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बच्चों में पुनरावृत्ति UTI क्यों खतरनाक है?

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बच्चों में बार-बार UTI सिर्फ इन्फेक्शन नहीं — नेफ्रोलॉजिस्ट के अनुसार इससे गुर्दों में स्कारिंग, हाई ब्लड प्रेशर व लंबे समय की परेशानी हो सकती है।

बच्चों में बार-बार UTI:नेफ्रोलॉजिस्ट बताते हैं कैसे गुर्दों को हो सकती है धीमी चोट

जब बच्चे को पहली बार Urinary Tract Infection (यूटीआई) हो जाती है, तो माता-पिता अक्सर इसे एक सामान्य इन्फेक्शन की तरह लेते हैं — एंटीबायोटिक देकर, राहत मिलते ही भूल जाते हैं। लेकिन बच्चों में बार-बार यूटीआई होने की स्थिति एक चुपचाप बढ़ती समस्या बन सकती है, जिसे हम हल्के में नहीं ले सकते। नेफ्रोलॉजिस्ट के अनुसार, बार-बार संक्रमण और छिपी संरचनात्मक गड़बड़ियाँ मिलकर ऐसे असर डालती हैं कि गुर्दों की कार्य-क्षमता पर लंबे समय तक प्रभाव पड़ सकता है।


UTI से गुर्दे तक का कनेक्शन

  • यूटीआई तब शुरू होती है जब बैक्टीरिया मूत्रमार्ग (यूरेथ्रा, मूत्राशय) तक पहुँचते हैं। बच्चों में शुरुआत में लक्षण हल्के हो सकते हैं: बुखार, चिड़चिड़ापन, उबड़-खाबड़ मूत्र, मूत्र जलन।
  • कुछ मामलों में, यह संक्रमण मूत्राशय से ऊपर उठकर मूत्रवाहिनी (यूरेटर) व गुर्दे तक पहुँच जाती है — जिसे विशेष रूप से Pyelonephritis कहा जाता है। जब गुर्दे के ऊपरी हिस्से संक्रमित होते हैं, तो वहाँ की नाजुक टिशू को जलन-प्रतिक्रिया होती है।
  • इलाज-प्रक्रिया व आराम के बाद भी यदि संक्रमण बार-बार हो रहा है, तो गुर्दे में सकारात्मक बदलाव नहीं बल्कि स्कारिंग (scar tissue formation) हो सकती है — यानी कार्यक्षम गुर्दा-ऊतक धीरे-धीरे बदल जाती है।
  • उदाहरण के लिए, अधिकांश बच्चों में एक-दो यूटीआई से स्थायी मुसीबत नहीं होती, लेकिन अगर संक्रमण बार-बार हो रहा हो—यह संरचनात्मक दोष जैसे Vesicoureteral Reflux (VUR) हो सकता है, जहाँ मूत्राशय-से मूत्र वापस गुर्दे की ओर जाता है। यह प्रवाह-उलटा (reflux) बैक्टीरिया को गुर्दे तक पहुँचने में मदद करता है।
  • गुर्दे में स्कार हونے के बाद, भविष्य में उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन), क्रॉनिक किडनी डिजीज (CKD) व बार-बार संक्रमण-विकास जैसी जटिलताएँ सामने आ सकती हैं।

कौन-से कारण बच्चों में यूटीआई बार-बार होती है?

  1. संरचनात्मक दोष (Structural anomalies): VUR, मूत्रवाहिनी का अच्छा-से-अचयन न होना, पेशाब पूरा न निकलना, मूत्राशय-ओवरफ्लो।
  2. मूत्राशय-शरीर क्रिया में गड़बड़ी: जैसे बच्चे पेशाब रोकते हों-या पूरी तरह न निकालें, कब्ज-होना, कम पानी पीना आदि।
  3. स्वच्छता-विज्ञान कमजोर होना: बैक्टीरिया-प्रवेश को सहज बनाना, विशेष रूप से लड़कियों में “सामने से पीछे” पोंछने की गलत आदत।
  4. चिकित्सा-अनुपूर्ति: संक्रमण ठीक-ठीक इलाज न होना या दिये गए एंटीबायотिक पूरा न लेना।
  5. विशेष जोखिम-ग्रूप: जैसे स्पाइनल कॉर्ड या न्यूरोजेनिक ब्लैडर वाले बच्चे, मूत्राशय खाली न होने की समस्या वाले।

लक्षण-और-सावधानियाँ

  • छोटे-बच्चों में यूटीआई का लक्षण स्पष्ट नहीं होता: सिर्फ़ बुखार, मूर्खपना, भूख कम लगना, मूत्र में गंध।
  • बड़े बच्चे में पेशाब करते समय जलन, बार-बार पेशाब जाना, मूत्र रंग में बदलाव, पेट-नीचे-पीठ-दर्द हो सकते हैं।
  • यदि बुखार बहुत ज्यादा है, पीठ-साइड-दर्द हो रहा है, या बच्चा बहुत कमजोर दिख रहा है — यह संकेत हो सकता है कि गुर्दे तक संक्रमण पहुंच गया हो।
  • बार-बार यूटीआई (उदाहरण-स्वरूप हर छह-महीनों में दो बार, या साल में तीन बार से अधिक) को हल्के में न लें।

पोस्ट-UTI गुर्दे को क्या-क्या ख़तरे होते हैं?

  • गुर्दे की स्कारिंग: जैसा कि वीयूआर या बार-बार संक्रमण से गुर्दे में होने वाला घाव-उपचार एक कमजोर ऊतक छोड़ देता है, जो भविष्य में गुर्दे की कार्य-क्षमता कम कर सकता है।
  • हाई ब्लड प्रेशर: स्कार टिशू गुर्दे की रक्त-वाहिकाओं तथा फिल्टरिंग क्षमता को प्रभावित करता है, जो आगे चलकर उच्च रक्तचाप का कारण बन सकता है।
  • क्रॉनिक किडनी डिजीज (CKD): समय-के-साथ गुर्दे की कार्य-क्षमता गिर सकती है और अगर स्कारिंग बहुत बढ़ जाए तो किडनी डिजीज का खतरा बढ़ जाता है।
  • जीवन-भर संक्रमण-प्रवणता: गुर्दे कमजोर हों तो बचपन में संक्रमित होना भविष्य में भी संक्रमण-प्रवणता को बढ़ा सकता है।

निदान-विकल्प और बचाव-कदम

  • पहली बात, यदि बच्चा बार-बार यूटीआई हो रहा हो तो पेडियाट्रिक नेफ्रोलॉजिस्ट/यूrologist से सलाह लें।
  • एक सामान्य मूत्र परीक्षण (यूरीन कल्चर) व बैक्टीरिया-संवेदनशीलता देखना आवश्यक है।
  • स्ट्रक्चरल जाँचें: अल्ट्रासाउंड स्कैन, मूत्रवाहिनी एवं मूत्राशय की अवस्थिति-जांच, यदि उड़ना हो तो VCUG/MCU या विशेष स्कैन की सलाह।
  • विवाह-अनुशासनिक उपाय:
    • बच्चे को अधिक-पानी पिलाना, पेशाब को रोके न रखना।
    • कब्ज-रोकथाम करना, शौचालय-निरंतरता बनाए रखना।
    • लड़कियों में सही पोंछने-की आदत, स्वच्छता-देखभाल।
    • नियमित रूप से जांच-मूलक समय तय करना पीड़िशोस दिखने पर।
  • यदि VUR या अन्य दोष मिलें, तो एंटीबायोटिक-प्रोफिलैक्सिसिस, मूत्राशय-ट्रेनिंग या कभी-कभी सर्जरी-विकल्प अपनाए जा सकते हैं।

माता-पिता के लिए सुझाव

  • यूटीआई को “बस एक और फ्लू जुखाम” की तरह न देखें—अगर दो-तीन बार हो चुकी हो तो ध्यान दें।
  • बच्चों को नियमित रूप से पानी-जलणोत्साहन करें और पेशाब को रोके न रखने-की आदत सुधारें।
  • यदि बच्चा बिस्तर गीला कर रहा हो या पहले बिंदु पर सूख था—तो यह संकेत हो सकता है कि मूत्रमार्ग-समस्या हो सकती है।
  • लेख के अनुसार, नेफ्रोलॉजिस्ट की सलाह है: “हम सिर्फ संक्रमण का इलाज नहीं कर रहे—हम जीवनभर की गुर्दे-हानी को रोकने की दिशा में काम कर रहे हैं।”
  • नियमित जांचें, विशेष रूप से यदि बच्चा किसी मूत्रमार्ग-दोष, पृष्ठभूमि में न्यूरोलॉजिक समस्या या पूर्व यूटीआई-इतिहास रखता हो।

बच्चों में यूटीआई हो जाना सामान्य-सी बात हो सकती है, लेकिन जब वह बार-बार हो जाए—तो यह सिर्फ परेशानी नहीं बल्कि गुर्दों की चुपचाप पहुंचने-वाली चोट का सेट-अप हो सकती है। इस स्थिति में संक्रमण को तुरंत पहचानना, सही-समय पर जाँचना और जरूरी जाँच-उपचार करना न केवल लक्षणों को ठीक करता है बल्कि गुर्दे-स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने में भूमिका निभाता है। इसलिए, अगले बार जब बच्चा पेशाब करते समय दर्द, बढ़ी हुई फ्रीक्वेंसी या सामान्य से बहुत अलग लक्षण दिखाए—तो इसे नजरअंदाज मत करें। समय-पर कदम उठाना भविष्य-को महत्वपूर्ण रूप से बदला सकता है।


FAQs

  1. क्या एक-दो यूटीआई से भी गुर्दे को नुकसान हो सकता है?
    – नहीं सामान्यतः नहीं। लेकिन अगर यूटीआई बार-बार हो रही है या गुर्दे तक पहुँच गई हो तो नुकसान-का जोखिम बढ़ जाता है।
  2. कौन-कौन से बच्चे ज्यादा जोखिम में होते हैं?
    – देरी से पेशाब खाली करने वाले, कॉन्स्टिपेशन वाले, VUR या मूत्रमार्ग-दोष वाले बच्चे, न्यूरोलॉजिक ब्लैडर समस्या वाले, आदि।
  3. क्या एंटीबायोटिक-इस्तेमाल से यूटीआई पूरी तरह रोक-सकती है?
    – एंटीबायोटिक संक्रमण के इलाज में प्रभावी है, लेकिन यदि संरचनात्मक कारण मौजूद हों तो पुनरावृत्ति रोकने के लिए अतिरिक्त उपाय ज़रूरी हैं।
  4. क्या डाइट-या-बीआर‐मैं कोई विशेष बदलाव करना चाहिए?
    – हाँ—पानी-पेय बढ़ाएं, कब्ज‐रोके रखें, शौचालय-रूटीन नियमित करें; ये सामान्य उपाय पुनरावृत्ति को कम करने में मददगार हैं।
  5. क्या यूटीआई-प्रीवेंशन में स्वच्छता ही पर्याप्त है?
    – स्वच्छता बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन अकेली स्वच्छता पर्याप्त नहीं—पेशाब-खालीकरण, संभावित दोष-जाँच, नियमित-पानी जैसे उपाय भी शामिल हैं।
  6. कितनी बार यूटीआई होने पर डॉक्टर-विशेषज्ञ से मिलना चाहिए?
    – यदि छह-महीनों में दो या एक-साल में तीन से ज्यादा यूटीआई हुई हो, या यदि संक्रमण के बाद भी बालकम ठीक न हो रहा हो—तो विशेष जाँच-के लिए नेफ्रोलॉजिस्ट/यूrologist से मिलना उपयुक्त होगा।
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