भारतीय शराब की एक बोतल में सिर्फ अल्कोहल नहीं, बल्कि एक कहानी है। जानें कैसे क्राफ्ट डिस्टिलरीज, सरकारी नियम (कंप्लायंस) और नए consumers भारत के spirits market को बदल रहे हैं। IMFL और Craft शराब में अंतर जानें।
भारतीय शराब की Bottle का सच:Craft,कंप्लायंस और नए जमाने के पीने वालों की कहानी
जब भी भारत में शराब (Spirits) की बात आती है, तो ज़हन में दो ही तस्वीरें आती हैं – या तो गांव-कस्बों में बनने वाली देसी दारू (Country Liquor) या फिर बाजार में मिलने वाली चमकदार बोतलों वाली ‘इंडियन मेड फॉरेन लिकर’ (IMFL)। लेकिन पिछले कुछ सालों में, भारत के शराब बाजार में एक साइलेंट रिवोल्यूशन हो रहा है। एक नया चेहरा उभर रहा है – ‘क्राफ्ट स्पिरिट्स’ का। अब एक शराब की बोतल में सिर्फ अल्कोहल नहीं, बल्कि एक कहानी, एक जगह की सुगंध और एक क्राफ्टमैनशिप का दावा होता है।
यह लेख सिर्फ शराब के बारे में नहीं है। यह एक उभरते हुए उद्योग, उसकी चुनौतियों, और एक नए तरह के भारतीय उपभोक्ता की कहानी है, जो अब सिर्फ नशे के लिए नहीं, बल्कि एक ‘अनुभव’ के लिए पीता है। आइए, गहराई से जानते हैं कि आखिर भारतीय शराब की एक बोतल में क्या-क्या छुपा होता है।
1. कंटेक्स्ट: IMFL, देसी दारू और Craft Spirits में क्या है फर्क?
सबसे पहले भारतीय शराब बाजार के तीन हिस्सों को समझना जरूरी है।
- देसी दारू (Country Liquor): यह सबसे सस्ती और स्थानीय स्तर पर बनने वाली शराब है, जो अक्सर मोलासेस (गुड़ के रस) या अनाज से बनती है। यह आम आदमी का पसंदीदा ड्रिंक है लेकिन इसकी क्वालिटी और सेफ्टी पर हमेशा सवाल रहे हैं।
- इंडियन मेड फॉरेन लिकर (IMFL): यह भारत का सबसे बड़ा और प्रमुख बाजार है। इसमें वह सभी ब्रांडेड शराब आती है जो विदेशी नाम (जैसे व्हिस्की, वोदका, रम, जिन) तो रखती है, लेकिन भारत में ही बनती है। इनमें से ज्यादातर न्यूट्रल अल्कोहल (Neutral Alcohol) से बनती हैं, जिसे फ्लेवर, कलर और शुगर मिलाकर व्हिस्की, रम आदि जैसा स्वाद दिया जाता है।
- Craft / आर्टिसनल स्पिरिट्स (Craft Spirits): यह नया और सबसे एक्साइटिंग सेगमेंट है। यह छोटे पैमाने पर, कम मात्रा में बनाई जाती है। इसमें मुख्य जोर प्रोसेस और सामग्री पर होता है। यह शराब अक्सर सीधे अनाज (जैसे जौ, रागी, मक्का) या फलों को डिस्टिल (आसवन) करके बनाई जाती है, न कि न्यूट्रल अल्कोहल से। इनमें स्थानीय और भारतीय सामग्रियों (बोटैनिकल्स) का इस्तेमाल होता है, जो इन्हें एक अलग पहचान देता है।
Craft:भारतीय स्वादों का जादू
क्राफ्ट स्पिरिट्स की सबसे बड़ी ताकत है उनकी ‘लोकलनेस’ और ‘ऑथेंटिसिटी’।
- स्वदेशी जिन का उदय: भारत में क्राफ्ट जिन की लहर ने सबसे ज्यादा तहलका मचाया है। इन जिन्स में पारंपरिक जिन बोटैनिकल्स (जुनिपर बेरी) के साथ-साथ भारतीय जड़ी-बूटियां और मसाले शामिल होते हैं, जैसे:
- दार्जिलिंग चाय के पत्ते
- तुलसी, कड़ी पत्ता, और इलाइची
- गुलाब और केवड़ा
- मौसम्बी और संतरे के छिलके
 इससे एक ऐसी जिन तैयार होती है जो अंतरराष्ट्रीय जिन से अलग और भारतीय पैलेट के अनुकूल है।
 
- वोदका और रम में नवाचार: अब सिर्फ जिन ही नहीं, भारतीय क्राफ्ट वोदका (जैसे गन्ने या आलू से बनी) और रम (गन्ने के रस से बनी, मोलासेस से नहीं) भी बाजार में आ रही हैं।
- होमग्रोन व्हिस्की का सफर: व्हिस्की बनाना एक लंबी और महंगी प्रक्रिया है, फिर भी कुछ भारतीय brands single malt व्हिस्की बना रही हैं, जो दुनिया भर में पहचान बना रही हैं।
3. कंप्लायंस: वह जटिल नियम जो बाजार को चलाते हैं
भारत में शराब का कारोबार दुनिया के सबसे जटिल नियमों (Excise Laws) के तहत चलता है, जो क्राफ्ट स्पिरिट्स के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।
- राज्य का विषय: शराब पूरी तरह से राज्य सरकारों के अधीन है। इसका मतलब है कि हर राज्य के अपने अलग नियम, लाइसेंस शुल्क और टैक्स हैं। एक डिस्टिलरी को हर उस राज्य में अलग से लाइसेंस लेना पड़ता है जहां वह अपना माल बेचना चाहती है।
- लाइसेंसिंग की बाधा: एक डिस्टिलरी लाइसेंस (Manufacturing License) लेना एक लंबी, महंगी और बेहद पेचीदा प्रक्रिया है।
- मार्केटिंग पर पाबंदी: भारत में शराब की सीधे विज्ञापन करने पर पाबंदी है। इसलिए, इन क्राफ्ट ब्रांड्स को ‘ब्रांड एक्सपीरियंस’ और ‘डिजिटल कंटेंट’ के जरिए अपनी कहानी लोगों तक पहुंचानी पड़ती है।
4. निच कंज्यूमर्स: वह नया पीने वाला जो ‘क्यों’ पूछता है
Craft Spirits का टारगेट एक नया, समझदार और जिज्ञासु उपभोक्ता वर्ग है।
- क्वालिटी ओवर क्वांटिटी: यह उपभोक्ता ज्यादा पीने के बजाय, बेहतर क्वालिटी पीना पसंद करता है। वह यह जानना चाहता है कि वह क्या पी रहा है, यह कहां बना है, और इसमें क्या है।
- स्टोरीटेलिंग का महत्व: उसके लिए ब्रांड की कहानी, उसकी स्थानीयता और क्राफ्टमैनशिप उतनी ही महत्वपूर्ण है जितना स्वाद।
- सोशल स्टेटमेंट: एक प्रीमियम, क्राफ्ट ड्रिंक पीना एक सोशल स्टेटमेंट बन गया है। यह एक sophisticated और वैश्विक रुचि का प्रतीक है।
एक नए दौर की शुरुआत
भारतीय शराब की एक बोतल अब सिर्फ एक उत्पाद नहीं रह गई है। यह एक जटिल समीकरण है जिसमें उद्योग का संदर्भ (IMFL से क्राफ्ट), बेहतर क्राफ्टमैनशिप की ओर यात्रा, कठोर नियामक माहौल से जूझना और एक नए तरह के उपभोक्ता तक पहुंचना – सभी कुछ शामिल है।
यह क्रांति अभी अपने शैशवकाल में है, लेकिन इसकी संभावनाएं अपार हैं। आने वाले समय में, जैसे-जैसे नियम ढीले होंगे और उपभोक्ता और जागरूक होंगे, हम भारत के हर कोने के unique स्वादों को दुनिया की बार कल्चर में अपनी जगह बनाते देखेंगे। तो अगली बार जब आप कोई भारतीय क्राफ्ट जिन की बोतल देखें, तो समझें कि आप सिर्फ एक ड्रिंक नहीं, बल्कि एक नए भारत की कहानी खरीद रहे हैं।
FAQs
1. क्या क्राफ्ट शराब IMFL से बेहतर होती है?
‘बेहतर’ शब्द व्यक्तिपरक है। क्राफ्ट शराब का मकसद अलग और बेहतर क्वालिटी देना है। यह अक्सर बेहतर सामग्री और अधिक पारदर्शी process से बनती है, जिससे उसका स्वाद जटिल और अलग होता है। जबकि IMFL mass production के लिए बनी है और उसका स्वाद एक जैसा और स्थिर रहता है। यह आपकी personal preference पर निर्भर करता है।
2. क्राफ्ट शराब की कीमत ज्यादा क्यों होती है?
क्राफ्ट शराब महंगी होती है क्योंकि यह छोटे बैच में बनती है, इसमें high-quality और अक्सर महंगी स्थानीय सामग्री का इस्तेमाल होता है, और manual process पर जोर दिया जाता है। इसके अलावा, राज्यों के high excise duty और tax भी इसकी price बढ़ा देते हैं।
3. क्या भारत में देसी दारू (Country Liquor) को क्राफ्ट स्पिरिट में बदला जा सकता है?
बिल्कुल, और यह सबसे दिलचस्प ट्रेंड्स में से एक है। कुछ नए brands पारंपरिक देसी दारू जैसे ‘महुआ’, ‘फेनी’ और ‘अरक’ को refine करके, उनकी क्वालिटी सुधार कर और बेहतर packaging में एक premium product के रूप में पेश कर रहे हैं। इससे एक अनोखी भारतीय पहचान बन रही है।
4. क्या Craft बियर भी इसी तरह का ट्रेंड है?
हां, भारत में क्राफ्ट बियर का market क्राफ्ट स्पिरिट्स से काफी पहले और अधिक परिपक्व हो चुका है। क्राफ्ट ब्रुअरीज ने ही भारतीय consumers को IPA, Stout, Wheat Beer जैसे नए स्वादों से परिचित कराया है। क्राफ्ट स्पिरिट्स भी एक समान रास्ते पर चल रही हैं।
5. एक आम consumer क्राफ्ट स्पिरिट्स कहां से खरीद सकता है?
क्राफ्ट स्पिरिट्स आमतौर पर premium wine shops, selected restaurants और high-end bars में मिलती हैं। कुछ brands अपनी official website के जरिए भी selected cities में delivery की सुविधा देती हैं, हालांकि यह राज्य के excise rules पर निर्भर करता है। metropolitan cities like Delhi, Mumbai, Bengaluru, और Goa में इन्हें ढूंढना相对性地 आसान है।
 
                                                                         
                             
                             
                                 
				                
				             
						             
						             
						             
 
			         
 
			         
 
			         
 
			         
				             
				             
				            
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