Kanha Tiger Reserve सिर्फ बाघों के लिए ही नहीं, बल्कि कई दुर्लभ जानवरों के लिए मशहूर है। जानें यहाँ देखने लायक 10 रेयर Animal के बारे में – रॉयल बंगाल Tiger, हार्डग्राउंड बारहसिंघा, इंडियन लियोपार्ड, स्लॉथ बीयर और भी बहुत कुछ। जानिए इनकी खास बातें।
Kanha Tiger Reserve में देखने के लिए 10 दुर्लभ जानवर
रॉयल बंगाल Tiger से लेकर स्वाम्प डीर तक
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});कान्हा टाइगर रिजर्व, मध्य प्रदेश, भारत के सबसे बड़े और सबसे खूबसूरत राष्ट्रीय उद्यानों में से एक है। अक्सर लोग इसे सिर्फ बाघों के लिए जानते हैं, लेकिन कान्हा की जैव विविधता इससे कहीं ज्यादा समृद्ध है। यह पार्क ‘किपलिंग कंट्री’ के नाम से मशहूर है, जहाँ रुडयार्ड किपलिंग की प्रसिद्ध किताब ‘द जंगल बुक’ की पृष्ठभूमि मानी जाती है।
अगर आप कान्हा की सफारी की योजना बना रहे हैं, तो सिर्फ बाघ की तलाश में ही न रहें। यहाँ की सैर तब तक अधूरी है जब तक आप इन 10 दुर्लभ और आकर्षक जानवरों को नहीं देख लेते। आइए, एक-एक करके जानते हैं कान्हा के इन खास निवासियों के बारे में।
1. रॉयल बंगाल टाइगर (Royal Bengal Tiger) – जंगल का बादशाह
बेशक, यह सूची बाघ के बिना शुरू नहीं हो सकती। कान्हा टाइगर रिजर्व में बाघों की एक स्वस्थ आबादी है।
- कैसे पहचानें: नारंगी-पीली त्वचा पर काले धारियाँ, शक्तिशाली शरीर, और मजबूत जबड़े।
- देखने की संभावना: कान्हा, किसली, और मुक्की ज़ोन में अच्छी देखने की संभावना है। सुबह और शाम का समय सबसे अच्छा होता है।
- खास बात: कान्हा के बाघ अपने आकार और स्वास्थ्य के लिए जाने जाते हैं, जो यहाँ के विशाल घास के मैदानों और शिकार की पर्याप्त उपलब्धता का नतीजा है।
2. हार्डग्राउंड बारहसिंघा (Hardground Barasingha) – कान्हा की शान
इसे ‘कान्हा का गौरव’ भी कहा जाता है। यह हिरण की एक ऐसी प्रजाति है जो दुनिया में और कहीं नहीं पाई जाती। एक समय यह विलुप्ति के कगार पर था, लेकिन कान्हा के संरक्षण efforts ने इसे बचा लिया।
- कैसे पहचानें: नर के सींगों में 10 से 14 टाइन (शाखाएं) होती हैं, इसलिए इसे ‘बारहसिंघा’ (बारह सींग वाला) कहते हैं। इसका रंग हल्का भूरा होता है।
- देखने की संभावना: कान्हा के घास के मैदानों (मैदानों) में, खासकर बमनी दादर इलाके में आसानी से देखे जा सकते हैं।
- खास बात: यह दुनिया में सिर्फ कान्हा में पाया जाता है और यहीं की ‘हार्डग्राउंड’ (सख्त जमीन) के लिए अनुकूलित है।
3. इंडियन लियोपार्ड (Indian Leopard) – छुपने का उस्ताद
बाघ की छाया में रहने वाला यह शिकारी उतना ही खूबसूरत और मायावी है। बाघ की तुलना में इसे देख पाना थोड़ा मुश्किल होता है।
- कैसे पहचानें: शरीर पर गुलाबी आकार के काले धब्बे (रोज़ेट्स), बाघ से छोटा आकार, और पेड़ों पर चढ़ने में माहिर।
- देखने की संभावना: यह घने जंगलों और चट्टानी इलाकों में रहना पसंद करते हैं। इन्हें अक्सर पेड़ों की डालियों पर आराम करते देखा जा सकता है।
- खास बात: लियोपार्ड बेहद चुपके और अनुकूलनीय शिकारी हैं, जो बाघों से बचने के लिए रात में ज्यादा सक्रिय रहते हैं।
4. स्लॉथ बीयर (Sloth Bear) – शहद का दीवाना
इसके नाम के बावजूद, स्लॉथ बीयर आलसी नहीं होता। यह एक सक्रिय और कभी-कभी आक्रामक प्राणी हो सकता है।
- कैसे पहचानें: लंबे और घुंघराले काले बाल, लंबी और मोबाइल थूथन, और सफेद या क्रीम रंग का ‘V’ आकार का निशान छाती पर।
- देखने की संभावना: इन्हें अक्सर जंगल में चीटियों या दीमकों के बंबों को खोदते हुए देखा जा सकता है। रात के समय में इनके देखे जाने की संभावना ज्यादा होती है।
- खास बात: यह अपनी लंबी पंजों से मधुमक्खियों के छत्ते तोड़कर शहद खाने के लिए जाने जाते हैं।
5. इंडियन वाइल्ड डॉग (Dhole) – सामूहिक शिकारी
इसे ‘धोल’ या ‘जंगली कुत्ता’ भी कहते हैं। यह एक लुप्तप्राय प्रजाति है और कान्हा में इनके झुंड देखे जा सकते हैं।
- कैसे पहचानें: लाल-भूरे रंग का कोट, गोल कान, और एक सफेद-रंग की पूंछ। यह भेड़िये से छोटे होते हैं।
- देखने की संभावना: यह झुंड में रहते हैं और दिन के समय सक्रिय रहते हैं। इन्हें देखना एक दुर्लभ और रोमांचकारी अनुभव है।
- खास बात: धोल बेहद कुशल सामूहिक शिकारी हैं। यह बड़े से बड़े शिकार (जैसे हिरण या जंगली सूअर) का पीछा करके उसे घेर लेते हैं।
6. इंडियन गौर (Indian Gaur) – जंगली भैंसा
दुनिया के सबसे बड़े और सबसे शक्तिशाली जंगली मवेशियों में से एक। इसे ‘भारतीय बाइसन’ भी कहा जाता है।
- कैसे पहचानें: विशाल आकार, गहरे भूरे या काले रंग का शरीर, और सफेद ‘मोज़े’ पहने हुए पैर। नर के सिर पर मजबूत, मुड़े हुए सींग होते हैं।
- देखने की संभावना: यह खुले घास के मैदानों और जंगल के किनारों पर चरते हुए देखे जा सकते हैं।
- खास बात: अपने विशाल आकार के बावजूद, गौर आमतौर पर शांतिप्रिय होते हैं, लेकिन अगर उकसाया जाए तो खतरनाक साबित हो सकते हैं।
7. सांभर (Sambar) – एशिया का सबसे बड़ा हिरण
यह भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा हिरण है और बाघ का एक प्रमुख शिकार है।
- कैसे पहचानें: सांभर का आकार बड़ा होता है, इसका रंग गहरा भूरा होता है, और नर के सींग बड़े और मजबूत होते हैं। इसकी एक विशेष पहचान इसकी झालरदार गर्दन है।
- देखने की संभावना: यह जल स्रोतों के पास और घने जंगलों में आसानी से देखे जा सकते हैं।
- खास बात: जब सांभर को कोई खतरा महसूस होता है, तो यह जोर से भौंकता है, जो जंगल में अन्य जानवरों के लिए एक चेतावनी की तरह काम करता है।
8. स्पॉटेड डीर (Chital) – जंगल की शोभा
यह कान्हा में सबसे ज्यादा दिखने वाला हिरण है, जो पूरे पार्क में झुंडों में घूमता नजर आता है।
- कैसे पहचानें: सुनहरे-भूरे रंग के शरीर पर सफेद धब्बे, और नर के सींग लंबे और शाखा रहित होते हैं।
- देखने की संभावना: यह लगभग हर जगह और किसी भी समय आसानी से देखे जा सकते हैं, खासकर खुले मैदानों में।
- खास बात: चीतल अक्सर लंगूरों के साथ देखे जाते हैं, क्योंकि लंगूर पेड़ों से फल गिराते हैं जिन्हें चीतल खा लेते हैं।
9. इंडियन जैकल (Indian Jackal) – चालाक सफाईकर्मी
यह मध्यम आकार का कैनिड है जो अक्सर झुंडों में देखा जाता है।
- कैसे पहचानें: इसका रंग भूरा-सुनहरा होता है, और इसकी एक पतली थूथन और घने पूंछ होती है।
- देखने की संभावना: सुबह और शाम के समय सफारी ट्रैक के किनारे या खुले मैदानों में देखे जा सकते हैं।
- खास बात: यह सर्वाहारी और अवसरवादी शिकारी हैं, जो छोटे शिकार करने के साथ-साथ मृत जानवरों का सेवन भी करते हैं, इस तरह जंगल की सफाई में मदद करते हैं।
10. स्ट्राइप्ड हाइना (Striped Hyena) – रहस्यमयी रात्रिचर
यह रात में सक्रिय रहने वाला एक मायावी और दुर्लभ जानवर है। इसे देख पाना एक भाग्यशाली संयोग माना जाता है।
- कैसे पहचानें: इसके शरीर पर काले धारियाँ, ढलानदार पीठ, और शक्तिशाली जबड़े होते हैं।
- देखने की संभावना: बेहद कम, क्योंकि यह ज्यादातर रात में ही निकलते हैं। कभी-कभार शाम की सफारी में इन्हें देखा जा सकता है।
- खास बात: हाइना को गलती से सिर्फ स्कैवेंजर समझा जाता है, लेकिन यह कुशल शिकारी भी हैं।
एक संपूर्ण जंगल अनुभव
कान्हा टाइगर रिजर्व की यात्रा को सिर्फ एक ‘टाइगर सफारी’ तक सीमित न रखें। इसकी असली खूबसूरती इसकी संपूर्ण जैव विविधता में है। हार्डग्राउंड बारहसिंघा जैसी दुर्लभ प्रजाति को देखना, धोल के झुंड को शिकार करते हुए देखना, या एक चुपके से लियोपार्ड को पेड़ पर देखना – ये सभी अनुभव कान्हा की यादों को अमर बना देते हैं। इसलिए अगली बार जब कान्हा जाएं, तो इन सभी जीवों की तलाश में अपनी नजरें चौकन्नी रखें। यह जंगल आपको हर बार कुछ न कुछ नया और अद्भुत दिखाने का वादा रखता है।
FAQs
1. Kanha Tiger Reserve में सफारी के लिए सबसे अच्छा समय क्या है?
कान्हा नेशनल पार्क अक्टूबर से जून तक पर्यटकों के लिए खुला रहता है। वन्यजीवों को देखने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के बीच का है, जब मौसम सुहावना रहता है। गर्मियों (अप्रैल-जून) में पानी के स्रोतों के पास जानवरों को देखने की संभावना अधिक होती है।
2. कान्हा में कितने सफारी ज़ोन हैं?
कान्हा में मुख्य रूप से चार कोर ज़ोन हैं: कान्हा, किसली, सरही और मुक्की। कान्हा और किसली ज़ोन सबसे लोकप्रिय हैं और यहाँ बाघ देखने की संभावना सबसे अधिक मानी जाती है।
3. क्या कान्हा में बर्ड वॉचिंग भी अच्छी है?
बिल्कुल! कान्हा पक्षी प्रेमियों के लिए स्वर्ग है। यहाँ 300 से अधिक प्रजातियों के पक्षी पाए जाते हैं, जिनमें जंगली मुर्गी, भारतीय चरस, और विभिन्न प्रकार के बाज, उल्लू और कठफोड़वा शामिल हैं।
4. कान्हा में हार्डग्राउंड बारहसिंघा को बचाने के लिए क्या किया गया?
1970 के दशक में, हार्डग्राउंड बारहसिंघा की संख्या मात्र 66 तक गिर गई थी। पार्क प्रबंधन ने मांसाहारी जानवरों से बचाव, आवास सुधार, और प्रजनन कार्यक्रमों के जरिए इनकी संख्या बढ़ाने का अथक प्रयास किया। आज इनकी संख्या 800+ है, जो कान्हा की सबसे बड़ी संरक्षण सफलता की कहानी है।
5. कान्हा की सफारी बुक करने का सबसे अच्छा तरीका क्या है?
सफारी की अग्रिम ऑनलाइन बुकिंग आवश्यक है, क्योंकि सीटें सीमित हैं और जल्दी भर जाती हैं। आप आधिकारिक MP ऑनलाइन पोर्टल या अधिकृत एजेंटों के माध्यम से सफारी परमिट बुक कर सकते हैं।
 
                                                                         
                             
                             
                                 
				                
				             
						             
						             
						             
 
			         
 
			         
 
			         
 
			         
				             
				             
				            
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