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ट्रंप का दावा: भारत-पाक युद्ध रोकने का दावा, कहा- सात लड़ाकू विमान मार गिराए थे

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Donald Trump India Pakistan claim
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डोनाल्ड ट्रंप ने फिर दावा किया है कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध रोका था और सात विमान मार गिराए थे। जानें इस दावे की सच्चाई, बालाकोट एयर स्ट्राइक का कनेक्शन और भारत की प्रतिक्रिया।

ट्रंप ने फिर दोहराया भारत-पाक मध्यस्थता का दावा, जानें क्या है पूरा मामला

ट्रंप का दावा: क्या सच में भारत-पाक युद्ध रोकने और सात विमान मार गिराने जैसा कुछ हुआ था?

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर सुर्खियों में हैं। एक बार फिर उन्होंने एक ऐसा दावा किया है जिसने भारत-पाकिस्तान संबंधों पर एक नई बहस छेड़ दी है। एक सार्वजनिक सभा को संबोधित करते हुए ट्रंप ने दावा किया कि भारत और पाकिस्तान के बीच एक बार युद्ध छिड़ने वाला था, जिसे उन्होंने अपनी मध्यस्थता से टाल दिया। उन्होंने यह भी कहा कि इस दौरान सात लड़ाकू विमान मार गिराए गए थे।

यह पहली बार नहीं है जब ट्रंप ने भारत-पाकिस्तान के मामले में अपनी भूमिका के बारे में इस तरह के विवादास्पद बयान दिए हैं। लेकिन हर बार की तरह इस बार भी सवाल उठ रहे हैं कि क्या ट्रंप के ये दावे तथ्यों पर आधारित हैं या फिर ये उनकी राजनीतिक छवि को मजबूत करने का एक जरिया है? आइए, इस पूरे मामले की पड़ताल करते हैं और जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर सच्चाई क्या है।

ट्रंप ने क्या कहा? दावे की बारीकियां

ट्रंप ने अपने भाषण में जिस घटना का जिक्र किया, वह स्पष्ट रूप से वर्ष 2019 के भारत-पाकिस्तान तनाव की ओर इशारा करती है। उनके बयान के मुख्य अंश कुछ इस प्रकार थे:

  • युद्ध की चेतावनी: ट्रंप ने कहा कि भारत के एक “बहुत ही उच्च पदस्थ मंत्री” ने उन्हें फोन करके बताया कि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ने वाला है।
  • सात विमानों का दावा: उन्होंने दावा किया कि इस संघर्ष के दौरान “सात विमान” मार गिराए गए थे। उन्होंने स्पष्ट नहीं किया कि ये विमान किस देश के थे या यह घटना कब हुई।
  • मध्यस्थता का दावा: ट्रंप ने अपनी भूमिका को Highlight करते हुए कहा कि उन्होंने भारत के उस मंत्री से कहा कि वह इस मामले को सुलझाने में मदद करना चाहते हैं, और इस तरह उन्होंने एक बड़े युद्ध को टाल दिया।

यह दावा नया नहीं है। ट्रंप ने 2020 में भी लगभग इसी तरह का एक बयान दिया था, जिसका उस समय भारत सरकार ने खंडन किया था।

2019 का वह दौर: पुलवामा से बालाकोट तक का सफर

ट्रंप के दावे को समझने के लिए 2019 की उन घटनाओं को याद करना जरूरी है, जिन्होंने भारत-पाकिस्तान संबंधों में सबसे बड़ा तनाव पैदा किया था।

  • पुलवामा हमला (14 फरवरी 2019): जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर आत्मघाती हमला हुआ, जिसमें 40 से अधिक जवान शहीद हुए। इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली।
  • बालाकोट एयर स्ट्राइक (26 फरवरी 2019): इस हमले का जवाब देते हुए भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा स्थित बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ठिकानों पर हवाई हमला किया। भारत ने दावा किया कि यह हमला एक “पूर्व-emptive non-military strike” था और इसमें बड़ी संख्या में आतंकवादी मारे गए।
  • पाकिस्तान की कार्रवाई (27 फरवरी 2019): अगले दिन, पाकिस्तानी वायु सेना ने जवाबी कार्रवाई करते हुए भारतीय वायु सीमा का उल्लंघन किया। इस दौरान दोनों देशों के विमानों के बीच मुठभेड़ हुई।
  • विंग कमांडर अभिनंदन का विमान: इस मुठभेड़ में भारत के एक MiG-21 Bison विमान (विंग कमांडर अभिनंदन वर्थमान द्वारा संचालित) को गिराया गया और उन्हें पाकिस्तान ने बंदी बना लिया। भारत ने भी दावा किया कि उसके पायलट ने एक पाकिस्तानी F-16 विमान मार गिराया था, हालांकि पाकिस्तान ने इससे इनकार किया।

तथ्य बनाम दावा: ट्रंप के बयान का विश्लेषण

अब हम ट्रंप के दावों का आधिकारिक रूप से ज्ञात तथ्यों के साथ मिलान करते हैं।

ट्रंप का दावातथ्य और विश्लेषण
“भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ने वाला था।”आंशिक रूप से सही: फरवरी 2019 में दोनों देशों के बीच तनाव अपने चरम पर था और सैन्य टकराव हुआ था। हालांकि, एक पूर्ण पैमाने का युद्ध (full-scale war) छिड़ना एक अलग बात है, और ऐसा नहीं हुआ।
“सात विमान मार गिराए गए।”गलत / अतिशयोक्ति: आधिकारिक रूप से, दोनों देशों ने केवल एक-एक विमान के गिराए जाने की ही पुष्टि की है। भारत ने अपना एक MiG-21 गिराया जाना माना, और पाकिस्तान ने भी एक विमान के गिराए जाने की बात कही (जो शायद वही MiG-21 था)। “सात विमान” का दावा किसी भी आधिकारिक स्रोत से पुष्टि नहीं हुआ है।
“भारत के एक उच्च पदस्थ मंत्री ने फोन किया।”खंडित: 2020 में जब ट्रंप ने पहली बार ऐसा दावा किया था, तब भारत के तत्कालीन विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने स्पष्ट रूप से कहा था कि उस समय उन्होंने अमेरिका के किसी व्यक्ति को फोन नहीं किया था और भारत ने किसी से मध्यस्थता की अपील नहीं की थी।
“मैंने युद्ध रोका।”संदेहास्पद: भारत ने हमेशा से ही कश्मीर मसले पर किसी भी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता का सख्त विरोध किया है। यह भारत की लंबे समय से चली आ रनी विदेश नीति का हिस्सा रहा है। ऐसे में, ट्रंप की मध्यस्थता का दावा भारत की नीति के विपरीत लगता है।

भारत की प्रतिक्रिया और स्टैंड

भारत ने ट्रंप के पहले के समान दावों पर हमेशा स्पष्ट और सख्त रुख अपनाया है। भारत का मुख्य बिंदु हमेशा यही रहा है:

  • कोई मध्यस्थता नहीं: भारत, पाकिस्तान के साथ किसी भी मुद्दे को द्विपक्षीय तरीके से सुलझाने पर जोर देता है। भारत किसी भी तीसरे देश को इस प्रक्रिया में शामिल नहीं होने देना चाहता।
  • तथ्यात्मक त्रुटियां: भारत सरकार ने ट्रंप के “सात विमान” जैसे दावों को कभी भी स्वीकार नहीं किया है और ये आधिकारिक रिकॉर्ड से मेल नहीं खाते।
  • संप्रभुता का मुद्दा: भारत की रणनीति यह रही है कि वह सीधे तौर पर ट्रंप का खंडन करने के बजाय, अपनी स्थिति को स्पष्ट कर दे। इससे अमेरिका के साथ रिश्ते भी खराब नहीं होते और भारत की संप्रभुता भी कायम रहती है।

अमेरिकी राजनीति में ट्रंप के एजेंडे का असर

विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप के ऐसे बयानों का उनकी घरेलू राजनीति से गहरा संबंध है।

  • ‘स्ट्रांग लीडर’ इमेज: ट्रंप हमेशा से अपनी छवि एक सशक्त और दुनिया की समस्याओं को सुलझाने वाले नेता के रूप में बनाना चाहते हैं। भारत-पाकिस्तान जैसे जटिल मसले पर अपनी भूमिका बताना उनके इस एजेंडे को आगे बढ़ाता है।
  • चुनावी माहौल: अमेरिका में एक बार फिर चुनावी माहौल गर्माया हुआ है। ऐसे में, ट्रंप के लिए ऐसे दावे उनके समर्थकों के बीच अपनी विदेश नीति की सफलता के उदाहरण के तौर पर काम करते हैं।
  • अतिशयोक्ति का चलन: ट्रंप के भाषणों में अतिशयोक्ति (Exaggeration) एक आम बात रही है। “सात विमान” का दावा भी इसी रुझान का हिस्सा माना जा रहा है।

राजनीति और कूटनीति की उलझन

डोनाल्ड ट्रंप के दावे एक बार फिर उस पेचीदगी को दिखाते हैं जब अंतरराष्ट्रीय संबंध घरेलू राजनीति के नजरिए से देखे जाते हैं। जहां तथ्य महत्वपूर्ण हैं, वहीं नैरेटिव बनाने की कोशिशें भी उतनी ही तेज होती हैं।

भारत के लिए, यह मामला सिर्फ एक पूर्व राष्ट्रपति के बयान से कहीं आगे की बात है। यह भारत की उस स्थिति का एक टेस्ट केस है, जहां वह किसी भी बाहरी हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं करता। ट्रंप के दावे चाहे जो भी हों, भारत ने लगातार यह संदेश दिया है कि वह अपने मामलों को खुद सुलझाने में सक्षम है और उसे किसी मध्यस्थ की जरूरत नहीं है। आने वाले समय में, जैसे-जैसे अमेरिकी चुनाव नजदीक आएंगे, हो सकता है कि ऐसे और भी बयान सामने आएं, और भारत को अपनी स्थिति को और स्पष्ट तरीके से रखने की जरूरत पड़े।


पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

1. क्या ट्रंप का भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता का दावा सही है?
भारत सरकार ने लगातार इस बात से इनकार किया है कि उसने कभी अमेरिका या किसी अन्य देश से मध्यस्थता की मांग की हो। भारत की लंबे समय से चली आ रही नीति द्विपक्षीय मुद्दों को पाकिस्तान के साथ सीधी बातचीत से सुलझाने की रही है।

2. 2019 की मुठभेड़ में वास्तव में कितने विमान मार गिराए गए थे?
आधिकारिक तौर पर, इस घटना में केवल एक भारतीय MiG-21 विमान गिराया गया, जिसके पायलट विंग कमांडर अभिनंदन थे। भारत ने दावा किया था कि उसने एक पाकिस्तानी F-16 विमान मार गिराया, लेकिन पाकिस्तान ने इसकी पुष्टि नहीं की। “सात विमान” का आंकड़ा किसी भी आधिकारिक स्रोत में दर्ज नहीं है।

3. भारत सरकार ने ट्रंप के दावों पर क्या प्रतिक्रिया दी है?
पहले ऐसे दावों पर, तत्कालीन विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने स्पष्ट किया था कि भारत ने किसी से मध्यस्थता की अपील नहीं की थी। इस नए दावे पर अभी तक आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन भारत का रुख स्पष्ट और स्थिर है कि वह किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को स्वीकार नहीं करता।

4. क्या अमेरिका ने 2019 के तनाव के दौरान कोई भूमिका निभाई थी?
अमेरिका ने उस समय दोनों देशों से शांति और संयम बरतने की अपील की थी, जैसा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के अधिकतर देशों ने किया था। लेकिन एक “मध्यस्थ” या “समस्या-समाधानकर्ता” की भूमिका निभाने का दावा केवल ट्रंप द्वारा ही किया गया है।

5. क्या ट्रंप के ये दावे भारत-अमेरिका संबंधों को प्रभावित कर सकते हैं?
भारत-अमेरिका संबंध रणनीतिक और बहुआयामी हैं। एक पूर्व राष्ट्रपति के एक विवादास्पद बयान से द्विपक्षीय संबंधों पर सीधा असर होने की संभावना कम है। भारत सरकार आमतौर पर ऐसे मामलों में तथ्यों को स्पष्ट करके आगे बढ़ जाती है, जिससे रिश्ते प्रभावित न हों।

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