Home दुनिया ‘नो किंग्स’ प्रदर्शन पर ट्रंप बोले – “ये मज़ाक है”, फंडिंग पर लगाया बड़ा आरोप
दुनिया

‘नो किंग्स’ प्रदर्शन पर ट्रंप बोले – “ये मज़ाक है”, फंडिंग पर लगाया बड़ा आरोप

Share
Trump No KIngs
Share

अमेरिका में ‘No Kings’ प्रदर्शन पर पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि ये सब एक मज़ाक है और कट्टरपंथी वामपंथी समूहों द्वारा फंड किया जा रहा है।

अमेरिकी सड़कों पर ‘नो किंग्स’ की गूंज, ट्रंप बोले – “ये सब फंडेड प्रोपेगेंडा है”

अमेरिका में ‘नो किंग्स’ प्रदर्शन: लोकतंत्र बनाम सत्ता का टकराव

अमेरिका में इन दिनों सड़कों पर “No Kings” के नारे गूंज रहे हैं। यह आंदोलन अचानक तब चर्चा में आया जब पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसे “एक मज़ाक” करार देते हुए कहा कि यह सब “कट्टरपंथी वामपंथी संगठनों द्वारा फंड किया गया प्रदर्शन” है।
यह बयान अमेरिकी राजनीति में एक बार फिर ध्रुवीकरण की लहर पैदा कर गया है।


‘No Kings’ आंदोलन क्या है?

‘No Kings’ आंदोलन दरअसल अमेरिका के लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा की मांग से जुड़ा एक जन-आंदोलन है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि ट्रंप और उनके समर्थक “लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर” करने की कोशिश कर रहे हैं और अमेरिका को “राजशाही की ओर” ले जाना चाहते हैं।

इस आंदोलन की शुरुआत सोशल मीडिया से हुई, जब कुछ युवा कार्यकर्ताओं ने ट्रंप की नीतियों की आलोचना करते हुए कहा —

“अमेरिका एक लोकतंत्र है, कोई साम्राज्य नहीं।”

धीरे-धीरे यह हैशटैग #NoKings पूरे देश में ट्रेंड करने लगा और वाशिंगटन, न्यूयॉर्क, कैलिफ़ोर्निया, शिकागो जैसे शहरों में हज़ारों लोग सड़कों पर उतर आए।


ट्रंप की प्रतिक्रिया: “ये सब मज़ाक है”

डोनाल्ड ट्रंप ने अपने आधिकारिक बयान में कहा —

“यह सब एक मज़ाक है। ये लोग वही हैं जो 2020 के चुनावों में फर्जी कहानी चलाते रहे। ये ‘कट्टरपंथी वामपंथी’ समूह हैं जो अमेरिका को तोड़ना चाहते हैं।”

ट्रंप का यह बयान उनकी सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म “Truth Social” पर भी वायरल हो गया, जहाँ उन्होंने लिखा —

“These protests are funded by Radical Left groups. They want chaos, not democracy.”

उनके समर्थकों ने इस बयान का समर्थन करते हुए कहा कि यह आंदोलन सिर्फ़ “राजनीतिक नाटक” है, जबकि विपक्षी दलों ने इसे “जनता की आवाज़” बताया।


अमेरिका में लोकतंत्र पर नई बहस

“No Kings” आंदोलन ने अमेरिका में लोकतंत्र की सेहत पर नई बहस छेड़ दी है।
एक तरफ़ प्रदर्शनकारी यह कह रहे हैं कि ट्रंप की बयानबाज़ी तानाशाही प्रवृत्ति को बढ़ावा दे रही है, वहीं ट्रंप समर्थक दावा कर रहे हैं कि यह आंदोलन अमेरिकी राजनीति में “नकली नैरेटिव” फैलाने की कोशिश है।

अमेरिकी विश्लेषक डॉ. हेनरी ब्रूक्स के अनुसार,

“यह केवल ट्रंप बनाम विपक्ष नहीं है, बल्कि यह अमेरिका के लोकतांत्रिक भविष्य को लेकर एक विचारधारात्मक टकराव है।”


क्या वाकई ‘कट्टरपंथी वामपंथ’ ने दी फंडिंग?

ट्रंप ने आरोप लगाया है कि इस आंदोलन को “वामपंथी संगठनों” और “लिबरल PACs” (Political Action Committees) द्वारा फंड किया गया है।
हालांकि, इस दावे की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। कई अमेरिकी मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, कुछ संगठनों ने नागरिक स्वतंत्रता और लोकतंत्र की रक्षा के लिए “स्वतंत्र दान” ज़रूर दिए हैं, लेकिन इनका सीधा संबंध ट्रंप विरोधी समूहों से साबित नहीं हुआ।


सामाजिक विभाजन और ट्रंप युग की राजनीति

2016 में ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से अमेरिका में राजनीतिक ध्रुवीकरण बढ़ा है। “No Kings” आंदोलन उसी विभाजन की नई अभिव्यक्ति है।
जहाँ ट्रंप के समर्थक उन्हें “राष्ट्रवादी नेता” मानते हैं, वहीं विरोधी उन्हें “लोकतंत्र के लिए खतरा” बताते हैं।

यह विरोध केवल राजनीति तक सीमित नहीं रहा —

  • कॉलेज परिसरों में बहसें
  • मीडिया हाउसों की तीखी रिपोर्टिंग
  • सोशल मीडिया पर झगड़े
    ये सब अमेरिकी समाज में वैचारिक दरारों को गहरा कर रहे हैं।

राजनीतिक विशेषज्ञों की राय

ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूशन की एक रिपोर्ट के अनुसार, “No Kings” आंदोलन अमेरिकी लोकतंत्र के लिए चेतावनी है कि जनसंवाद और संस्थागत विश्वास धीरे-धीरे कमजोर हो रहे हैं।
राजनीतिक विश्लेषक जेसिका नोलन कहती हैं —

“जब नेता खुद को राष्ट्र से ऊपर समझने लगते हैं, तब जनता ‘No Kings’ कहने को मजबूर हो जाती है।”


ट्रंप की राजनीतिक रणनीति या जन असंतोष?

कई विशेषज्ञ मानते हैं कि ट्रंप के लिए यह बयान रणनीतिक राजनीतिक कदम भी है।
2025 के चुनावी माहौल में वे खुद को “वामपंथ के शिकार” के रूप में पेश कर रहे हैं।
“No Kings” आंदोलन को “वामपंथी साज़िश” बताकर वे अपने समर्थक आधार को मजबूत करना चाहते हैं।

दूसरी ओर, विपक्षी दल इसे “जनता की असली आवाज़” बता रहे हैं, जो अमेरिकी लोकतंत्र की रक्षा के लिए उठी है।


सोशल मीडिया पर ट्रेंडिंग: #NoKings vs #StandWithTrump

Twitter (अब X) पर यह मुद्दा दो भागों में बँट गया है।

  • #NoKings के तहत लोग ट्रंप के खिलाफ पोस्ट कर रहे हैं।
  • #StandWithTrump के तहत समर्थक कह रहे हैं कि “मीडिया और लिबरल लॉबी” फिर से झूठ फैला रही है।

अमेरिकी जनता की राय: एक बँटा हुआ देश

हाल ही में Pew Research Center के सर्वे के अनुसार —

  • 49% अमेरिकियों का मानना है कि “No Kings” आंदोलन लोकतंत्र के समर्थन में है।
  • 38% का मानना है कि यह “राजनीतिक ड्रामा” है।
  • 13% ने कहा कि वे निष्पक्ष हैं।

यह आँकड़े दिखाते हैं कि अमेरिका अब भी गहरे वैचारिक विभाजन से गुजर रहा है।


अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण: दुनिया की नज़रें अमेरिका पर

यूरोपीय और एशियाई मीडिया में भी यह खबर प्रमुखता से छपी है।
कई विश्लेषकों का कहना है कि यदि अमेरिका अपने अंदरूनी लोकतांत्रिक संकट को संतुलित नहीं कर पाया, तो इसका असर वैश्विक लोकतंत्र की विश्वसनीयता पर पड़ेगा।
भारत, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में भी “No Kings” आंदोलन पर चर्चा हो रही है।


लोकतंत्र का असली इम्तिहान

“No Kings” आंदोलन और ट्रंप की प्रतिक्रिया, दोनों ही अमेरिका की राजनीतिक संस्कृति के बदलते स्वरूप को दिखाते हैं।
ट्रंप के लिए यह राजनीतिक चुनौती है, जबकि नागरिकों के लिए यह लोकतंत्र के मूल्यों की परीक्षा।

एक ओर जनता कह रही है —

“हम राजा नहीं चाहते, हमें लोकतंत्र चाहिए।”
दूसरी ओर ट्रंप कह रहे हैं —
“ये सब झूठ है, ये मेरा अपमान है।”

अमेरिका का भविष्य अब इस बात पर निर्भर करेगा कि कौन-सी आवाज़ ज़्यादा मज़बूती से गूंजती है — जनता की या सत्ता की।


🔹 FAQs

1. ‘No Kings’ आंदोलन क्या है?
यह अमेरिकी नागरिकों द्वारा लोकतंत्र की रक्षा और राजनीतिक सत्तावाद के विरोध में चलाया गया अभियान है।

2. डोनाल्ड ट्रंप ने इस पर क्या कहा?
ट्रंप ने इसे “मज़ाक” बताया और कहा कि यह “कट्टरपंथी वामपंथियों द्वारा फंड किया गया प्रदर्शन” है।

3. क्या ट्रंप के आरोपों का कोई प्रमाण है?
अब तक कोई आधिकारिक प्रमाण सामने नहीं आया है जो इन आरोपों की पुष्टि करता हो।

4. क्या इस आंदोलन का असर आगामी चुनावों पर पड़ेगा?
विशेषज्ञों का मानना है कि यह आंदोलन 2025 के चुनावों में राजनीतिक माहौल को प्रभावित कर सकता है।

5. अमेरिकी जनता की राय क्या है?
देश बँटा हुआ है — कुछ इसे लोकतंत्र की आवाज़ मानते हैं, तो कुछ इसे राजनैतिक नाटक बताते हैं।

Share

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

UAE के पूर्वी इलाकों में भारी बारिश के बाद चट्टानों का गिरना और सड़क बाधाएं

UAE के पूर्वी क्षेत्र में भारी बारिश के बाद चट्टानों के गिरने,...

Paris-Louvre Museum में चोरी की बड़ी वारदात, पुलिस जांच जारी

Paris’ Louvre Museum में चोरों ने सुबह के समय करीब सात मिनट...

हांगकांग एयरपोर्ट पर बड़ा हादसा: दुबई से आया कार्गो विमान समुद्र में गिरा, दो की मौत

हांगकांग इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर दुबई से आया Boeing 747 कार्गो विमान लैंडिंग...