राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बोत्सवाना और अंगोला के दौरे के समापन पर ऊर्जा, व्यापार और निवेश के क्षेत्र में भारत के सहयोग को और गहरा करने का भरोसा दिया।
राष्ट्रपति मुर्मू की यात्रा से अफ्रीकी देशों के साथ भारत के संबंध और मजबूत हुए
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने छह दिवसीय राज्य दौरे के आखिरी चरण में बोत्सवाना और अंगोला की यात्रा पूरी की और दिल्ली के लिए रवाना हो गईं। इस दौरान उन्होंने भारत के ऊर्जा, व्यापार और निवेश साझेदारी को दोनों अफ्रीकी देशों के साथ सुदृढ़ करने का संकल्प दोहराया।
बोत्सवाना की राजधानी गाब्रोन में राष्ट्रपति दुलमा गिडीयन बोको द्वारा उन्हें लोक नृत्य और सैनिक गार्ड ऑफ ऑनर से विदा किया गया। यह पहली बार था जब किसी भारतीय राष्ट्रपति ने अंगोला और बोत्सवाना का दौरा किया।
विदेश मंत्रालय के आर्थिक समन्वय सचिव सुधाकर डालेला ने कहा कि यह दौरा भारत के अफ्रीकी महाद्वीप के साथ जुड़ाव की प्राथमिकता को दर्शाता है। बोत्सवाना, जो हीरे का प्रमुख उत्पादक है, भारत से हीरे के कटिंग और पोलिशिंग में क्षमता निर्माण सहयोग की उम्मीद रखता है।
मुर्मू ने बोत्सवाना में आठ चीता बाघों को प्रतीकात्मक रूप से सौंपा, जो भारत में मध्य 1950 के दशक से विलुप्त हो चुके हैं। साथ ही भारत-बोत्सवाना ने गुणवत्तापूर्ण और किफायती दवाओं की आपूर्ति के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर किए।
अंगोला में, मुर्मू ने राष्ट्रपति जोआओ मैनुएल गोंकाल्वेस लोरेंको से मुलाकात की और नवीकरणीय ऊर्जा, वन्यजीव संरक्षण तथा जैव-ईंधन जैसे क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने की बात कही। भारत की तेल और गैस कंपनियां अंगोला के साथ दीर्घकालिक ऊर्जा खरीद समझौता करना चाहती हैं।
अंगोला ने भारत की अगुवाई वाले अंतरराष्ट्रीय बिग कैट अलायंस और ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस में शामिल होने का निर्णय लिया है। बैठक के दौरान अंगोला के 50वें स्वतंत्रता दिवस समारोह में भी मुर्मू ने भाग लिया।
FAQs:
- राष्ट्रपति मुर्मू का दौरा किन देशों का था और इसका उद्देश्य क्या था?
- भारत ने बोत्सवाना और अंगोला के साथ किन क्षेत्रों में समझौते किए?
- चीता पुनर्स्थापना परियोजना का महत्व क्या है?
- भारत और अंगोला के बीच ऊर्जा सहयोग के क्या पहलू हैं?
- इस दौरे से भारत-अफ्रीका संबंधों को क्या लाभ मिलेगा?
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