बिहार विधानसभा चुनाव से पहले INDIA गठबंधन के भीतर सीट शेयरिंग और नेतृत्व को लेकर असहमति बढ़ी है। तेजस्वी यादव की दावेदारी और सहयोगी दलों की नाराज़गी ने विपक्ष की एकता पर सवाल खड़े किए हैं।
बिहार चुनाव: INDIA गठबंधन में बढ़ती दरारें, क्या विपक्ष एकजुट रह पाएगा?
बिहार की राजनीति एक बार फिर चर्चा में है। इस बार मुद्दा जनता के बीच नहीं, बल्कि विपक्षी गठबंधन INDIA ब्लॉक के अंदर गहराई तक बैठी असहमति का है।
जहाँ एक ओर राष्ट्रीय स्तर पर यह गठबंधन नरेंद्र मोदी सरकार को चुनौती देने का दावा करता रहा है, वहीं बिहार में इसकी चुनावी रणनीति फिलहाल असमंजस में है।
सीट शेयरिंग का विवाद
सबसे बड़ा विवाद सीट शेयरिंग (Seat Sharing) को लेकर उभरा है।
राजद (RJD) चाहता है कि चूँकि उसका जनाधार सबसे मज़बूत है, इसलिए विधानसभा की लगभग 60% सीटें उसे मिलनी चाहिए। वहीं कांग्रेस और वाम दल (CPI, CPI(ML), CPI(M)) इस प्रस्ताव से असहमत हैं।
सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस 70–80 सीटों की माँग कर रही है, जबकि राजद उसे 50 सीटों से ज़्यादा देने के पक्ष में नहीं है। यही मतभेद धीरे-धीरे सार्वजनिक विवाद का रूप ले चुका है।
तेजस्वी यादव की दावेदारी
राजद ने स्पष्ट संकेत दिए हैं कि अगर INDIA गठबंधन को बिहार में जीत मिलती है, तो तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया जाएगा।
हालाँकि, कांग्रेस और कुछ वाम दलों ने कहा है कि “अभी इस पर फैसला करना जल्दबाज़ी होगी।”
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा:
“हमारा लक्ष्य भाजपा को हराना है, न कि पहले से पद बाँट लेना।”
लेकिन RJD की रणनीति अलग है — वह तेजस्वी को युवा चेहरा बनाकर बिहार की राजनीति में अपने दबदबे को फिर से स्थापित करना चाहता है।
आंतरिक विद्रोह और क्षेत्रीय असंतोष
INDIA ब्लॉक के भीतर स्थानीय स्तर पर भी बगावत के संकेत मिल रहे हैं।
कई छोटे दलों के नेता खुले तौर पर कह चुके हैं कि उन्हें “सम्मानजनक सीट” नहीं मिल रही।
CPI(ML) के कुछ कार्यकर्ताओं ने हाल ही में पटना में प्रदर्शन करते हुए कहा:
“हम गठबंधन के साझेदार हैं, मेहमान नहीं।”
इस तरह की बयानबाज़ी से यह साफ है कि विपक्षी एकता के भीतर कई दरारें बन चुकी हैं।
भाजपा का पलटवार
भाजपा इस स्थिति का पूरा फायदा उठाने में जुटी है। पार्टी प्रवक्ता ने कहा:
“जो लोग देश को बचाने निकले थे, वे खुद अपनी पार्टी नहीं संभाल पा रहे। यह गठबंधन अवसरवाद पर बना है, सिद्धांतों पर नहीं।”
भाजपा ने अपने गठबंधन (NDA) को “स्थिर और सशक्त” बताते हुए कहा कि जनता “असली विकल्प” देख रही है।
INDIA गठबंधन की कमजोर कड़ी
राजनीतिक विश्लेषक डॉ. अरुण त्रिपाठी के अनुसार,
“INDIA ब्लॉक का सबसे बड़ा संकट यह है कि इसका कोई एक स्पष्ट नेतृत्व नहीं है। राष्ट्रीय स्तर पर भी और राज्यों में भी — सभी दल अपने-अपने हित के हिसाब से चलते हैं।”
यह गठबंधन आदर्श रूप में एक “आइडियोलॉजिकल कोऑलिशन” नहीं बल्कि “इलेक्टोरल एडजस्टमेंट” बन गया है।
बिहार जैसे राज्यों में जहाँ जातीय समीकरण बहुत अहम होते हैं, वहाँ ऐसी असहमति चुनाव परिणामों को गहराई से प्रभावित कर सकती है।
बिहार का राजनीतिक गणित
बिहार की राजनीति हमेशा जातीय समीकरणों, गठबंधनों और छवि के इर्द-गिर्द घूमती रही है।
2015 में महागठबंधन (RJD + JD(U) + Congress) ने भाजपा को हराया था, लेकिन 2017 में नीतीश कुमार के पलटवार से समीकरण बदल गए।
अब 2025 के चुनाव में INDIA गठबंधन का मुख्य लक्ष्य भाजपा और NDA को रोकना है।
वर्ष | प्रमुख गठबंधन | प्रमुख दल | परिणाम |
---|---|---|---|
2015 | महागठबंधन | RJD, JD(U), Congress | जीता |
2020 | NDA | BJP, JD(U) | जीता |
2025 (अनुमानित) | INDIA Bloc | RJD, Congress, CPI(ML) आदि | आंतरिक असहमति से चुनौतीपूर्ण |
जनता का मूड
पटना, गया और दरभंगा में किए गए हालिया सर्वे बताते हैं कि जनता अभी भी महंगाई और बेरोज़गारी से परेशान है, लेकिन विपक्ष के “एकता संदेश” को लेकर संशय में है।
कई मतदाताओं का कहना है कि विपक्षी दल “अपने आपसी मतभेद सुलझा लें, तभी भरोसा बनेगा।”
कांग्रेस की दुविधा
कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वह राष्ट्रीय नेतृत्व के तहत गठबंधन की “बड़ी बहन” है, लेकिन बिहार में उसका संगठन कमजोर है।
RJD उसे सीमित सीटें देकर भी यह संदेश देना चाहती है कि वह राज्य की राजनीति की मुख्य धुरी है।
इससे दोनों दलों के बीच “असमान शक्ति समीकरण” उभरता है।
विपक्षी रणनीति पर असर
इस विवाद का असर सिर्फ बिहार तक सीमित नहीं रहेगा।
अगर INDIA ब्लॉक बिहार में एकजुट होकर नहीं उतरता, तो इसका संकेत पश्चिम बंगाल, झारखंड और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में भी जाएगा — जहाँ विपक्ष को भाजपा से सीधी टक्कर लेनी है।
विशेषज्ञ दृष्टिकोण
दिल्ली विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञानी प्रो. नीलिमा मिश्रा कहती हैं:
“विपक्ष की ताकत उसके विविधता में है, लेकिन वही उसकी कमजोरी भी है। बिहार जैसे राज्य में व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाएँ अक्सर सामूहिक लक्ष्य को पीछे छोड़ देती हैं।”
अक्टूबर में गठबंधन की एक अहम बैठक होने वाली है जहाँ सीट बंटवारे पर अंतिम फैसला होना है।
कई नेताओं ने संकेत दिए हैं कि यदि समझौता नहीं हुआ, तो कुछ छोटे दल स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने पर विचार कर सकते हैं।
राजद की ओर से कहा गया है कि “जो गठबंधन में रहना चाहता है, उसका स्वागत है; जो नहीं, वह अपनी राह चुने।”
बिहार में INDIA गठबंधन का भविष्य इस बात पर निर्भर करेगा कि वह आंतरिक मतभेदों को कितनी जल्दी सुलझा पाता है।
अगर ये विवाद लंबा चला, तो जनता के बीच यह संदेश जाएगा कि विपक्ष “एकजुट होकर शासन नहीं कर सकता।”
2025 के चुनाव से पहले यह गठबंधन एक निर्णायक मोड़ पर है —
जहाँ एक ओर “सिद्धांत की राजनीति” की बात है, वहीं दूसरी ओर “सत्ता की आकांक्षा” का संघर्ष भी।
🔹 FAQs
1. INDIA ब्लॉक में बिहार के प्रमुख दल कौन हैं?
राजद, कांग्रेस, CPI, CPI(ML), CPI(M) और कुछ छोटे दल इसमें शामिल हैं।
2. सबसे बड़ा विवाद किस मुद्दे पर है?
सीट शेयरिंग और मुख्यमंत्री पद के दावेदार को लेकर मतभेद।
3. क्या तेजस्वी यादव को आधिकारिक रूप से CM उम्मीदवार घोषित किया गया है?
अभी नहीं, लेकिन RJD ने उन्हें प्राथमिक चेहरा माना है।
4. क्या यह विवाद गठबंधन तोड़ सकता है?
संभावना कम है, लेकिन स्थानीय स्तर पर कुछ दल अलग राह चुन सकते हैं।
5. भाजपा को इसका क्या फायदा हो सकता है?
विपक्ष की असहमति से भाजपा को “स्थिरता और एकता” का संदेश जनता तक पहुँचाने का मौका मिलेगा।
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