Magarshirsha मास 2025 कब है? जानिए इस पवित्र महीने के प्रमुख त्यौहार, व्रत, पूजा विधि और धार्मिक महत्व के बारे में।
Magarshirsha मास 2025: प्रमुख त्यौहार, व्रत और धार्मिक महत्व
Magarshirsha मास क्या है?
मगरशीर्ष मास, जिसे अग्रहायण मास भी कहा जाता है, हिंदू पंचांग का नौवां महीना है। यह कार्तिक मास के बाद आता है और सामान्यत: नवंबर-डीसंबर के बीच पड़ता है। भगवान कृष्ण इसे अपना प्रिय मास मानते हैं और भगवद गीता में इसका विशेष उल्लेख है।
धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
मगरशीर्ष मास को भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी का आदर करने का शुभ महीना माना जाता है। यह मास श्रद्धा, शुद्धता और आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक है। इस मास में तुलसी पूजा, सूर्य को अर्घ्य देने जैसे कार्य अत्यंत फलदायी माने जाते हैं।
प्रमुख पर्व और व्रत
इस मास में कई महत्वपूर्ण व्रत और त्यौहार आते हैं, जैसे कि विभिन्न एकादशी, पूर्णिमा, अमावस्या। इसकी गुरुवारें विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा के लिए शुभ होती हैं। गीता जयंती भी मगरशीर्ष मास में पड़ती है, जो आध्यात्मिक ज्ञान का उत्सव है।
मगरशीर्ष मास में व्रत पालन और पूजा
व्रतियों द्वारा इस मास में विभिन्न व्रत रखे जाते हैं जो धन-संपदा, स्वास्थ्य और पारिवारिक सौहार्द के लिए किए जाते हैं। व्रत रखने वाले श्रद्धालु तुलसी की पूजा करते हैं, दक्षिणा देते हैं, और पवित्र नदियों में स्नान करते हैं।
मगरशीर्ष मास 2025 के व्रत और त्यौहार का कैलेंडर
यह वर्ष 6 नवंबर 2025 से शुरू होकर 4 दिसंबर 2025 तक मगरशीर्ष मास रहने वाला है। इस दौरान प्रमुख व्रत जैसे एकादशी, पूर्णिमा, अमावस्या की तिथियां पवित्र और शुभ मानी जाती हैं।
Magarshirsha गुरुवार का महत्व
मगरशीर्ष मास की गुरुवारें विशेष सूख और समृद्धि लाती हैं। विवाहित महिलाएं लक्ष्मी पूजा और उपवास कर अपने परिवार की खुशहाली और समृद्धि के लिए प्रार्थना करती हैं।
FAQs
1. Magarshirsha मास कब शुरू और समाप्त होता है?
2025 में यह मास 6 नवंबर से शुरू होकर 4 दिसंबर तक रहेगा।
2. मगरशीर्ष मास में कौन-कौन से प्रमुख व्रत होते हैं?
इस मास में कई एकादशी, पूर्णिमा, अमावस्या तथा गीता जयंती जैसे व्रत आते हैं।
3. मगरशीर्ष गुरुवार क्यों विशेष है?
यह गुरुवार भगवान विष्णु की विशेष पूजा के लिए पूजनीय माना जाता है और व्रती इन पर व्रत रखते हैं।
4. इस मास में तुलसी पूजा का महत्व क्या है?
तुलसी पूजा से घर में सुख-समृद्धि आती है और पापों का नाश होता है।
5. गीता जयंती कब पर मनाई जाती है?
गीता जयंती मगरशीर्ष मास में आती है जो भगवान कृष्ण द्वारा गीता के उपदेश की याद दिलाती है।
6. मगरशीर्ष मास में किए गए व्रतों के क्या लाभ होते हैं?
ये व्रत व्यक्तिगत और पारिवारिक जीवन में सुख, समृद्धि, और आध्यात्मिक उन्नति लाते हैं।
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