रूस में फँसे चार भारतीयों की मदद की माँग करते हुए असदुद्दीन ओवैसी ने केंद्र सरकार से तत्काल कार्रवाई की अपील की है। यह मामला भारत-रूस संबंधों और विदेश नीति पर नए सवाल खड़े करता है।
चार भारतीय रूस में फँसे: ओवैसी ने केंद्र से तुरंत कार्रवाई की माँग की
रूस में फँसे भारतीयों की वापसी की ओवैसी की माँग
भारत की घरेलू राजनीति और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के बीच एक नया मुद्दा सामने आया है — रूस में फँसे चार भारतीय नागरिकों की सुरक्षा और वापसी। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने हाल ही में विदेश मंत्रालय से इन भारतीयों को तुरंत वापस लाने की माँग की है।
यह मामला सिर्फ चार नागरिकों का नहीं, बल्कि उस मानवीय और कूटनीतिक संतुलन का प्रतीक है जिसे भारत रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान लगातार बनाए रखने की कोशिश कर रहा है।
ओवैसी का बयान: सरकार से मानवीय दृष्टिकोण अपनाने की अपील
हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने अपने आधिकारिक X (Twitter) अकाउंट पर एक पोस्ट जारी कर कहा कि चार भारतीय नागरिक रूस में “फँसे हुए” हैं और वे “सुरक्षा संकट” का सामना कर रहे हैं। ओवैसी ने यह भी आरोप लगाया कि इन युवकों को रूस में युद्ध क्षेत्र में भर्ती किए जाने का डर है, और भारतीय दूतावास को तत्काल हस्तक्षेप करना चाहिए।
“सरकार को चाहिए कि वह इन युवकों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करे। भारत के नागरिक किसी भी परिस्थिति में किसी विदेशी संघर्ष का हिस्सा नहीं बनने चाहिए,” — असदुद्दीन ओवैसी
उनके इस बयान के बाद विपक्षी दलों ने सरकार से सवाल किया कि क्या भारत अपने नागरिकों की सुरक्षा को लेकर पर्याप्त सतर्क है, विशेषकर ऐसे समय में जब रूस-यूक्रेन युद्ध अब भी जारी है।
भारत सरकार की प्रतिक्रिया: MEA का आधिकारिक बयान
विदेश मंत्रालय (MEA) ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भारतीय दूतावास स्थिति पर “करीबी नज़र” रखे हुए है और रूस में फँसे भारतीय नागरिकों की पहचान व लोकेशन की प्रक्रिया चल रही है।
MEA ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत अपने नागरिकों की सुरक्षा को “सर्वोच्च प्राथमिकता” देता है और रूस सरकार के साथ संपर्क में है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने कहा —
“हमने रूस में फँसे चार भारतीयों से संबंधित जानकारी प्राप्त की है। भारतीय दूतावास इस मुद्दे पर स्थानीय अधिकारियों से संपर्क में है। नागरिकों की सुरक्षा हमारी शीर्ष प्राथमिकता है।”
टेबल: रूस में फँसे भारतीय नागरिकों की स्थिति (अनुमानित)
राज्य / क्षेत्र | प्रभावित नागरिकों की संख्या | स्थिति | MEA की प्रतिक्रिया |
---|---|---|---|
पंजाब | 2 | रूसी सैन्य क्षेत्र में फँसे | रूस से संपर्क स्थापित |
हरियाणा | 1 | वर्क वीज़ा पर गया, अब फँसा | स्थानीय दूतावास से बातचीत जारी |
उत्तर प्रदेश | 1 | अनुबंध विवाद में अटका | MEA द्वारा सहायता अनुरोध भेजा गया |
कुल | 4 | – | सुरक्षा सुनिश्चित करने की प्रक्रिया जारी |
स्रोत: मीडिया रिपोर्ट्स और MEA ब्रीफिंग (अक्टूबर 2025)
रूस-यूक्रेन युद्ध और विदेशी नागरिकों की भूमिका
रूस-यूक्रेन युद्ध ने केवल दोनों देशों को नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय श्रम बाजार को भी प्रभावित किया है। रूस में पिछले एक वर्ष में कई देशों के नागरिकों को वर्क वीज़ा के तहत बुलाया गया, जिनमें भारत, नेपाल, श्रीलंका, और बांग्लादेश शामिल हैं।
कुछ रिपोर्टों के अनुसार, इन वीज़ा धारकों को “अनजाने में” रूसी सेना या संबद्ध कार्यों में लगाया गया, जिससे मानवीय संकट की स्थिति बनी।
भारत ने पहले भी रूस से इस मुद्दे पर “कूटनीतिक नोट” जारी किया था जिसमें कहा गया था कि भारतीय नागरिकों को किसी भी सैन्य संघर्ष में शामिल नहीं किया जाना चाहिए।
भारत-रूस संबंधों का संतुलन: ऐतिहासिक गहराई और वर्तमान चुनौती
भारत और रूस के बीच दशकों पुराने रणनीतिक संबंध हैं — रक्षा, ऊर्जा, और अंतरिक्ष सहयोग से लेकर वैश्विक मंचों पर राजनीतिक समर्थन तक।
लेकिन यूक्रेन युद्ध ने इस संबंध को एक नए मोड़ पर ला खड़ा किया है। भारत ने ‘Neutral but Concerned’ नीति अपनाई — न तो रूस की खुली आलोचना की और न ही यूक्रेन का खुला समर्थन।
ऐसे में रूस में फँसे भारतीयों का मुद्दा एक कूटनीतिक कसौटी बन गया है — जहाँ भारत को अपने नागरिकों की सुरक्षा भी सुनिश्चित करनी है और रूस के साथ अपने संबंधों को भी संतुलित रखना है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
ओवैसी के बयान ने भारतीय राजनीति में एक नई बहस छेड़ दी है —
क्या भारत सरकार विदेशी संकटों में अपने नागरिकों की सुरक्षा को लेकर पर्याप्त तत्पर है?
विपक्षी दलों का कहना है कि विदेश नीति में “मानवीय दृष्टिकोण” की कमी दिखाई देती है।
वहीं भाजपा प्रवक्ता ने प्रतिक्रिया दी कि यह “एक संवेदनशील कूटनीतिक मामला” है, और ओवैसी को इसे राजनीतिक मुद्दा नहीं बनाना चाहिए।
कई विदेश नीति विशेषज्ञों के अनुसार, यह मामला भारत की कूटनीतिक लचीलापन और उसकी नागरिक-केंद्रित नीति दोनों की परीक्षा है।
प्रो. राजेश राजगोपालन (JNU) के शब्दों में —
“भारत रूस से ऐतिहासिक रूप से जुड़ा रहा है। लेकिन नागरिक सुरक्षा जैसे मानवीय विषयों पर हमें स्पष्ट और सख्त नीति अपनानी होगी। यह केवल कूटनीति का नहीं, नैतिक जिम्मेदारी का प्रश्न है।”
अंतरराष्ट्रीय कानून और मानवीय जिम्मेदारी
संयुक्त राष्ट्र के International Convention on the Protection of Migrant Workers के अनुसार, किसी भी देश को यह सुनिश्चित करना होता है कि विदेशी नागरिकों को जबरन सैन्य सेवा या खतरनाक परिस्थितियों में काम के लिए बाध्य न किया जाए।
यदि भारत यह साबित करता है कि उसके नागरिकों के साथ ऐसा व्यवहार हुआ, तो रूस को अंतरराष्ट्रीय जवाबदेही का सामना करना पड़ सकता है।
सम्भावित समाधान और आगे की राह
- राजनयिक संवाद का विस्तार — भारत को रूस के साथ एक विशेष तंत्र बनाना चाहिए जो भारतीय नागरिकों के मामलों पर त्वरित प्रतिक्रिया दे सके।
- वर्क वीज़ा निगरानी प्रणाली — MEA और श्रम मंत्रालय को मिलकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भारतीय श्रमिक सुरक्षित अनुबंधों के तहत ही विदेश भेजे जाएँ।
- संकट-प्रबंधन फंड — ऐसे मामलों में तुरंत राहत पहुँचाने के लिए एक “Overseas Emergency Relief Fund” सक्रिय रूप से लागू किया जा सकता है।
- मीडिया पारदर्शिता — सरकार को समय-समय पर अपडेट साझा करने चाहिए ताकि अफवाहों को रोका जा सके।
रूस में फँसे चार भारतीयों का मुद्दा केवल एक मानवीय अपील नहीं है, बल्कि यह भारत की वैश्विक भूमिका और विदेश नीति के प्रति उसकी संवेदनशीलता की परीक्षा भी है।
ओवैसी की माँग ने इस प्रश्न को जनता के सामने ला दिया है कि —
“क्या भारत अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय मंचों पर और मुखर हो सकता है, बिना अपने रणनीतिक साझेदारों से संबंध बिगाड़े?”
भविष्य में यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत इस संतुलन को कैसे बनाए रखता है —
मानवीय जिम्मेदारी और कूटनीतिक वास्तविकता के बीच।
FAQs
1. रूस में फँसे भारतीय कौन हैं और उनकी संख्या कितनी है?
वर्तमान में चार भारतीयों के रूस में फँसे होने की पुष्टि हुई है। ये सभी विभिन्न राज्यों से हैं और वर्क वीज़ा पर गए थे।
2. ओवैसी ने सरकार से क्या माँग की है?
उन्होंने विदेश मंत्रालय से तुरंत हस्तक्षेप कर इन नागरिकों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने की अपील की है।
3. भारत सरकार ने क्या कदम उठाए हैं?
MEA ने कहा है कि भारतीय दूतावास रूस में स्थानीय अधिकारियों के संपर्क में है और नागरिकों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है।
4. क्या यह मामला रूस-यूक्रेन युद्ध से जुड़ा है?
अप्रत्यक्ष रूप से हाँ। कुछ रिपोर्टों में कहा गया है कि वर्क वीज़ा धारकों को युद्ध क्षेत्र के समीप तैनात किया गया, जिससे यह मानवीय संकट उत्पन्न हुआ।
5. भारत-रूस संबंधों पर इसका क्या असर पड़ेगा?
संभावना है कि यह मामला दोनों देशों के बीच संवाद को प्रभावित न करे, लेकिन भारत को भविष्य में नागरिक सुरक्षा के मुद्दों पर अधिक सजग रहना होगा।
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