Home हेल्थ Vitamin D लेते वक्त रखें इन 3 बातों का ध्यान
हेल्थ

Vitamin D लेते वक्त रखें इन 3 बातों का ध्यान

Share
Vitamin D supplements
Share

Vitamin D सप्लीमेंट लेते समय ये 3 गलतियां सेहत को नुकसान पहुंचा सकती हैं। हैदराबाद के डॉक्टर ने बताया सही डोज, सही समय और जरूरी co-factors का महत्व। जानें कैसे करें विटामिन डी की कमी दूर, सुरक्षित तरीके से।

Vitamin D सप्लीमेंट लेते समय न करें ये 3 बड़ी गलतियाँ: एक्सपर्ट की चेतावनी

वरना पड़ सकते हैं लीवर और किडनी के मरीज

आजकल विटामिन डी की कमी एक आम समस्या बन गई है। घंटों ऑफिस में बैठना, धूप से दूरी और खान-पान में बदलाव की वजह से ज्यादातर लोग इसकी कमी से जूझ रहे हैं। ऐसे में डॉक्टर अक्सर विटामिन डी के सप्लीमेंट लेने की सलाह देते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अगर इन सप्लीमेंट्स को गलत तरीके से लिया जाए, तो यह फायदे की जगह आपकी सेहत को भारी नुकसान पहुँचा सकते हैं?

हैदराबाद के एक सीनियर फिजिशियन और एंडोक्राइनोलॉजी एक्सपर्ट ने हाल ही में एक चेतावनी जारी करते हुए विटामिन डी सप्लीमेंट लेते वक्त होने वाली तीन सबसे आम और खतरनाक गलतियों के बारे में बताया है। उन्होंने कहा कि लोग बिना डॉक्टर की सलाह के, यूँ ही मनमर्जी से विटामिन डी की गोलियाँ खा रहे हैं, जिसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं, जिनमें किडनी में पथरी, लीवर की समस्या और हड्डियों में दर्द जैसी दिक्कतें शामिल हैं।

यह लेख उन्हीं एक्सपर्ट की सलाह पर आधारित है। इसमें हम विस्तार से जानेंगे कि वे तीन गलतियाँ क्या हैं, उनसे क्या नुकसान हो सकते हैं और विटामिन डी सप्लीमेंट को सही और सुरक्षित तरीके से लेने का तरीका क्या है। अगर आप या आपके परिवार में कोई विटामिन डी ले रहा है, तो यह जानकारी उसकी सेहत के लिए बेहद जरूरी है।

गलती नंबर 1: बिना जाँच और डॉक्टरी सलाह के हाई डोज लेना

समस्या: यह सबसे बड़ी और सबसे आम गलती है। ज्यादातर लोग इंटरनेट या दोस्तों की सलाह पर सीधे मेडिकल स्टोर से 60,000 IU जैसी हाई-डोज वाली विटामिन डी की गोलियाँ खरीद लेते हैं और हफ्ते में एक बार लेने लगते हैं। उन्हें लगता है कि चूंकि सबमें विटामिन डी की कमी है, तो यह लेना सुरक्षित ही होगा। लेकिन, ऐसा बिल्कुल नहीं है।

विटामिन डी एक फैट-सॉल्युबल विटामिन है। इसका मतलब है कि यह शरीर में जमा (store) हो जाता है, पानी में घुलनशील विटामिनों की तरह बाहर नहीं निकलता। अगर जरूरत से ज्यादा मात्रा में इसे लिया जाए, तो यह शरीर में जमा होकर विटामिन डी टॉक्सिसिटी (Vitamin D Toxicity) पैदा कर सकता है।

नुकसान:

  • हाइपरकैल्सीमिया (Hypercalcemia): विटामिन डी की अधिकता से खून में कैल्शियम का स्तर बहुत बढ़ जाता है। इससे उल्टी, जी मिचलाना, पेट दर्द, कब्ज और भूख कम लगना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
  • किडनी की समस्या: खून में ज्यादा कैल्शियम किडनी में जमा होकर पथरी (Kidney Stones) का कारण बन सकता है। गंभीर मामलों में इससे किडनी फेल्योर भी हो सकता है।
  • हड्डियों में दर्द: हैरानी की बात है, लेकिन विटामिन डी की अधिकता से हड्डियों में दर्द और कमजोरी भी हो सकती है।

सही तरीका:

  • ब्लड टेस्ट जरूर कराएँ: सबसे पहले, 25-Hydroxy Vitamin D ब्लड टेस्ट कराकर यह पता लगाएँ कि आपके शरीर में इसकी कितनी कमी है।
  • डॉक्टर से सलाह लें: डॉक्टर आपकी रिपोर्ट और उम्र के हिसाब से सही डोज और कोर्स की सलाह देंगे। कमी के स्तर के अनुसार डोज अलग-अलग होती है।

गलती नंबर 2: सप्लीमेंट लेने का गलत समय और गलत तरीका

समस्या: बहुत से लोग विटामिन डी की गोली कभी भी, किसी भी समय, खाली पेट या भोजन के साथ बिना सोचे-समझे ले लेते हैं। चूंकि विटामिन डी एक फैट-सॉल्युबल विटामिन है, इसलिए इसका absorption शरीर में तभी ठीक से हो पाता है जब इसे सही तरीके से लिया जाए।

नुकसान:

  • खराब अवशोषण (Poor Absorption): अगर विटामिन डी की गोली खाली पेट ली जाए, तो शरीर इसे ठीक से अवशोषित नहीं कर पाता। इसका मतलब है कि आपका शरीर उस सप्लीमेंट का पूरा फायदा नहीं उठा पाता और आपकी कमी दूर नहीं होती, चाहे आप महीनों से गोली क्यों न खा रहे हों।
  • फिजूलखर्ची: आपके पैसे और दवा, दोनों की बर्बादी होती है।

सही तरीका:

  • भोजन के साथ लें: विटामिन डी सप्लीमेंट हमेशा भोजन के साथ लेना चाहिए, खासकर ऐसे भोजन के साथ जिसमें स्वस्थ वसा (Healthy Fats) हो। जैसे दूध, दही, बादाम, अंडे की जर्दी, या नट्स वाला कोई भी खाना। वसा विटामिन डी के अवशोषण में मदद करती है।
  • सुबह का समय बेहतर: इसे सुबह नाश्ते के साथ लेना सबसे अच्छा माना जाता है। कुछ अध्ययनों के अनुसार, सुबह लेने से यह नींद के पैटर्न में खलल नहीं डालता।

गलती नंबर 3: विटामिन K2 और मैग्नीशियम को नजरअंदाज करना

समस्या: यह तकनीकी लगने वाली, लेकिन सबसे जरूरी बात है। विटामिन डी अकेले काम नहीं करता। यह शरीर में कैल्शियम के अवशोषण को बढ़ाता है। लेकिन, यह कैल्शियम को सही जगह (हड्डियों और दाँतों में) पहुँचाने का काम विटामिन K2 करता है। अगर आप विटामिन डी ले रहे हैं, लेकिन विटामिन K2 नहीं ले रहे, तो बढ़ा हुआ कैल्शियम खून में ही घूमता रहता है और धमनियों की दीवारों में जमा होकर उन्हें सख्त (Atherosclerosis) बना सकता है। इसी तरह, मैग्नीशियम विटामिन डी को उसके active form में बदलने के लिए जरूरी है।

नुकसान:

  • हृदय रोग का खतरा: कैल्शियम का धमनियों में जमाव हृदय रोग के खतरे को बढ़ा सकता है।
  • सप्लीमेंट का असर कम होना: मैग्नीशियम की कमी होने पर विटामिन डी का शरीर पर पूरा असर नहीं हो पाता, भले ही आप उचित डोज ले रहे हों।

सही तरीका:

  • विटामिन K2 युक्त आहार: अपने आहार में विटामिन K2 से भरपूर चीजें शामिल करें, जैसे पनीर, अंडे की जर्दी, और फरमेंटेड (खमीर उठाया हुआ) भोजन। डॉक्टर की सलाह से K2 सप्लीमेंट भी लिए जा सकते हैं।
  • मैग्नीशियम युक्त आहार: हरी पत्तेदार सब्जियाँ (पालक), बादाम, काजू, दालें और साबुत अनाज खाकर मैग्नीशियम की कमी पूरी करें।

विटामिन डी सप्लीमेंट लेने का सही तरीका: एक सम्पूर्ण गाइड

सिर्फ गलतियाँ जानने से काम नहीं चलेगा, सही तरीका भी पता होना चाहिए।

  1. जाँच कराएँ (Get Tested): सबसे पहले ब्लड टेस्ट से विटामिन डी का स्तर पता करें।
    • सामान्य स्तर: 20 ng/mL से ऊपर
    • अपर्याप्त (Insufficient): 12-20 ng/mL के बीच
    • कमी (Deficient): 12 ng/mL से नीचे
  2. सही डोज लें (Take Correct Dosage): डॉक्टर आपकी कमी के स्तर के अनुसार डोज तय करेंगे।
    • रख-रखाव के लिए (Maintenance): अगर कमी नहीं है, तो रोजाना 600-800 IU (अंतर्राष्ट्रीय इकाई) पर्याप्त है।
    • कमी दूर करने के लिए (Deficiency Correction): डॉक्टर हफ्ते में एक बार 60,000 IU या रोजाना की higher dose लिख सकते हैं, जो कुछ हफ्तों तक चलती है। इसके बाद maintenance dose पर आ जाते हैं।
  3. सही समय और तरीका (Right Time and Method): विटामिन डी की गोली हमेशा दिन के सबसे बड़े भोजन के साथ लें, जिसमें थोड़ी वसा हो।
  4. Co-factors का ध्यान रखें (Mind the Co-factors): विटामिन डी के साथ अपने आहार में मैग्नीशियम और विटामिन K2 को जरूर शामिल करें।
  5. नियमित मॉनिटरिंग (Regular Monitoring): हाई-डोज कोर्स के बाद, 3-6 महीने में एक बार ब्लड टेस्ट जरूर करवाएँ ताकि पता चल सके कि स्तर सामान्य हो रहा है या नहीं और डोज adjust की जा सके।

प्राकृतिक स्रोतों को न भूलें

सप्लीमेंट के साथ-साथ प्राकृतिक स्रोतों को अपनाना भी जरूरी है।

  • धूप: सुबह 10 बजे से दोपहर 3 बजे के बीच, बिना सनस्क्रीन के 15-20 मिनट धूप लें। हाथ-पैर और चेहरा खुला रखें।
  • आहार: फैटी फिश (सालमन, मैकेरल), अंडे की जर्दी, फोर्टिफाइड दूध और दही को अपनी डाइट में शामिल करें।

सावधानी ही सुरक्षा है

विटामिन डी हमारे overall health के लिए एक जरूरी nutrient है, खासकर strong bones, strong immunity और अच्छे मूड के लिए। लेकिन इसे “जितना ज्यादा, उतना अच्छा” वाला approach बिल्कुल भी सही नहीं है। हैदराबाद के डॉक्टर द्वारा बताई गई ये तीन गलतियाँ – बिना जाँच हाई डोज लेना, गलत समय पर लेना, और विटामिन K2 व मैग्नीशियम को ignore करना – ऐसी हैं जो आमतौर पर हर दूसरे व्यक्ति से हो रही हैं।

अपनी सेहत को दाव पर न लगाएँ। विटामिन डी सप्लीमेंट एक powerful tool है, लेकिन इसे एक दवा की तरह ही समझें, जिसे डॉक्टर के prescription के बिना इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। सही जानकारी, सही मार्गदर्शन और सही तरीके से लिया गया विटामिन डी सप्लीमेंट ही आपकी सेहत को चमकदार बना सकता है।


FAQs

1. क्या Vitamin D की कमी सिर्फ ब्लड टेस्ट से ही पता चल सकती है?
जी हाँ, विटामिन डी के स्तर का सही और विश्वसनीय पता सिर्फ और सिर्फ 25-Hydroxy Vitamin D नामक ब्लड टेस्ट से ही चलता है। थकान, बाल झड़ना या जोड़ों में दर्द जैसे लक्षण कई अन्य कारणों से भी हो सकते हैं, इसलिए बिना टेस्ट कराए सप्लीमेंट शुरू करना ठीक नहीं है।

2. Vitamin D सप्लीमेंट लेने का सबसे अच्छा समय क्या है?
विटामिन डी सप्लीमेंट लेने का सबसे अच्छा समय सुबह का नाश्ता है। इसे दिन के सबसे बड़े भोजन के साथ लेना चाहिए, जिसमें कुछ स्वस्थ वसा (healthy fats) शामिल हों, जैसे दूध, दही या नट्स। इससे इसका अवशोषण बेहतर होता है।

3. क्या विटामिन डी की गोली खाली पेट ले सकते हैं?
बिल्कुल नहीं। विटामिन डी एक फैट-सॉल्युबल विटामिन है, जिसे अवशोषित होने के लिए वसा की जरूरत होती है। अगर इसे खाली पेट लिया जाएगा, तो शरीर इसे ठीक से अवशोषित नहीं कर पाएगा और गोली का पूरा फायदा नहीं मिलेगा।

4. क्या विटामिन डी लेने से वजन बढ़ता है?
नहीं, विटामिन डी सीधे तौर पर वजन बढ़ाने का कारण नहीं है। बल्कि, कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि विटामिन डी की कमी वाले लोगों में मोटापे की संभावना अधिक होती है। हालाँकि, विटामिन डी की अधिकता से भूख कम लग सकती है, जिससे वजन घट भी सकता है।

5. क्या बच्चों को भी विटामिन डी सप्लीमेंट देना चाहिए?
हाँ, खासकर स्तनपान करने वाले शिशुओं को डॉक्टर की सलाह से विटामिन डी सप्लीमेंट दिया जा सकता है, क्योंकि माँ के दूध में इसकी मात्रा कम होती है। बच्चों के लिए डोज उनकी उम्र और वजन के हिसाब से अलग होती है, इसलिए बाल रोग विशेषज्ञ (Pediatrician) से सलाह जरूर लें।

6. विटामिन डी की कमी दूर होने में कितना समय लगता है?
यह कमी की गंभीरता और ली जा रही डोज पर निर्भर करता है। आमतौर पर, हाई-डोज कोर्स (जैसे हफ्ते में 60,000 IU) लेने पर 4-8 हफ्तों में ब्लड में विटामिन डी का स्तर सामान्य range में आ जाता है। इसके बाद एक lower maintenance dose पर स्विच कर दिया जाता है।

Share

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

Blood Cancer के लक्षण,कारण और बचाव की पूरी जानकारी

Blood Cancer को लेकर लोगों में कई गलत धारणाएं हैं। सीनियर डॉक्टर...

Electroconvulsive Therapy:क्या यह दर्दनाक है? जानें इसके इस्तेमाल और असर

Electroconvulsive Therapy (ECT) गंभीर डिप्रेशन और मानसिक रोगों का एक प्रभावी इलाज...

Fitness Coach के दो Longevity Tips जिन्हें कोई प्रचार नहीं करता

फिटनेस कोच के अनुसार, Longevity के दो ऐसे वैज्ञानिक रहस्य जो प्रोडक्ट्स...

Memory Loss से परेशान हैं युवा?

एक नए अध्ययन के अनुसार, अमेरिका में युवाओं में याददाश्त की समस्या...