिव और माता गौरी की प्रतिमाओं की स्थापना की जाती है। दीपक, फूल, और प्रसाद चढ़ाए जाते हैं। मंत्रों का जाप और धार्मिक भजन वंदना व्रत की अनिवार्य गतिविधियां हैं।

सामाजिक एवं सांस्कृतिक पहलू

दक्षिण भारत में केदारा व्रतम न केवल धार्मिक अनुष्ठान है बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक सम्बन्धों को मजबूत करने वाला त्यौहार भी है। परिवार के सदस्य और सामुदायिक लोग एक साथ मिलकर व्रत करते हैं और एकता एवं श्रद्धा का अनुभव करते हैं।

Kedar Gauri Vrat 2025 न केवल भगवान शिव और माता गौरी की भक्ति का प्रमाण है, बल्कि यह आध्यात्मिक जागरूकता, पारिवारिक सुख-समृद्धि और सामाजिक मेलजोल का पर्व भी है। दिवाली की रात्रि जब दीप घरों को आलोकित करेगी, तब व्रत रखने वाले भक्त भी अपने हृदय में आध्यात्मिक प्रकाश जलाएंगे।


FAQs:

  1. Kedar Gauri Vrat 2025 कब और कब मनाया जाएगा?
  2. केदारा गौरी व्रत का पौराणिक महत्व क्या है?
  3. व्रत के दौरान कौन-कौन से अनुष्ठान किए जाते हैं?
  4. इस व्रत का वैवाहिक जीवन पर क्या प्रभाव होता है?
  5. भगवान शिव और गौरी की कौन-कौन सी कथाएं इस व्रत से जुड़ी हैं?
  6. व्रत में किन प्रकार के नियमों और संयमों का पालन करना होता है?
  7. केदारा व्रतम का सामाजिक और आध्यात्मिक महत्व क्या है?

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