100 साल पुरानी Yangtze Giant सॉफ्टशेल Turtle प्रजाति जंगली में केवल दो बची हैं। जानिए इनके अस्तित्व को बचाने के लिए उठाए जा रहे कदम और खतरे।
Yangtze Giant सॉफ्टशेल Turtle – एक सदी पुरानी दुर्लभ प्रजाति जो विलुप्ति के कगार पर
Yangtze Giant सॉफ्टशेल Turtle, जिसे स्विनहो के सॉफ्टशेल या रेड रिवर टर्टल भी कहा जाता है, विश्व की सबसे बड़ी मीठे पानी की कछुआ प्रजाति है। यह प्रजाति 100 से अधिक वर्षों से जीवित है, लेकिन आज जंगली में केवल दो जीवित सदस्य बचे हैं।
अनोखे लक्षण
- बड़ी कछुआ, जो अपने विशिष्ट सूअरी नाक के कारण पहचानी जाती है।
- प्राकृतिक अवस्थाओं में 100 से अधिक वर्षों तक जीवित रह सकती है।
- मुख्यतः जर्मनी और वियतनाम के यांग्त्ज़े और रेड रिवर बेसिन के आसपास पाई जाती थी।
संकट और कारण
- अब केवल दो Turtle जंगली में बचे हैं, एक वियतनाम और एक चाइना में
- जल प्रदूषण, औद्योगिक और कृषि अपशिष्ट के कारण हार्मोनल असंतुलन और प्रजनन में कमी।
- गंभीर जलवायु परिवर्तन के कारण प्रजनन चक्र प्रभावित।
- बांध निर्माण, नदी की खुदाई और भूमि पुनः प्राप्ति से आवास सीमित।
- पुरानी शिकार और शहरीकरण ने habitat विनाश बढ़ाया।
संरक्षण प्रयास
- वाइल्डलाइफ कंज़र्वेशन सोसाइटी और अन्य संगठन संरक्षण में जुटे हैं।
- चीन के सूझो जू में कृत्रिम प्रजनन कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, पर अभी तक सीमित सफलता।
- डीएनए ट्रैकिंग से जंगली टर्टल और अंडों की खोज जारी है।
- स्थानीय समुदायों को संरक्षण में जोड़ा गया है ताकि nesting sites की सुरक्षा हो सके।
आशा की किरणें
- विशेषज्ञ आशावादी हैं कि शायद अभी भी जंगली में जीवित नर और मादा टर्टल मिल सकते हैं।
- यदि सफल हुआ तो यह प्रजाति पुनर्जीवित हो सकती है अन्यथा धीरे-धीरे विलुप्त हो जाएगी।
FAQs
- Yangtze Giant Turtle की खासियत क्या है?
- यह प्रकृति की सबसे बड़ी मीठे पानी की कछुआ प्रजाति है जो 100 से अधिक वर्षों तक जीवित रहती है।
- टर्टल की संख्या इतनी कम क्यों हो गई?
- प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, आवास के नुकसान और शिकार की वजह से।
- क्या यह प्रजाति पुनर्जीवित हो सकती है?
- संरक्षण प्रयास जारी हैं और यदि नर और मादा टर्टल मिल गए तो संभव है।
- किस तरह के संरक्षण कार्य चल रहे हैं?
- कृत्रिम प्रजनन, प्राकृतिक आवास का पुनर्निर्माण, स्थानीय जागरूकता, और वैज्ञानिक अध्ययन।
- हम संरक्षण में कैसे मदद कर सकते हैं?
- जागरूकता बढ़ाकर, प्रदूषण कम करके, और संरक्षण संस्थाओं का समर्थन कर।
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