Krishna Yogeshwar Dwadashi 2025 का व्रत 16 नवंबर को रखें और 17 नवंबर सुबह प्राण करें। जानिए पूजा विधि, महत्व और आध्यात्मिक लाभ।
Krishna Yogeshwar Dwadashi 2025: व्रत कब और कैसे करें
Krishna Yogeshwar Dwadashi व्रत वर्ष 2025 में 16 नवंबर रविवार को रखा जाएगा। यह व्रत भगवान श्रीकृष्ण के योगेश्वर स्वरूप को समर्पित है, जो योग और ज्ञान के परम गुरु हैं। मार्गशीर्ष महीने की कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को यह व्रत मनाया जाता है।
व्रत का पारणा समय
इस व्रत का पारणा 17 नवंबर, सोमवार को सुबह 6:45 बजे से 8:54 बजे तक का शुभ मुहूर्त है। भक्तगण 16 नवंबर को व्रत रखते हैं और अगले दिन मुहूर्त में इसे तोड़ते हैं।
योगेश्वर का अर्थ एवं महत्व
‘योगेश्वर’ का अर्थ है “योग के स्वामी”, जो श्रीकृष्ण का दिव्य रूप है। इस दिन भगवान की भक्ति से मन और आत्मा की शुद्धि होती है, जिससे आंतरिक शांति, ज्ञान और ईश्वरीय कृपा प्राप्त होती है।
पूजा विधि और अनुष्ठान
- भक्ति से सुबह स्नान करें और स्वच्छ स्थान तैयार करें।
- तुलसी के पत्तों से सजाया हुआ altar बनाएं।
- फल, दूध और मिठाइयों का भोग लगाएं जबकि भगवद गीता और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
- पूरे दिन व्रत रखकर भगवान की आराधना करें।
- अगले दिन निर्धारित पारणा समय में व्रत खोलें।
व्रत के आध्यात्मिक लाभ
इस व्रत को करने से मन में आई बाधाएं दूर होती हैं, मानसिक शांति मिलती है और जीवन में समृद्धि आती है। यह व्रत धर्म और सत्य में विश्वास को मजबूत करता है और भगवान कृष्ण का आशीर्वाद देता है।
FAQs
- योगेश्वर द्वादशी व्रत क्यों खास है?
यह भगवान कृष्ण के योगेश्वर स्वरूप को समर्पित है, जो योग में कुशल स्वामी हैं। - कब व्रत रखना चाहिए?
16 नवंबर 2025 को व्रत रखकर अगले दिन पारणा करें। - पूजा के दौरान क्या पढ़ना चाहिए?
भगवद गीता और विष्णु सहस्रनाम का पाठ किया जाता है। - क्या व्रत के दौरान कुछ विशेष आहार लेना चाहिए?
अन्न त्याग कर ज्यादातर फल और दूध ही लें। - व्रत के लाभ क्या हैं?
आध्यात्मिक शांति, जीवन में समृद्धि और भगवान कृष्ण की कृपा। - इस व्रत को कौन कर सकता है?
यह व्रत सभी श्रद्धालु भक्त कर सकते हैं, विशेषत: भगवान विष्णु/कृष्ण के भक्त।
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