पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने से दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता बुरी तरह प्रभावित हो रही है, सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल कार्रवाई का निर्देश दिया।
दिल्ली प्रदूषण: पराली जलाने की घटनाओं ने बिगाड़ा एनसीआर का वायु स्तर
दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में वायु प्रदूषण की स्थिति और भी गंभीर हो गई है क्योंकि पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएँ बड़े पैमाने पर हो रही हैं। इस स्थिति की जानकारी सुप्रीम कोर्ट को दी गई, जहां यह मामला सुनवाई के लिए अगली तारीख पर देखने को है।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच के समक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता अप्राजिता सिंह, जो बेंच की मदद कर रही हैं, ने पंजाब और हरियाणा सरकारों से इस विषय में जवाब मांगा है। उन्होंने नासा के सैटेलाइट चित्रों का हवाला देते हुए बताया कि दोनों राज्यों में पराली जलाने की घटनाएँ बढ़ गयी हैं, जो दिल्ली-एनसीआर की पहले से खराब वायु गुणवत्ता को और बिगाड़ रही हैं।
चीफ जस्टिस बी आर गवै की अध्यक्षता वाली बेंच ने बुधवार को इस मामले पर सुनवाई करने का ऐलान किया और कहा कि वे जल्द ही आवश्यक आदेश पारित करेंगे।
3 नवंबर को, सुप्रीम कोर्ट ने एयर क्वालिटी मैनेजमेंट कमिशन (CAQM) को अपना हलफनामा जमा करने का निर्देश दिया था, जिसमें कहा गया है कि प्रदूषण को बढ़ने से रोकने के लिए अब तक क्या कदम उठाए गए हैं। कोर्ट ने अधिकारियों को चेतावनी दी है कि वे प्रदूषण के ‘गंभीर’ स्तर तक पहुँचने का इंतजार न करें बल्कि पहले से सर्तक कदम उठाएं।
अप्राजिता सिंह ने मीडिया रिपोर्टों का जिक्र करते हुए बताया कि दीवाली के दौरान दिल्ली के कई वायु गुणवत्ता निगरानी केंद्र कार्य नहीं कर रहे थे। ऐसा होने से ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) लागू करने में दिक्कत आई। उन्होंने बताया कि 37 में से सिर्फ 9 केंद्र ही दीवाली पर लगातार काम कर रहे थे।
सुप्रीम कोर्ट ने CAQM को स्पष्ट आंकड़े और कार्रवाई योजना पेश करने का आदेश दिया है, जिसमें प्रदूषण के विस्फोट को रोकने के लिए आगे क्या कदम उठाए जाएंगे उसका उल्लेख होगा।
10 अक्टूबर को, अदालत ने पर्यावरण और स्वास्थ्य दोनों का ध्यान रखते हुए दिल्ली-एनसीआर में दीवाली के दौरान ग्रीन पटाखों की बिक्री और फोड़ने की अनुमति दी थी, परंतु यह केवल 18 से 20 अक्टूबर के बीच और सीमित समय के लिए ही थी।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और संबंधित राज्य प्रदूषण बोर्ड मिलकर 14 से 25 अक्टूबर तक वायु गुणवत्ता की निगरानी करें और कोर्ट को रिपोर्ट दें। साथ ही, संदूषण के अधिक क्षेत्रीय उपयोग वाले स्थानों से रेत और पानी के नमूने भी जांच के लिए लिए जाएं।
यह मामला दिल्ली-एनसीआर के वायु प्रदूषण संकट को नियंत्रित करने के लिए सरकार और संबंधित एजेंसियों द्वारा उठाए जाने वाले कदमों का एक महत्वपूर्ण संकेत है।
FAQs:
- पराली जलाने का दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता पर क्या प्रभाव पड़ता है?
- सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा सरकारों से क्या कार्रवाई की मांग की है?
- GRAP (Graded Response Action Plan) क्या है और यह प्रदूषण नियंत्रण में कैसे मदद करता है?
- दीवाली के दौरान दिल्ली में ग्रीन पटाखों की बिक्री के क्या नियम थे?
- दिल्ली में वायु गुणवत्ता निगरानी केंद्रों की भूमिका क्यों महत्वपूर्ण है?
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