National Unity Day 2025 की थीम, इतिहास और महत्व जानें। सरदार पटेल के ‘लौह पुरुष’ बनने का सफर, भारत की एकता में उनका योगदान और इस दिन मनाने के तरीके जानें। #एकता_दिवस
National Unity Day:सरदार पटेल के सपने को साकार करने की एक शपथ
कल्पना कीजिए एक ऐसा मकान जिसकी नींव तो मजबूत है, लेकिन उसकी दीवारें अलग-अलग दिशा में खिंच रही हों। क्या वह मकान लंबे समय तक खड़ा रह सकता है? शायद नहीं। यही बात किसी राष्ट्र पर भी लागू होती है। एक राष्ट्र की सबसे बड़ी ताकत उसकी अखंडता और एकजुटता होती है। भारत जैसे विशाल और विविधताओं से भरे देश के लिए यह एकजुटता और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। राष्ट्रीय एकता दिवस, या ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’, हमें इसी अमूल्य भावना की याद दिलाने और उसे मजबूत करने का दिन है।
यह दिन सिर्फ एक सरकारी अवकाश या समारोह तक सीमित नहीं है। यह भारत के उस महान सपूत, ‘लौह पुरुष’ सरदार वल्लभभाई पटेल, को श्रद्धांजलि है, जिन्होंने अपने अदम्य साहस और राजनीतिक कौशल से 562 छोटे-बड़े रियासतों को एक सूत्र में पिरोकर आधुनिक भारत की नींव रखी। इस लेख में, हम आपको राष्ट्रीय एकता दिवस के इतिहास, उसके गहरे महत्व और सरदार पटेल के उस अविश्वसनीय सफर से रूबरू कराएंगे, जिसने भारत का नक्शा ही बदल दिया। साथ ही, हम जानेंगे कि आज के दौर में ‘एकता’ की अवधारणा कितनी प्रासंगिक है और हम एक आम नागरिक के रूप में इसका हिस्सा कैसे बन सकते हैं।
राष्ट्रीय एकता दिवस क्या है? एक नजर में
राष्ट्रीय एकता दिवस, जिसे ‘एकता दिवस’ के नाम से भी जाना जाता है, भारत में प्रतिवर्ष 31 अक्टूबर को मनाया जाने वाला एक राष्ट्रीय पर्व है। यह दिन भारत के प्रथम उप प्रधानमंत्री और प्रथम गृह मंत्री, सरदार वल्लभभाई पटेल के जन्मदिन के अवसर पर उन्हें समर्पित है। इस दिन का प्रमुख उद्देश्य देश की अखंडता और एकता के प्रति लोगों, खासकर युवाओं, में जागरूकता पैदा करना और राष्ट्रीय एकता की भावना को मजबूत करना है।
राष्ट्रीय एकता दिवस का इतिहास और इसकी शुरुआत कैसे हुई?
राष्ट्रीय एकता दिवस की शुरुआत अपेक्षाकृत हाल ही में हुई है। इसकी नींव वर्ष 2014 में रखी गई थी। भारत सरकार, विशेष रूप से केंद्रीय गृह मंत्रालय ने, 31 अक्टूबर 2014 को एक आधिकारिक बयान जारी करके यह घोषणा की कि सरदार वल्लभभाई पटेल के जन्मदिन को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाएगा।
इसका मुख्य उद्देश्य था सरदार पटेल के देश की एकता और अखंडता में योगदान को याद करना और उनके आदर्शों और मूल्यों को देश के कोने-कोने तक पहुँचाना। इसकी शुरुआत के पीछे एक बड़ा कारण यह भी था कि आजादी के बाद देशी रियासतों के एकीकरण में सरदार पटेल की भूमिका को नई पीढ़ी के सामने रखा जाए और उन्हें राष्ट्रनिर्माण में एकता के महत्व से अवगत कराया जाए। तब से लेकर आज तक, हर साल 31 अक्टूबर को पूरा देश राष्ट्रीय एकता दिवस मनाता है।
सरदार वल्लभभाई पटेल: भारत के ‘लौह पुरुष’ जिन्होंने जोड़े टुकड़े
राष्ट्रीय एकता दिवस की चर्चा बिना सरदार पटेल के योगदान के अधूरी है। उन्हें ‘भारत का लौह पुरुष’ (The Iron Man of India) क्यों कहा जाता है, यह समझना जरूरी है।
- देशी रियासतों का एकीकरण: एक असंभव कार्य: जब अंग्रेजों ने भारत छोड़ा, तो देश में लगभग 562 छोटी-बड़ी देशी रियासतें (Princely States) थीं। इन्हें यह अधिकार था कि वे भारत या पाकिस्तान में से किसी एक में शामिल हों या स्वतंत्र रहें। कई रियासतों के शासक अपना अलग राज्य बनाने का सपना देख रहे थे। ऐसे में देश के टुकड़े-टुकड़े होने का खतरा पैदा हो गया था।
- पटेल की कूटनीति और दृढ़ इच्छाशक्ति: सरदार पटेल, जो उस समय गृह मंत्री थे, ने इस चुनौती को बखूबी समझा। उन्होंने ‘कार्यरत नीति’ (Instrument of Accession) के जरिए रियासतों के शासकों को समझाने का काम शुरू किया। उन्होंने कूटनीति, वार्ता और जहाँ जरूरी हुआ, सैन्य कार्रवाई का सहारा लिया।
- जूनागढ़, हैदराबाद और कश्मीर की चुनौती: जूनागढ़ के नवाब ने पाकिस्तान में शामिल होने का फैसला किया, जबकि जनता भारत में मिलना चाहती थी। पटेल ने वहाँ जनमत संग्रह कराया और उसे भारत में मिला लिया। हैदराबाद के निजाम ने भी स्वतंत्र रहने की जिद की, लेकिन पटेल ने ‘ऑपरेशन पोलो’ चलाकर हैदराबाद को भारत में मिला लिया। कश्मीर का मामला भी जटिल था, हालाँकि उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इसे अपने पास रखा।
इस तरह, अपने अद्वितीय नेतृत्व से सरदार पटेल ने लगभग तीन साल के भीतर ही एक विशाल और एकीकृत भारत का निर्माण कर दिया। अगर वे न होते, तो आज का भारत का नक्शा कुछ और ही होता। यही कारण है कि उन्हें आधुनिक भारत का निर्माता और लौह पुरुष कहा जाता है।
राष्ट्रीय एकता दिवस 2025 की थीम (अनुमानित) और उसका महत्व
हर साल, राष्ट्रीय एकता दिवस को एक विशेष थीम (Theme) के तहत मनाया जाता है। यह थीम उस साल के लिए एक केंद्रीय संदेश देती है और सभी गतिविधियों का मार्गदर्शन करती है। अभी तक राष्ट्रीय एकता दिवस 2025 की आधिकारिक थीम घोषित नहीं की गई है। यह आमतौर पर अक्टूबर महीने के करीब आते-आते सरकार द्वारा जारी की जाती है।
हालाँकि, पिछले वर्षों की थीम्स को देखते हुए हम 2025 की संभावित दिशा का अनुमान लगा सकते हैं। पिछले कुछ वर्षों की थीम्स रही हैं जैसे “राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने के लिए देश की युवा शक्ति का उत्थान” और “एक भारत, श्रेष्ठ भारत”।
2025 की थीम “युवा शक्ति और डिजिटल एकता: नए भारत की नींव” या “विविधता में एकता: हमारी सबसे बड़ी ताकत” जैसी हो सकती है, जो देश के युवाओं और डिजिटल सशक्तिकरण के माध्यम से एकता को और मजबूत करने पर जोर देती है। थीम का मुख्य उद्देश्य लोगों का ध्यान एकता के उस पहलू की ओर खींचना होता है जो उस समय सबसे ज्यादा प्रासंगिक हो।
National Unity Day कैसे मनाया जाता है? मुख्य आयोजन और गतिविधियाँ
राष्ट्रीय एकता दिवस पूरे देश में बहुत उत्साह और देशभक्ति के साथ मनाया जाता है। स्कूल, कॉलेज, सरकारी दफ्तर और विभिन्न संस्थान इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं।
- एकता शपथ (Rashtriya Ekta Diwas Pledge): इस दिन की सबसे महत्वपूर्ण परंपरा है ‘एकता शपथ’ लेना। सुबह की सभाओं में सभी लोग एक साथ खड़े होकर इस शपथ को दोहराते हैं, जिसमें देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने का वचन दिया जाता है।
- ‘रन फॉर यूनिटी’: पूरे देश में ‘रन फॉर यूनिटी’ का आयोजन किया जाता है। यह एक सांकेतिक दौड़ होती है जिसमें हजारों की संख्या में लोग हिस्सा लेते हैं। इसका मकसद एकजुटता का संदेश फैलाना और स्वस्थ्य जीवन को बढ़ावा देना है।
- सरदार वल्लभभाई पटेल के स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पर समारोह: गुजरात के केवड़िया में स्थित स्टैच्यू ऑफ यूनिटी (Statue of Unity), जो दुनिया की सबसे ऊँची मूर्ति है, इस दिन का मुख्य केंद्र बन जाती है। यहाँ पर प्रधानमंत्री और अन्य गणमान्य व्यक्ति श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और बड़े स्तर पर कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
- स्कूल-कॉलेजों में सांस्कृतिक कार्यक्रम: शैक्षणिक संस्थानों में भाषण प्रतियोगिता, वाद-विवाद, निबंध लेखन, पोस्टर मेकिंग और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जिनका विषय राष्ट्रीय एकता और सरदार पटेल का जीवन होता है।
- सेमिनार और वेबिनार: सरकारी और गैर-सरकारी संगठन सेमिनार और वेबिनार का आयोजन करते हैं, जिसमें विशेषज्ञ राष्ट्रीय एकता के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करते हैं।
आधुनिक भारत में राष्ट्रीय एकता का महत्व और चुनौतियाँ
आज का दौर ग्लोबलाइजेशन और सोशल मीडिया का दौर है। ऐसे में राष्ट्रीय एकता का महत्व और भी बढ़ जाता है, साथ ही नई चुनौतियाँ भी सामने आती हैं।
- सामाजिक मतभेदों से ऊपर उठना: भारत में अलग-अलग धर्म, जाति, भाषा और संस्कृति के लोग रहते हैं। राष्ट्रीय एकता का मतलब है इन सभी मतभेदों से ऊपर उठकर ‘भारतीय’ होने की पहचान को सर्वोपरि मानना।
- सोशल मीडिया और फेक न्यूज की चुनौती: आजकल सोशल मीडिया पर फैलाई जाने वाली फेक न्यूज और नफरत फैलाने वाले संदेश समाज में फूट डालने का काम करते हैं। एक जागरूक नागरिक होने के नाते हमारी जिम्मेदारी है कि हम ऐसी सामग्री को पहचानें, रिपोर्ट करें और उसका विरोध करें।
- आर्थिक असमानता: देश के अलग-अलग हिस्सों में आर्थिक विकास की असमानता भी एकता के लिए चुनौती पैदा कर सकती है। इसके लिए जरूरी है कि विकास का लाभ समाज के हर तबके और देश के हर कोने तक पहुँचे।
- राष्ट्रीय एकता दिवस का वास्तविक उद्देश्य: यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि हमारी ताकत हमारी एकजुटता में है। कोई भी देश तभी तरक्की कर सकता है जब उसके सभी नागरिक एक साझा लक्ष्य के लिए काम करें और आपसी मतभेदों को पीछे छोड़ दें।
हम सब की जिम्मेदारी राष्ट्रीय एकता दिवस सिर्फ एक प्रतीकात्मक दिन नहीं है, बल्कि यह हमारे अंदर की ‘एक भारत’ की भावना को जगाने का एक अवसर है। सरदार पटेल ने हमें एक地理िक रूप से एकजुट देश दिया, लेकिन उसे सामाजिक, सांस्कृतिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाने की जिम्मेदारी हम सब की है। यह काम सिर्फ सरकार या सेना का नहीं है। एक छात्र, एक शिक्षक, एक डॉक्टर, एक किसान… हर व्यक्ति अपनी जगह से इस मुहिम का हिस्सा बन सकता है। दूसरों की मदद करके, भेदभाव को नकारकर, सकारात्मक बातचीत को बढ़ावा देकर और हमेशा राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखकर हम सरदार पटेल के सपनों के भारत को सच्चे अर्थों में साकार कर सकते हैं।
FAQs
1. National Unity Day 2025 कब मनाया जाएगा?
राष्ट्रीय एकता दिवस हर साल 31 अक्टूबर को मनाया जाता है। इसलिए, वर्ष 2025 में भी यह 31 अक्टूबर, 2025 (शुक्रवार) को मनाया जाएगा।
2. राष्ट्रीय एकता दिवस और सरदार पटेल जयंती में क्या अंतर है?
दोनों एक ही दिन, यानी 31 अक्टूबर को मनाए जाते हैं। सरदार पटेल जयंती उनके जन्मदिन के रूप में एक व्यक्तिगत श्रद्धांजलि है, जबकि राष्ट्रीय एकता दिवस एक राष्ट्रीय उत्सव है जो उनके कार्यों और एकीकरण के योगदान को समर्पित है और जिसका फोकस देश में एकता की भावना को बढ़ावा देना है।
3. क्या राष्ट्रीय एकता दिवस पर राष्ट्रीय अवकाश होता है?
नहीं, राष्ट्रीय एकता दिवस एक राजपत्रित अवकाश (Gazetted Holiday) नहीं है। यह एक ‘सार्वजनिक उत्सव’ का दिन है। स्कूल, कॉलेज और सरकारी दफ्तर खुले रहते हैं और विशेष कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं।
4. ‘एकता शपथ’ का क्या महत्व है?
एकता शपथ एक सामूहिक प्रतिज्ञा है जिसका उद्देश्य व्यक्ति के मन में देश की एकता और अखंडता के प्रति समर्पण और जिम्मेदारी की भावना पैदा करना है। यह लोगों को याद दिलाती है कि राष्ट्रहित सर्वोपरि है।
5. स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का राष्ट्रीय एकता दिवस से क्या संबंध है?
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी सरदार वल्लभभाई पटेल की एक विशाल प्रतिमा है, जिन्हें राष्ट्रीय एकता दिवस समर्पित है। यह मूर्ति उनके विराट व्यक्तित्व और एकीकरण के प्रयासों का एक शक्तिशाली प्रतीक बन गई है और इसलिए यह इस दिन के समारोहों का केंद्रीय स्थल है।
6. आम नागरिक राष्ट्रीय एकता दिवस कैसे मना सकता है?
कोई भी व्यक्ति ‘रन फॉर यूनिटी’ में भाग लेकर, सोशल मीडिया पर #एकता_दिवस के साथ सकारात्मक संदेश साझा करके, अपने परिवार और दोस्तों के साथ एकता शपथ लेकर, या स्थानीय स्तर पर होने वाले कार्यक्रमों में शामिल होकर इस दिन को मना सकता है और अपना योगदान दे सकता है।
 
                                                                         
                             
                             
                                 
				                
				             
						             
						             
						             
 
			         
 
			         
 
			         
 
			         
				             
				             
				            
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