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Vaccines and Autism Myth-क्या है इस विवाद की जड़?

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क्या Vaccines से Autism होता है? जानें इस भ्रम की वैज्ञानिक सच्चाई। WHO, CDC और ICMR जैसे संस्थानों के शोध और एक्सपर्ट्स की राय जानें। समझें क्यों टीकाकरण बच्चों के लिए जीवनरक्षक है।

क्या Vaccines से होता है Autism? एक्सपर्ट्स और वैज्ञानिक शोध ने क्या कहा, जानें पूरी सच्चाई

माता-पिता बनना दुनिया के सबसे खूबसूरत अनुभवों में से एक है, लेकिन इसके साथ ही एक गहरी जिम्मेदारी भी आती है। इस जिम्मेदारी में सबसे महत्वपूर्ण फैसलों में से एक है बच्चे का टीकाकरण। और यहीं पर अक्सर माता-पिता के मन में एक डर पैदा होता है – “कहीं टीके लगवाने से मेरे बच्चे को ऑटिज्म तो नहीं हो जाएगा?”

यह सवाल पिछले दो दशकों से दुनिया भर में एक विवाद का केंद्र बना हुआ है। इंटरनेट और सोशल मीडिया पर फैली गलत जानकारियों ने इस डर को और बढ़ावा दिया है, जिसके कारण कई माता-पिता अपने बच्चों को जानलेवा बीमारियों से बचाने वाले टीकों से परहेज करने लगे हैं। लेकिन क्या वाकई वैक्सीन और ऑटिज्म के बीच कोई संबंध है?

इस लेख का उद्देश्य इस सवाल का सीधा, तथ्य-based और वैज्ञानिक जवाब देना है। हम गहराई से जानेंगे कि यह विवाद शुरू कैसे हुआ, दुनिया भर के टॉप मेडिकल एक्सपर्ट्स और हेल्थ ऑर्गनाइजेशन्स की इस मामले पर क्या राय है, और क्यों वैज्ञानिक शोध लगातार इस लिंक को खारिज करते आए हैं।

विवाद की जड़: एक झूठा और धोखाधड़ी वाला शोध

वैक्सीन और ऑटिज्म के बीच संबंध की बात सबसे पहले 1998 में एक ब्रिटिश डॉक्टर, एंड्रयू वेकफील्ड ने उठाई थी।

  • द लैंसेट स्टडी: डॉ. वेकफील्ड और उनके साथियों ने प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल ‘द लैंसेट’ में एक शोध पत्र प्रकाशित किया, जिसमें MMR (मीजल्स, मम्प्स, रूबेला) वैक्सीन को ऑटिज्म और एक प्रकार की आंतों की बीमारी से जोड़ा गया था।
  • धोखाधड़ी का खुलासा: बाद में पता चला कि यह शोध गंभीर रूप से दोषपूर्ण और धोखाधड़ी पर आधारित था। पाया गया कि:
    • डॉ. वेकफील्ड ने शोध के लिए डेटा में हेराफेरी की थी।
    • उन्होंने मात्र 12 बच्चों पर किए गए इस अध्ययन के नतीजों को गलत तरीके से पेश किया था।
    • उन पर एक वकील से पैसे लेने का आरोप लगा, जो MMR वैक्सीन के खिलाफ मुकदमा लड़ रहा था। उनका उद्देश्य एक अलग, सिंगल वैक्सीन बेचना था, जिसमें उनका वित्तीय हित जुड़ा हुआ था।
  • पेपर वापसी और लाइसेंस रद्द: इस धोखाधड़ी का पता चलने के बाद, 2010 में ‘द लैंसेट’ जर्नल ने वह शोध पत्र वापस ले लिया और ब्रिटिश मेडिकल काउंसिल ने डॉ. वेकफील्ड का मेडिकल लाइसेंस रद्द कर दिया।

यह एक झूठ था जिसने दुनिया भर में स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान पहुंचाया।

वैज्ञानिक सबूत: क्यों नहीं है Vaccines और Autism में कोई लिंक?

एंड्रयू वेकफील्ड के झूठे शोध के बाद, दुनिया भर के वैज्ञानिकों ने इस मुद्दे पर गहन और बड़े पैमाने पर शोध किए। इन शोधों के नतीजे स्पष्ट और एकसमान हैं।

  • थिमरोसल का मिथक: एक दावा यह था कि वैक्सीन में मौजूद थिमरोसल (एक पारा-आधारित प्रिजर्वेटिव) ऑटिज्म का कारण बनता है।
    • सच्चाई: 2001 तक, बच्चों में लगने वाले अधिकांश रूटीन टीकों से थिमरोसल हटा दिया गया था या उसकी मात्रा नगण्य कर दी गई थी।
    • रिसर्च: थिमरोसल हटाने के बाद भी, ऑटिज्म के मामलों में कोई कमी नहीं आई, बल्कि यह बढ़ते ही रहे। इससे साफ है कि ऑटिज्म का थिमरोसल से कोई लेना-देना नहीं है।
  • MMR वैक्सीन और ऑटिज्म: MMR वैक्सीन पर सबसे ज्यादा शोध हुआ है।
    • कोपेनहेगन का अध्ययन: डेनमार्क में 6,57,461 बच्चों पर हुए एक बहुत बड़े अध्ययन में कोई संबंध नहीं पाया गया। शोधकर्ताओं ने पाया कि MMR वैक्सीन लगवाने वाले और न लगवाने वाले बच्चों में ऑटिज्म का risk एक जैसा ही था।
    • अन्य अध्ययन: जापान, यूके और USA में हुए कई अन्य अध्ययनों ने भी इसी नतीजे की पुष्टि की है।
  • वैक्सीन शेड्यूल: यह दावा कि बहुत सारे टीके एक साथ लगने से ऑटिज्म होता है, भी गलत साबित हुआ है। बच्चे का इम्यून सिस्टम एक साथ कई एंटीजन को हैंडल करने की क्षमता रखता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और ICMR जैसे संस्थानों की क्या है राय?

दुनिया भर की सभी प्रमुख स्वास्थ्य संस्थाएं इस मामले पर एकमत हैं।

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO): WHO स्पष्ट रूप से कहता है कि “वैक्सीन और ऑटिज्म के बीच कोई संबंध नहीं है।” वे वैक्सीन को दुनिया की सबसे सुरक्षित और सबसे प्रभावी दवाओं में से एक मानते हैं।
  • सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC), USA: CDC का कहना है कि “वैक्सीन ऑटिज्म का कारण नहीं बनती।” उनके पास इस बात के ढेरों सबूत हैं जो इस सुरक्षा की पुष्टि करते हैं।
  • भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR): ICMR भारत में टीकाकरण को एक सुरक्षित और जरूरी सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय मानती है और इस तरह के भ्रमों को दूर करने पर जोर देती है।

फिर Autism होता क्यों है? असली कारण क्या हैं?

अगर वैक्सीन कारण नहीं है, तो ऑटिज्म होता क्यों है? विज्ञान के पास इसका जवाब है।

  • जेनेटिक कारण: ऑटिज्म मुख्य रूप से एक न्यूरोडेवलपमेंटल डिसऑर्डर है जिसके पीछे जेनेटिक कारण सबसे प्रमुख हैं। कई बार यह परिवार में पहले से मौजूद जीन के कारण हो सकता है।
  • एनवायरनमेंटल फैक्टर्स: गर्भावस्था के दौरान कुछ दवाएं लेना (जैसे थैलीडोमाइड या वैल्प्रोइक एसिड), माता-पिता की उम्र, और गर्भावस्था में संक्रमण जैसे कारक भी risk बढ़ा सकते हैं।
  • मस्तिष्क का विकास: ऑटिज्म मस्तिष्क के structure और कनेक्टिविटी में अंतर के कारण होता है, जो जन्म से पहले या शैशवावस्था में ही विकसित हो जाता है।
  • डायग्नोसिस में सुधार: पहले के मुकाबले अब ऑटिज्म को पहचानने और diagnose करने की क्षमता बहुत बेहतर हुई है, इसलिए मामले ज्यादा दिखाई देते हैं।

टीकाकरण न कराने के खतरे: एक सामुदायिक जिम्मेदारी

वैक्सीन से डरने की वजह से अगर माता-पिता अपने बच्चों का टीकाकरण नहीं करवाते, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

  • खतरनाक बीमारियों का वापस आना: जब टीकाकरण की दर गिरती है, तो खसरा (measles), काली खांसी (whooping cough), और पोलियो जैसी बीमारियां वापस आने लगती हैं। इन बीमारियों से बच्चे की मौत भी हो सकती है या वह जीवन भर के लिए विकलांग हो सकता है।
  • हर्ड इम्युनिटी का टूटना: टीकाकरण सिर्फ एक बच्चे की सुरक्षा के लिए नहीं, बल्कि पूरे समुदाय की सुरक्षा के लिए है। यह ‘हर्ड इम्युनिटी’ बनाता है, जो उन लोगों की रक्षा करती है जिन्हें टीका नहीं लगाया जा सकता, जैसे नवजात शिशु या कैंसर के मरीज।

विज्ञान पर भरोसा करें, भ्रम पर नहीं

निष्कर्ष स्पष्ट और सरल है: वैक्सीन ऑटिज्म का कारण नहीं बनती।

यह दावा एक झूठे, धोखाधड़ी वाले शोध पर आधारित था, जिसे दुनिया भर के सैकड़ों वैज्ञानिक अध्ययनों और सभी प्रमुख स्वास्थ्य संगठनों ने खारिज कर दिया है। वैक्सीन आधुनिक चिकित्सा की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक हैं, जिन्होंने करोड़ों लोगों की जिंदगियां बचाई हैं।

एक माता-पिता के तौर पर आपकी चिंता स्वाभाविक है। लेकिन अपने बच्चे के स्वास्थ्य के बारे में फैसला लेते समय सोशल मीडिया की अफवाहों या भावनात्मक दावों पर नहीं, बल्कि ठोस वैज्ञानिक सबूतों और अपने डॉक्टर की सलाह पर भरोसा करें। अपने बच्चे को जानलेवा बीमारियों से बचाने का सबसे सुरक्षित और सिद्ध तरीका है – पूर्ण और समय पर टीकाकरण।


FAQs

1. क्या MMR Vaccines सबसे खतरनाक है?
नहीं, MMR वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित और अत्यंत प्रभावी है। यह खसरा, गलसुआ और रूबेला जैसी गंभीर बीमारियों से बचाती है, जिनसे निमोनिया, दिमागी बुखार, बहरापन और even मौत हो सकती है। वैक्सीन के हल्के साइड इफेक्ट्स जैसे बुखार या हल्का रैश हो सकता है, जो कुछ दिनों में ठीक हो जाता है।

2. अगर वैक्सीन सुरक्षित हैं, तो कुछ बच्चों को उसके बाद Autism का पता क्यों चलता है?
यह एक संयोग (coincidence) है। ऑटिज्म के लक्षण अक्सर उसी उम्र में दिखाई देने लगते हैं (1 से 3 साल) जब MMR वैक्सीन दी जाती है। इसलिए, लोग गलती से दोनों को आपस में जोड़ देते हैं। जैसे कि अगर कोई व्यक्ति छाता खोलने के बाद बारिश होने लगे, तो इसका मतलब यह नहीं कि छाता खोलने से बारिश होती है।

3. क्या भारत में इस्तेमाल होने वाले टीके सुरक्षित हैं?
हां, भारत में इस्तेमाल होने वाले सभी टीके WHO के मानकों के अनुरूप हैं और भारत सरकार के ड्रग्स कंट्रोलर जनरल द्वारा सख्त जांच और मंजूरी के बाद ही इस्तेमाल किए जाते हैं। उनकी सुरक्षा और गुणवत्ता पर लगातार नजर रखी जाती है।

4. अगर मेरे बच्चे को वैक्सीन से एलर्जी हो तो क्या करें?
वैक्सीन से गंभीर एलर्जी बहुत ही दुर्लभ है। अगर आपके बच्चे को पहले किसी वैक्सीन से गंभीर प्रतिक्रिया हुई है, तो टीकाकरण से पहले अपने डॉक्टर को जरूर बताएं। डॉक्टर आपको सही सलाह देंगे।

5. ऑटिज्म का अगर इलाज नहीं है, तो फिर क्या करें?
ऑटिज्म का कोई ‘इलाज’ नहीं है, लेकिन अर्ली इंटरवेंशन (शीघ्र हस्तक्षेप) और थेरेपी (जैसे स्पीच थेरेपी, ऑक्यूपेशनल थेरेपी, और बिहेवियरल थेरेपी) बच्चे को कम्युनिकेशन, सोशल स्किल्स और आत्मनिर्भरता सीखने में मदद कर सकती है। एक diagnosed बच्चा सही सपोर्ट के साथ एक पूर्ण और सुखी जीवन जी सकता है।

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