भारतीय Football के संकट में खिलाड़ियों की सोशल-मीडिया अपील से संकेत मिलता है कि अब समय है सभी को मिलकर लीग चलाने का। सुझाव दिए गए हैं कि अगले सीजन के लिए क्या किया जाना चाहिए।
भारतीय Football को कैसे पुनर्जीवित करें: एक सुझाव
जब भी हम देखते हैं कि देश के फुटबॉल खिलाड़ी सोशल मीडिया पर “हम खेलने का अधिकार मांग रहे हैं” जैसे सन्देश पोस्ट कर रहे हैं, तो यह सिर्फ एक व्यक्तिगत समस्या नहीं है, बल्कि उस सम्पूर्ण प्रणाली की चेतावनी है जिसमें फुटबॉल को संचालित किया जा रहा है। वर्तमान समय में भारत का फुटबॉल मैदानों पर नहीं बल्कि प्रशासन, वित्तीय और संरचनात्मक संकटों में फँसा हुआ दिखाई दे रहा है। इसी पृष्ठभूमि में यह सुझाव प्रस्तुत किया गया है कि कैसे All India Football Federation (AIFF) और Football Sports Development Limited (FSDL) मिलकर एक अंतिम प्रयास कर सकते हैं और इस तरह लीग को जीवनदान दे सकते हैं।
स्थिति का जायजा
- वर्तमान में भारतीय Football के शीर्ष प्रतियोगिता यानी आईएसएल (Indian Super League) के संचालन को लेकर बिडिंग व पार्टनरशीप का संकट है। 15 साल से इस प्रणाली को चलाया गया है, लेकिन परिणाम लगातार पीछे रहे हैं।
- खिलाड़ियों का कहना है कि जब वे खेलने के बजाय सोशल-मीडिया पर “कृपया हमें खेलने दें” जैसे पोस्ट कर रहे हों, तो मानसिक स्वास्थ्य और करियर दोनों पर गहरा असर पड़ता है।
- यदि लीग नहीं चलेगी, तो कई क्लब बंद हो जाएंगे, खिलाड़ियों के पास विकल्प नहीं होंगे, और भारत की फुटबॉल छवि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रभावित होगी।
सुझाव का मुख्य बिंदु
इस सुझाव के मुताबिक, यदि वर्तमान MRA (मर्चेंटाइजिंग एवं राइट्स एग्रीमेंट) 8 दिसंबर तक वैध है, तो AIFF और FSDL को मिलकर एक आखिरी बार लीग को चलाना चाहिए, भले ही उस सत्र में कुछ कटौती के साथ।
यह सिर्फ मरम्मत का उपाय नहीं बल्कि समय-खरीदने का तरीका है — ताकि आगे के लिए बदलती संरचना पर काम किया जा सके।
कार्रवाई विशेष रूप से क्या हो सकती है?
- क्लबों की भागीदारी: क्लबों को स्वीकार करना होगा कि इस सत्र में उन्हें घाटा हो सकता है; उन्हें अपना हिस्सा लगता स्वीकार करना होगा।
- खिलाड़ियों का समझौता: खिलाड़ियों को भी स्वीकार करना होगा कि वे इस सत्र में वेतन-कटौती या अन्य प्रकार की अदला-बदली के लिए तैयार हों।
- AIFF की भूमिका: संघ को इसमें वित्तीय भागीदारी और संचालन-समर्थन दोनों देना चाहिए ताकि लीग कमजोर अवस्था में ही बंद न हो जाए।
- लॉन्ग-टर्म रीस्क्रूचिंग: इस एक सत्र को चलते रहने के बाद ही एक नया मॉडल तैयार करना होगा — जिसमें प्रवेश-निकास प्रणाली, क्लब वित्तीय स्थिरता, विकास-अकादमी व्यवस्था आदि शामिल हों।
क्लबों, खिलाड़ियों और हितधारकों की जिम्मेदारी
- प्रत्येक क्लब को यह समझना होगा कि सिर्फ जीत-हार नहीं बल्कि निरंतर संचालन का मतलब है- “खिलाड़ियों को खेलने देने का अधिकार”।
- खिलाड़ियों को यह समझना होगा कि खेल-प्रेमियों के लिए उनकी उपस्थिति का क्या मतलब है; लीग न चलने पर उनकी खुद की प्रतिष्ठा प्रभावित होगी।
- संघ-वित्त-प्रायोजक-मीडिया सभी को यह समझना होगा कि फुटबॉल सिर्फ एक व्यवसाय नहीं बल्कि युवाओं के सपनों की दिशा है।
यदि यह सत्र नहीं हुआ तो क्या होगा?
- सरकार या एफआईएफए/एएफसी द्वारा भारत पर प्रतिबंध या चार्ट सदस्यता-प्रभावित हो सकती है।
- कई क्लब बिना मैच-राजस्व के बंद हो सकते हैं, जिससे फुटबॉल के विकास-चक्र में बहुत बड़ा रुकावट आएगी।
- महत्वपूर्ण युवाओं का पलायन या खेल छोड़ने का खतरा बढ़ जाएगा।
यह सुझाव जितना तत्काल-उपयोगी है उतना ही खासी चुनौतीपूर्ण भी। लेकिन जब संकट गहरा हो जाता है, तो एक “अंतिम प्रयास” बन जाता है आवश्यकता। भारतीय फुटबॉल को अगर बचाना है, तो अब सिर्फ कहने से काम नहीं चलेगा — सभी हितधारकों को सामूहिक रूप से कदम उठाना होगा।
“यह स्थिति दर्दनाक है कि खिलाड़ी खेलने के बजाय सोशल-मीडिया पर गुहार लगा रहे हैं। अब हम सबको जिम्मेदारी लेनी होगी।’‘ — लेख में कहा गया।
इस प्रकार, यह सिर्फ सुझाव नहीं बल्कि एक विमर्श-चक्र की शुरुआत है, जिसे समय रहते आगे लेना होगा।
FAQs
- क्या यह सुझाव लीग को तुरंत पुनः शुरू करने की बात कह रहा है?
– हाँ, सुझाव कहता है कि इस सत्र को किसी तरह चलाना चाहिए, भले ही सीमित रूप से, ताकि अगले अध्याय के लिए समय मिले। - इस सुझाव में कौन-कौन शामिल होंगे?
– AIFF, FSDL, क्लब, खिलाड़ी, प्रायोजक एवं अन्य हितधारक। - क्या सुझाव ने क्लब्स को घाटा उठाने को कहा है?
– हाँ, सुझाव में कहा गया है कि क्लबों को इस सत्र में घाटे को स्वीकार करना होगा ताकि आगे की दिशा तय की जा सके। - खिलाड़ियों के लिए क्या प्रतिरोध हो सकता है?
– खिलाड़ियों को वेतन घटाने या कुछ समय तक शुल्क-दबाव-इत्यादि स्वीकार करना होगा। अगर इंकार किया गया तो लीग आगे नहीं बढ़ पाएगी। - यदि लीग फिर भी नहीं चलती है तो क्या?
– यह स्थिति फुटबॉल के विकास को बहुत पीछे खींच सकती है, क्लब-खिलाड़ी दोनों को भारी नुकसान होगा। - यह सुझाव कितना स्थायी है?
– यह अस्थायी रूप से लीग को बचाने का तरीका है, दीर्घकालीन मॉडल इसके बाद तैयार किया जाना है।
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