Blood Cancer को लेकर लोगों में कई गलत धारणाएं हैं। सीनियर डॉक्टर ने डिबंक किए मिथक – क्या यह छूत की बीमारी है? क्या इलाज नामुमकिन है? जानें लक्षण, कारण और आधुनिक उपचार की पूरी जानकारी।
Blood Cancer के मिथक और तथ्य: एक सीनियर डॉक्टर की जुबानी, जानिए कितनी सच्चाई जानते हैं आप?
“कैंसर” नाम सुनते ही अक्सर दिल में एक डर पैदा हो जाता है। और जब बात ब्लड कैंसर यानी रक्त कैंसर की आती है, तो यह डर अक्सर गलतफहमियों और मिथकों की एक मोटी परत से ढक जाता है। आम जनता में ब्लड कैंसर को लेकर ऐसी कई धारणाएं बनी हुई हैं जो न सिर्फ मरीज बल्कि उसके परिवार को भी मानसिक रूप से कमजोर कर देती हैं। क्या ब्लड कैंसर छूत की बीमारी है? क्या इसका मतलब मौत है? क्या कीमोथेरेपी इतनी खतरनाक है कि उससे मरीज की हालत और बिगड़ जाती है?
इन्हीं सवालों के जवाब और इन मिथकों को तोड़ने के लिए, हमने एक सीनियर ऑन्कोलॉजिस्ट (कैंसर विशेषज्ञ) डॉक्टर से बात की। इस लेख में, हम आपके मन में ब्लड कैंसर को लेकर घर कर गई हर गलतफहमी को दूर करेंगे और आपको वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर सही जानकारी देंगे। हम जानेंगे कि ब्लड कैंसर आखिर होता क्या है, इसके प्रकार, लक्षण, और सबसे जरूरी बात – आधुनिक उपचार की मदद से इससे कैसे लड़ा जा सकता है। यह लेख न सिर्फ आपकी जानकारी बढ़ाएगा, बल्कि अगर आप या आपका कोई अपना इस स्थिति से गुजर रहा है, तो सही फैसला लेने में भी मदद करेगा।
ब्लड कैंसर क्या है? एक संक्षिप्त विवरण
ब्लड कैंसर, जिसे हेमेटोलॉजिक कैंसर भी कहते हैं, मुख्य रूप से बोन मैरो, ब्लड और लिम्फैटिक सिस्टम में शुरू होता है। बोन मैरो हमारी हड्डियों का वह नरम हिस्सा है जहाँ पर ब्लड स्टेम सेल्स पाए जाते हैं। यही स्टेम सेल्स परिपक्व होकर लाल रक्त कोशिकाएं (आरबीसी), सफेद रक्त कोशिकाएं (डब्ल्यूबीसी) और प्लेटलेट्स बनाती हैं।
ब्लड कैंसर तब होता है जब इन ब्लड स्टेम सेल्स में कुछ जेनेटिक म्यूटेशन (आनुवंशिक परिवर्तन) हो जाते हैं, जिसकी वजह से कोशिकाएं अनियंत्रित तरीके से बढ़ने लगती हैं और सामान्य कोशिकाओं के काम में बाधा डालने लगती हैं। ये कैंसरयुक्त कोशिकाएं शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर कर देती हैं, एनीमिया पैदा करती हैं और खून का थक्का जमने की प्रक्रिया को बाधित करती हैं।
ब्लड कैंसर के मुख्य तीन प्रकार हैं:
- ल्यूकेमिया (Leukemia): यह बोन मैरो और ब्लड का कैंसर है, जिसमें सफेद रक्त कोशिकाएं असामान्य रूप से बनने लगती हैं। यह तेजी से बढ़ने वाला (एक्यूट) या धीरे-धीरे बढ़ने वाला (क्रॉनिक) हो सकता है।
- लिंफोमा (Lymphoma): यह कैंसर लिम्फैटिक सिस्टम को प्रभावित करता है, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए जिम्मेदार है। यह लिम्फ नोड्स में शुरू होता है।
- मायलोमा (Myeloma): यह कैंसर प्लाज्मा सेल्स को प्रभावित करता है, जो एक तरह की सफेद रक्त कोशिका है और एंटीबॉडीज बनाने का काम करती है।
ब्लड कैंसर के सामान्य मिथक और उनकी सच्चाई (मिथ बस्टर्स)
अब हम उन मिथकों पर बात करते हैं, जिन्हें डॉक्टर साहब ने सबसे आम और खतरनाक बताया।
मिथक 1: ब्लड कैंसर एक छूत की बीमारी है (कॉन्टेजियस)।
सच्चाई: यह पूरी तरह से गलत है। ब्लड कैंसर किसी संक्रमण की वजह से नहीं होता और न ही यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है। आप किसी ब्लड कैंसर के मरीज को छूकर, उसके साथ बैठकर, खाना खाकर या उसके साथ रहकर इस बीमारी की चपेट में नहीं आ सकते। यह एक नॉन-कम्युनिकेबल डिजीज (एनसीडी) है। इस मिथक के कारण मरीजों के साथ सामाजिक भेदभाव और अलग-थलग कर दिया जाता है, जो उनकी मानसिक state के लिए बहुत हानिकारक है।
मिथक 2: ब्लड कैंसर का मतलब मौत है, इसका कोई इलाज नहीं है।
सच्चाई: यह सबसे खतरनाक और गलत धारणा है। मेडिकल साइंस में हुई प्रगति की वजह से आज ब्लड कैंसर का सफलतापूर्वक इलाज संभव है। कई प्रकार के ल्यूकेमिया और लिंफोमा, खासकर अगर शुरुआती स्टेज में पकड़ में आ जाएं, तो पूरी तरह से ठीक हो सकते हैं। कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी, इम्यूनोथेरेपी, टार्गेटेड थेरेपी और बोन मैरो ट्रांसप्लांट (BMT) जैसी उन्नत तकनीकों ने मरीजों के जीवित रहने की दर (Survival Rate) में काफी सुधार किया है। कई मरीज इलाज के बाद लंबा और स्वस्थ जीवन जी रहे हैं।
मिथक 3: कीमोथेरेपी हमेशा बहुत तकलीफदेह होती है और इससे मरीज की हालत खराब हो जाती है।
सच्चाई: यह सच है कि कीमोथेरेपी के कुछ साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं, जैसे बाल झड़ना, जी मिचलाना, थकान और इन्फेक्शन का खतरा बढ़ना। लेकिन, आज की मॉडर्न कीमोथेरेपी पहले के मुकाबले ज्यादा सुरक्षित और बेहतर हो गई है। डॉक्टरों के पास अब साइड इफेक्ट्स को मैनेज करने के लिए प्रभावी दवाइयाँ हैं। कीमोथेरेपी का मकसद कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करना है, और यही वह हथियार है जो जान बचाता है। यह मरीज की हालत को खराब नहीं, बल्कि बेहतर बनाने के लिए दिया जाता है।
मिथक 4: ब्लड कैंसर सिर्फ बुजुर्गों को होता है।
सच्चाई: ब्लड कैंसर किसी भी उम्र में हो सकता है। कुछ प्रकार के ल्यूकेमिया, जैसे एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया (ALL), बच्चों में सबसे ज्यादा पाया जाने वाला कैंसर है। वहीं, मायलोमा और क्रॉनिक लिम्फोसाइटिक ल्यूकेमिया (CLL) वयस्कों और बुजुर्गों में ज्यादा देखने को मिलते हैं। इसलिए, किसी भी उम्र में अगर लक्षण दिखें, तो उन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
मिथक 5: शुगर (चीनी) खाने से ब्लड कैंसर बढ़ता है।
सच्चाई: इस बात का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि चीनी खाने से ब्लड कैंसर होता है या बढ़ता है। हालाँकि, एक स्वस्थ और संतुलित आहार लेना जरूरी है। अगर कोई मरीज पहले से ही डायबिटीज का मरीज है, तो उसे अपनी शुगर को कंट्रोल में रखना चाहिए, लेकिन सीधे तौर पर चीनी का ब्लड कैंसर से कोई लेना-देना नहीं है।
मिथक 6: हर्बल उपचार और आयुर्वेद से ब्लड कैंसर ठीक हो सकता है।
सच्चाई: यह एक बहुत ही नाजुक मुद्दा है। पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियाँ जैसे आयुर्वेद और हर्बल उपचार शरीर की immunity बढ़ाने और कीमोथेरेपी के साइड इफेक्ट्स को कम करने में सहायक हो सकती हैं। लेकिन, इन्हें मुख्य इलाज के विकल्प के रूप में नहीं देखा जा सकता। ब्लड कैंसर एक गंभीर बीमारी है जिसके लिए वैज्ञानिक रूप से सिद्ध मेडिकल ट्रीटमेंट (एलोपैथी) जरूरी है। कोई भी हर्बल सप्लीमेंट लेने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें, क्योंकि कुछ जड़ी-बूटियाँ मुख्य दवाइयों के असर में बाधा डाल सकती हैं।
ब्लड कैंसर के प्रमुख लक्षण: सजग रहें
शुरुआती लक्षणों को पहचानना बहुत जरूरी है। अगर आपको या आपके परिवार में किसी को नीचे दिए गए लक्षण लंबे समय तक दिखाई दें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
- लगातार थकान और कमजोरी: बिना किसी मेहनत के ही extreme थकान महसूस होना।
- बार-बार संक्रमण होना: शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने की वजह से बुखार और इन्फेक्शन होते रहना।
- सांस लेने में तकलीफ: खून में लाल रक्त कोशिकाओं की कमी (एनीमिया) के कारण।
- असामान्य रक्तस्राव या चोट के निशान: मसूड़ों से खून आना, नाक से खून आना, या बिना वजह शरीर पर नीले-हरे निशान पड़ जाना। यह प्लेटलेट्स की कमी के कारण होता है।
- हड्डियों और जोड़ों में दर्द: बोन मैरो में कोशिकाओं के अत्यधिक बढ़ने के कारण।
- रात को पसीना आना: बिना किसी वजह रात में पसीने से तरबतर हो जाना।
- बगैर वजह वजन कम होना: अचानक और तेजी से वजन घटना।
- लिम्फ नोड्स में सूजन: गर्दन, बगल या जांघ के आसपास की गिल्टियाँ (lymph nodes) बढ़ जाना।
ब्लड कैंसर के जोखिम कारक और बचाव
ब्लड कैंसर के सटीक कारण अभी तक पूरी तरह से पता नहीं चल पाए हैं, लेकिन कुछ कारक इसके risk को बढ़ा सकते हैं:
- उम्र: कुछ प्रकार के ब्लड कैंसर की संभावना उम्र के साथ बढ़ती है।
- जेनेटिक्स: कुछ आनुवंशिक स्थितियाँ, जैसे डाउन सिंड्रोम।
- परिवार में इतिहास: अगर परिवार में किसी को ब्लड कैंसर रहा हो।
- विकिरण या केमिकल्स के संपर्क में आना: हाई लेवल रेडिएशन या कीटनाशकों और बेंजीन जैसे केमिकल्स के संपर्क में लंबे समय तक रहना।
- कुछ कीमोथेरेपी दवाएं: पहले किसी और कैंसर के इलाज के लिए की गई कीमोथेरेपी।
- धूम्रपान: स्मोकिंग से कई तरह के कैंसर का risk बढ़ जाता है।
बचाव के उपाय: हालाँकि ब्लड कैंसर को पूरी तरह रोकना संभव नहीं है, लेकिन एक healthy lifestyle अपनाकर risk को कम किया जा सकता है। धूम्रपान और तंबाकू से दूर रहें, केमिकल्स के संपर्क में आने से बचें, और नियमित हेल्थ चेकअप करवाते रहें।
जागरूकता ही है बचाव
ब्लड कैंसर के बारे में फैली गलत जानकारियाँ और मिथक अक्सर मरीजों के इलाज में देरी का कारण बनते हैं, जिससे स्थिति गंभीर हो जाती है। सबसे जरूरी बात यह है कि इस बीमारी को लेकर समाज में फैले कलंक और डर को दूर किया जाए। ब्लड कैंसर एक लाइलाज बीमारी नहीं है। सही समय पर diagnosis, सही इलाज और emotional support से मरीज इस बीमारी पर जीत हासिल कर सकते हैं और एक सामान्य जीवन जी सकते हैं।
अगर आप या आपका कोई जानकार ब्लड कैंसर के लक्षण महसूस कर रहा है, तो किसी मिथक के चक्कर में न पड़ें। तुरंत किसी अच्छे ऑन्कोलॉजिस्ट या हेमेटोलॉजिस्ट से सलाह लें। याद रखें, जानकारी ही शक्ति है, और इस मामले में, यह जान बचाने वाली भी हो सकती है।
FAQs
1. क्या Blood Cancer वंशानुगत (हेरेडिटरी) होता है?
जी ज्यादातर मामलों में ब्लड कैंसर वंशानुगत नहीं होता। हालाँकि, कुछ दुर्लभ आनुवंशिक स्थितियाँ (जैसे डाउन सिंड्रोम) और परिवार में ब्लड कैंसर का इतिहास होना, इसके risk को थोड़ा बढ़ा सकता है। लेकिन अधिकांश मामलों में यह अपने आप ही जेनेटिक म्यूटेशन की वजह से होता है।
2. क्या ब्लड कैंसर की जांच के लिए कोई स्क्रीनिंग टेस्ट उपलब्ध है?
ब्लड कैंसर की रूटीन स्क्रीनिंग के लिए कोई एक specific टेस्ट नहीं है। लेकिन, नियमित ब्लड टेस्ट जैसे कंप्लीट ब्लड काउंट (CBC) में कुछ असामान्यताएं देखकर डॉक्टर को शक हो सकता है। इसके बाद बोन मैरो बायोप्सी जैसे टेस्ट से पुष्टि की जाती है।
3. ब्लड कैंसर के इलाज में बोन मैरो ट्रांसप्लांट (BMT) क्या है?
बोन मैरो ट्रांसप्लांट एक मेडिकल प्रक्रिया है जिसमें मरीज के खराब बोन मैरो को एक healthy डोनर के बोन मैरो या स्टेम सेल्स से बदल दिया जाता है। यह एक complex प्रक्रिया है, लेकिन कई प्रकार के ब्लड कैंसर के इलाज में यह बहुत प्रभावी साबित हुई है।
4. क्या ब्लड कैंसर के मरीज को कोविड-19 या अन्य संक्रमण का जोखिम ज्यादा है?
हाँ, क्योंकि ब्लड कैंसर और इसके इलाज (जैसे कीमोथेरेपी) से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है। इसलिए ऐसे मरीजों को संक्रमण का खतरा ज्यादा रहता है। उन्हें टीका लगवाना, मास्क पहनना और भीड़-भाड़ से बचना जैसी सावधानियाँ बरतनी चाहिए।
5. ब्लड कैंसर के इलाज के बाद मरीज की जीवनशैली कैसी होनी चाहिए?
इलाज के बाद नियमित फॉलो-अप बहुत जरूरी है। एक संतुलित आहार लें, नियमित हल्का-फुल्का व्यायाम करें, पर्याप्त नींद लें और तनाव से दूर रहें। डॉक्टर की सलाह के बिना कोई भी नई दवा या सप्लीमेंट न लें।
6. क्या बच्चों में Blood Cancer ठीक हो सकता है?
हाँ, बिल्कुल। बच्चों में होने वाले कुछ ब्लड कैंसर, जैसे एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया (ALL), का इलाज बहुत सफल रहा है और इनके ठीक होने की दर वयस्कों के मुकाबले काफी अधिक है। आधुनिक उपचारों की बदौलत बच्चे पूरी तरह स्वस्थ होकर सामान्य जीवन जी सकते हैं।
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