दिल्ली हाईकोर्ट ने पतंजलि को आदेश दिया कि वह दूसरे च्यवनप्राश ब्रांड्स को ‘धोखा’ बताने वाले विज्ञापनों को सभी मीडिया से हटाए।
पतंजलि के विज्ञापन पर रोक, कोर्ट ने कहा दूसरे ब्रांड्स को धोखाधड़ी कहना गलत
नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने पतंजलि आयुर्वेद को आदेश दिया है कि वह दूसरे च्यवनप्राश उत्पादों को ‘धोखा’ या ‘भ्रांतिपूर्ण’ बताने वाले अपने सभी विज्ञापनों को इलेक्ट्रॉनिक, डिजिटल और प्रिंट मीडिया से हटाए। यह आदेश डाबर इंडिया की याचिका पर 6 नवंबर को पारित किया गया।
न्यायमूर्ति तेजस करिया के समक्ष दी गई याचिका में दलील दी गई थी कि पतंजलि द्वारा ‘51 जड़ी-बूटियाँ, 1 सच्चाई। पतंजलि च्यवनप्राश!’ शीर्षक से जारी 25 सेकंड के विज्ञापन में अन्य ब्रांड्स को गलत तरीके से निशाना बनाया गया है।
कोर्ट ने कहा कि रामदेव द्वारा प्रस्तुत इस विज्ञापन में यह संदेश कि केवल पतंजलि का च्यवनप्राश वास्तविक और श्रेष्ठ है, आम दर्शकों पर गहरा प्रभाव छोड़ सकता है। ऐसे संदेश के कारण अन्य उत्पादों की विश्वसनीयता प्रभावित हो सकती है क्योंकि दर्शक इसे सत्य मान सकते हैं।
दिल्ली हाईकोर्ट ने अंतरिम निर्देश देते हुए पतंजलि को यह विज्ञापन किसी भी मीडिया में प्रसारित करने, प्रदर्शित करने या फैलाने से रोक दिया। साथ ही तीन दिनों के भीतर इस विज्ञापन को सभी मीडिया प्लेटफार्मों से हटाने, ब्लॉक करने या अक्षम करने के लिए भी आदेश दिया।
यह निर्णय आयुर्वेदिक उत्पादों की बाजार प्रतिस्पर्धा, नियमों और उपभोक्ता संरक्षण के संदर्भ में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
FAQs:
- दिल्ली हाईकोर्ट ने पतंजलि को किस विज्ञापन सामग्री को हटाने का आदेश दिया?
- डाबर इंडिया ने पतंजलि पर कौन से आरोप लगाए थे?
- पतंजलि के विज्ञापन में कौन सा कथन विवादास्पद पाया गया?
- कोर्ट ने क्यों कहा कि विज्ञापन आम दर्शकों पर गहरा प्रभाव डाल सकता है?
- पतंजलि को विज्ञापन हटाने का आदेश किन मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लागू होगा?
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