Ayodhya Ram Mandir निर्माण के लिए 3000 करोड़ रुपये से अधिक का दान मिला, जिसमें से 1500 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। जानें इस पैसे का इस्तेमाल कहां हुआ और अब बचे हुए 1800 करोड़ रुपये का उपयोग कैसे किया जाएगा? ट्रस्ट की योजनाओं की पूरी जानकारी।
Ayodhya Ram Mandir Fund Update
3000 करोड़ का दान, 1500 करोड़ का खर्च, अब बचे 1800 करोड़ का क्या होगा?
22 जनवरी 2024 को हुई प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही अयोध्या में भव्य श्री राम मंदिर ने दुनिया भर के भक्तों के लिए अपने द्वार खोल दिए। लेकिन मंदिर निर्माण का यह महायजन अभी पूरा नहीं हुआ है। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने हाल ही में मंदिर निर्माण कोष की वित्तीय स्थिति पर एक महत्वपूर्ण अपडेट जारी किया है, जिससे पता चलता है कि देश-विदेश के करोड़ों भक्तों के सहयोग से एकत्रित राशि का उपयोग किस तरह से किया जा रहा है।
ट्रस्ट के अनुसार, मंदिर निर्माण और अन्य खर्चों के लिए अब तक 3,000 करोड़ रुपये से अधिक का दान प्राप्त हुआ है। इसमें से लगभग 1,500 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं, जबकि लगभग 1,800 करोड़ रुपये की राशि अभी बची हुई है। यह आंकड़े न सिर्फ भक्तों की अटूट आस्था को दर्शाते हैं, बल्कि इस बड़ी राशि के पारदर्शी प्रबंधन पर एक नजर भी डालते हैं।
यह लेख आपको इस फंड का विस्तृत ब्योरा देगा कि 1,500 करोड़ रुपये कहां खर्च हुए और आगे बचे हुए 1,800 करोड़ रुपये का इस्तेमाल किस तरह से किया जाएगा।
3,000 करोड़ रुपये से अधिक का दान: भक्ति की अभूतपूर्व लहर
मंदिर निर्माण के लिए चलाए गए दान अभियान को देश-विदेश में अभूतपूर्व समर्थन मिला।
- दान का स्रोत: यह राशि पूरी तरह से आम जनता के दान से एकत्रित की गई है। करोड़ों भक्तों ने, चाहे वह छोटे गांव के रहने वाले हों या विदेशों में बसे एनआरआई, सभी ने अपना योगदान दिया।
- पारदर्शिता: ट्रस्ट ने हमेशा दान की पारदर्शिता पर जोर दिया है और नियमित रूप से वित्तीय विवरण जारी किए हैं।
1,500 करोड़ रुपये का खर्च: कहां हुआ इतने पैसे का इस्तेमाल?
1,500 करोड़ रुपये की विशाल राशि का उपयोग मुख्य रूप से निम्नलिखित चीजों पर किया गया है:
1. मंदिर निर्माण कार्य (सबसे बड़ा हिस्सा):
- संरचना का निर्माण: मंदिर की विशाल और भव्य संरचना को खड़ा करने पर सबसे ज्यादा खर्च हुआ है। इसमें विशाल पत्थरों (बलुआ पत्थर) की खरीद, उनकी नक्काशी, परिवहन और निर्माण कार्य शामिल है।
- इंजीनियरिंग और डिजाइन: देश के टॉप इंजीनियरों और वास्तुकारों की टीम ने मंदिर का डिजाइन तैयार किया है, जिस पर भी खर्च आया है।
- सामग्री की गुणवत्ता: मंदिर को 1000 साल तक टिके रहने के लिए बनाया जा रहा है, इसलिए सबसे उच्च गुणवत्ता वाली सामग्री का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसकी लागत भी अधिक है।
2. प्राण प्रतिष्ठा समारोह (लगभग 100 करोड़ रुपये से अधिक):
- 22 जनवरी 2024 को आयोजित ऐतिहासिक समारोह एक विशाल आयोजन था। इसमें हजारों मेहमानों की व्यवस्था, सुरक्षा, यज्ञ, भोजन (अन्नकूट), और दुनिया भर में इसके live telecast का खर्च शामिल था।
3. प्रशासनिक और प्रबंधन व्यय:
- ट्रस्ट का परिचालन: एक इतने बड़े प्रोजेक्ट को चलाने के लिए ट्रस्ट के कार्यालय, कर्मचारियों के वेतन, और दैनिक प्रबंधन पर भी खर्च आता है।
- दान संग्रह का खर्च: देश भर में दान एकत्र करने, बैंकिंग लेनदेन, और लेखा परीक्षा (audit) से जुड़ा खर्च।
अगला चरण: बचे हुए 1,800 करोड़ रुपये का क्या होगा?
लगभग 1,800 करोड़ रुपये की शेष राशि मंदिर परिसर के विकास और भविष्य की योजनाओं के लिए एक महत्वपूर्ण कोष है। इस राशि का उपयोग निम्नलिखित कार्यों के लिए किया जाएगा:
1. मंदिर निर्माण का शेष कार्य पूरा करना:
- मुख्य मंदिर का निर्माण अभी पूरी तरह से पूरा नहीं हुआ है। गर्भगृह के ऊपर शिखर (शिखर) का निर्माण कार्य अभी जारी है।
- मंदिर की बाहरी दीवारों पर जटिल नक्काशी और मूर्तिकला का काम चल रहा है।
2. मंदिर परिसर का विकास:
- अन्य मंदिरों का निर्माण: मुख्य मंदिर के अलावा, परिसर में अन्य देवी-देवताओं के मंदिर बनाए जाने हैं।
- सुविधाओं का निर्माण: तीर्थयात्रियों के लिए अन्नक्षेत्र (भोजनशाला), यात्री निवास (धर्मशाला), प्रशासनिक भवन, और आपातकालीन चिकित्सा केंद्र जैसी सुविधाएं बनाना।
- पार्किंग और परिवहन: लाखों श्रद्धालुओं के आने-जाने के लिए विशाल पार्किंग और आंतरिक परिवहन व्यवस्था विकसित करना।
3. राम कथा संग्रहालय और अनुसंधान केंद्र:
- भगवान राम की विरासत, संस्कृति और इतिहास से जुड़ा एक विश्व-स्तरीय संग्रहालय (Museum) और अनुसंधान केंद्र (Research Center) स्थापित करने की योजना है। इससे आने वाली पीढ़ियों को रामायण काल और सनातन संस्कृति के बारे में जानने का मौका मिलेगा।
4. निधि का संरक्षण और निवेश:
- ट्रस्ट भविष्य में मंदिर के रखरखाव और संचालन के लिए इस राशि के एक हिस्से को सुरक्षित रख सकता है। इस कोष को सावधानीपूर्वक निवेश किया जा सकता है ताकि मंदिर की भविष्य की वित्तीय जरूरतें पूरी हो सकें।
एक ऐतिहासिक परियोजना का आर्थिक पहलू
अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण सिर्फ एक धार्मिक परियोजना नहीं, बल्कि एक सामाजिक-सांस्कृतिक आंदोलन है, जिसकी आर्थिक बुनियाद करोड़ों भक्तों की आस्था पर टिकी है। 3,000 करोड़ रुपये से अधिक का दान और उसका पारदर्शी ढंग से खर्च होना, भारत में जन-सहयोग की अद्भुत ताकत को दिखाता है।
बची हुई 1,800 करोड़ रुपये की राशि इस बात का आश्वासन देती है कि मंदिर निर्माण का काम बिना किसी वित्तीय बाधा के पूरा होगा और आने वाले समय में अयोध्या दुनिया का एक प्रमुख तीर्थ स्थल बनने जा रहा है। यह फंड न सिर्फ एक भव्य मंदिर, बल्कि एक समृद्ध सांस्कृतिक परिसर के निर्माण की नींव है।
FAQs
1. क्या Ayodhya Ram Mandir के लिए अब भी दान दे सकते हैं?
जी हां, दान देने की प्रक्रिया अभी भी जारी है। भक्त अभी भी श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की आधिकारिक वेबसाइट के माध्यम से या सीधे बैंक खाते में online donation दे सकते हैं।
2. क्या दान की राशि पर आयकर में छूट मिलती है?
हां, श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को धारा 80G के तहत मान्यता प्राप्त है। इसके तहत दान करने वाले भक्तों को आयकर अधिनियम की धारा 80G के तहत टैक्स छूट का लाभ मिलता है।
3. मंदिर के पूरा होने की अनुमानित तारीख क्या है?
मुख्य मंदिर का निर्माण work लगभग दिसंबर 2024 तक पूरा होने का अनुमान है। हालांकि, पूरे परिसर के विकास में अभी और समय लगेगा।
4. क्या सरकार ने मंदिर निर्माण के लिए कोई फंड दिया है?
नहीं, ट्रस्ट ने बार-बार स्पष्ट किया है कि मंदिर निर्माण का पूरा खर्च जनता के दान से ही चल रहा है। केंद्र या राज्य सरकार ने सीधे तौर पर निर्माण कार्य के लिए कोई राशि नहीं दी है। सरकार का योगदान अयोध्या शहर के overall infrastructure development (जैसे सड़कें, हवाई अड्डा) तक सीमित है।
5. बची हुई राशि का हिसाब-किताब कौन रखेगा?
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ही इस पूरी राशि का प्रबंधन करेगा। ट्रस्ट में वित्तीय विशेषज्ञ शामिल हैं और सभी लेन-देन की नियमित ऑडिट की जाती है, ताकि पारदर्शिता बनी रहे।
 
                                                                         
                             
                             
                                 
				                
				             
						             
						             
						             
 
			         
 
			         
 
			         
 
			         
				             
				             
				            
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