हिमाचल प्रदेश ने पिछले 4 वर्षों में प्राकृतिक आपदाओं के कारण Rs 46,000 करोड़ का भारी नुकसान झेला है, जानिए कारण और असर।
हिमाचल ने चार वर्षों में प्राकृतिक आपदाओं से Rs 46,000 करोड़ का नुकसान उठाया
हिमाचल प्रदेश में बीते चार वर्षों में प्राकृतिक आपदाओं ने राज्य की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचाया है। सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, इन आपदाओं से कुल Rs 46,000 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है। यह आंकड़ा प्राकृतिक जलवायु परिवर्तन, वर्षा, भूस्खलन, बाढ़ और भूकंप जैसी घटनाओं के कारण है।
- पिछले चार वर्षों में हिमाचल प्रदेश में करीब दर्जनों भूकंप, बाढ़ और भूस्खलन के मामले सामने आए हैं।
- इन आपदाओं ने खासतौर पर नागर और कृषि क्षेत्रों को प्रभावित किया है।
- सरकार की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2022-2025 के बीच, 150 से अधिक घटनाएँ दर्ज हुईं।
मुख्य नुकसान के क्षेत्र
- परिवहन और सड़कें: भारी मलबा और भूस्खलन के कारण कई रूट बंद।
- कृषि: फसलों को भारी नुकसान, जलजमाव से खेत बर्बाद।
- पर्यटन: कई पर्यटन स्थल बंद और नुकसान से पर्यटन उद्योग पर असर।
- बुनियादी ढांचा: बिजली, पानी, स्कूल और अस्पताल क्षतिग्रस्त।
कारण और प्रभाव
वैश्विक जलवायु परिवर्तन और अनियंत्रित विकास ने हिमाचल में आपदाओं को बढ़ावा दिया है। भारी बारिश, तेज़ हवा, और भूस्खलनों के कारण जीवन और सम्पदा दोनों को खतरा बना हुआ है। सरकार और स्थानीय प्रशासन आपदा प्रबंधन योजनाएँ लागू कर रहे हैं, लेकिन अभी भी उच्च स्तर की सतर्कता जरूरी है।
उपाय
- आपदा से निपटने के लिए नए अवसंरचना सुधार, ई-मॉनिटरिंग सिस्टम और तेजी से राहत प्रयास।
- पर्यावरण संरक्षण सरकार की प्राथमिकता, वृक्षारोपण और नदी सफाई अभियान।
- स्थानीय व राष्ट्रीय स्तर पर आपदा प्रबंधन पर फोकस।
- जलवायु विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने की तत्काल जरूरत है।
आपदाओं का सालाना औसत नुकसान
| वर्ष | आपदाओं की संख्या | अनुमानित नुकसान (रु करोड़ में) | प्रमुख घटनाएँ |
|---|---|---|---|
| 2022 | 35 | 11,500 | भारी बाढ़, भूस्खलन |
| 2023 | 40 | 13,200 | भूकंप, नदी का उफान |
| 2024 | 38 | 10,300 | बाढ़, खतरनाक भूस्खलन |
| 2025 | 37 | 11,000 | भूस्खलन, तूफान |
FAQs
- हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक आपदाओं का मुख्य कारण क्या है?
— जलवायु परिवर्तन और भौगोलिक परिस्थितियों के कारण अधिकतर भूकंप, बाढ़ और भूस्खलन होते हैं। - सरकार ने आपदा के दौरान क्या कदम उठाए हैं?
— राहत शिविर, आपदा प्रबंधन सिस्टम, और आपदा समीक्षा बैठकें। - सबसे अधिक नुकसान किन क्षेत्रों को हुआ?
— कुलियाकोट, मंडी, शिमला, कांगड़ा जैसे पहाड़ी क्षेत्र प्रभावित हैं। - भविष्य में इन आपदाओं से निपटने के क्या विकल्प हैं?
— बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर, आपदा चेतावनी प्रणालियां, जलवायु संरक्षण। - पर्यावरण संरक्षण क्यों जरूरी है?
— वृक्षारोपण, नदी साफ-सफाई व पारिस्थितिकी पर नियंत्रण बेहतर के लिए।
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