अमेरिकी टैरिफ व भूराजनीतिक तनाव के बीच Thomas Cook India ने कहा कि ट्रैवल सेक्टर में गिरावट आई थी, लेकिन अभी आने वाला हॉलिडे-सीजन बहुत आशाजनक दिख रहा है।
अमेरिकी टैरिफ ने ट्रैवल सेक्टर को झटका दिया लेकिन आने वाला हॉलिडे-सीजन उत्साह में दिख रहा है
जब यात्रा-उद्योग पर अमेरिकी प्रशासन द्वारा लगाए गए टैरिफ, भूराजनीतिक तनाव और मुद्रा-प्रेस जैसे कई कारक एक-साथ प्रभाव डालते हैं, तब “सामान्य छुट्टियों की योजना” भी प्रभावित हो जाती है। Thomas Cook (India) के अध्यक्ष व समूह CFO डेबासिस नंदी ने इस हवा-माहौल का अनुभव साझा करते हुए कहा है कि सेक्टर ने कुछ कठिन समय देखा है, लेकिन आने वाले दिसंबर-जनवरी हॉलिडे सीजन के लिए ट्रैवेल बुकिंग्स में अब उत्साह और सकारात्मकता लौटने लगी है।
ट्रैवल सेक्टर को लगी चोटें
- भारतीय ट्रैवेल कंपनियों ने बताया कि यूएस-टैरिफ और अमेरिकी बाजार में भारत-से यात्रियों की संख्या में कमी देखें गई है। नंदी ने कहा कि भारतीय ट्रैवेलर्स “यूएस-जाने की इच्छा” में थोड़ा पीछे रहे हैं, जिससे कंपनी के अमेरिकी इनबाउंड व आउटबाउंड दोनों पक्षों पर असर हुआ।
- इसके अलावा, भारत-पाक सीमा तनाव और मध्य-पूर्व (इज़राइल-ईरान) संघर्ष ने अंतरराष्ट्रीय ट्रैवल की तल्खी बढ़ाई थी। इन कारणों से यह कम-दूरी ट्रैवल से आगे नहीं बढ़ पा रहा था।
- ये सभी मिलकर कंपनी के सितंबर-तिमाही के प्रदर्शन पर दबाव बने हैं—हालांकि उन्होंने अभी भी लाभ बनाए रखने की क्षमता दिखाई है।
छुट्टियों-सीजन में फिर से क्यों उम्मीद है?
- नंदी के अनुसार, GST दर कटौती और खुदरा मुद्रास्फीति (रिटेल-इन्फ्लेशन) के अब न्यून स्तर पर रहने से उपभोक्ता की क्रय-शक्ति में सुधार आया है। इसने ट्रैवेल-बुकिंग्स को बल दिया है।
- दिसंबर-जनवरी की अग्रिम बुकिंग्स (एडवांस बुकिंग्स) आउटबाउंड व इनबाउंड दोनों में बेहतर ट्रेंड दिखा रही हैं। विशेष रूप से एशिया व यूरोप गंतव्यों के लिए।
- भारत-चीन के बीच संबंधों में सुधार और सीधी-उड़ानों की निगमन (बहुत कम विलंब के साथ) ने नई अवसर प्रस्तुत किये हैं।
उद्योग-विश्लेषण: क्या देखें-ज़रूर?
- ट्रैवेल कंपनियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती रही है अग्रिम बुकिंग-अस्थिरता: जब लोग यात्रा तय कर रहे हों लेकिन परिस्थितियाँ जल्दी बदल जाएँ (जैसे युद्ध, टैरिफ, बीमारी)।
- इनबाउंड भारत (विदेशियों द्वारा भारत यात्रा) का हिस्सा पिछले साल थोड़ा गिरा था, जो संकेत देता है कि विदेशी यात्री-आकर्षण, वीजा-नीति, और भरोसा-वातावरण की दिशा पर कदम उठाना होगा।
- आउटबाउंड यात्रियों की संख्या बढ़ने की ओर इशारा है, खासकर मध्य-उत्तरी यूरोप व एशिया-पैसिफिक में। लेकिन प्रतिस्पर्धा, कपन-सेगमेंट व एयरलाइन-कनेक्टिविटी की भूमिका अहम बनेगी।
- कंपनियों का नजरिया अब सिर्फ “यात्रा बेचने” पर नहीं बल्कि ट्रैवेल-अनुभव, पैकेज-वैल्यू, डिजिटल सेवाएं (फॉरेक्स-कार्ड, ऑनलाइन-प्लेटफॉर्म) पर भी जा रहा है। उदाहरण-स्वरूप Thomas Cook India ने फॉरेक्स-कार्ड को डिजिटल प्लेटफॉर्म (Google Pay) से जोड़ा है।
क्या यात्रियों को इससे फायदा हो सकता है?
- यदि आप इस हॉलिडे-सीजन में यात्रा-योजना बना रहे हैं, तो अब-जिस तरह ट्रैवेल-सेगमेंट में “सेल्स-उत्साह” लौटता दिख रहा है—आप पहले से बुकिंग करने पर बेहतर विकल्प पा सकते हैं।
- विमान-कनेक्टिविटी व डायरेक्ट-फ्लाइट्स में सुधार हो रहा है, इसलिए गंतव्य-विविधता बढ़ सकती है।
- ट्रैवेल-कंपनियों का डिजिटल-फॉरेक्स-सहायता बढ़ रही है, जिससे विदेशी मुद्रा-प्रबंधन व यात्रा-कस्टमर-सपोर्ट बेहतर हुआ है। यह सरल और समय-बचत वाला विकल्प बना है।
- हालांकि, यात्रियों को यह ध्यान रखना चाहिए कि अमेरिकी टैरिफ, अंतरराष्ट्रीय तनाव व एयरलाइन-इंधन-कीमद बढ़ सकती है—इनसे लागत-उछाल का जोखिम बना हुआ है।
ट्रैवेल-उद्योग ने पिछले कुछ महीनों में चुनौतियाँ झेली हैं—टैरिफ, भू-राजनीति, और उपभोक्ता-मन में अस्थिरता ने असर डाला है। लेकिन आने वाला छुट्टियों का मौसम अब एक नए प्रारंभ का संकेत दे रहा है। Thomas Cook India के दृष्टिकोण से, अगर आप समय से योजना बनाते हैं, बुकिंग-पहले करते हैं और यात्रा-सहायताओं का लाभ लेते हैं, तो यह सुनहरा अवसर हो सकता है।
यात्रा-सेगमेंट में साहस और गति दोनों की जरूरत है—लेकिन आज जब बुकिंग-ट्रेंड उभरने लगे हैं, तो यात्रियों-और-उद्योग दोनों-के-लिए उम्मीद-की किरण दिख रही है।
FAQs
- अमेरिकी टैरिफ का भारतीय ट्रैवेल-उद्योग पर क्या-प्रभाव हुआ?
– अमेरिकी टैरिफ ने भारतीय यात्रियों के यूएस-गंतव्य की संख्या में कमी लाने में भूमिका निभाई, जिसके कारण कुछ ट्रैवेल-सेगमेंट निर्बल हुए। - ट्रैवेल-बनाम अंतरराष्ट्रीय तनाव का प्रभाव क्या रहा?
– भारत-पाक तनाव व मध्य-पूर्व संघर्ष जैसी स्थितियाँ यात्रियों की योजना-निर्धारण को प्रभावित करती हैं, जिससे अग्रिम बुकिंग्स कम हो जाती हैं। - आने वाला हॉलिडे-सीजन क्यों बेहतर दिख रहा है?
– GST-दर कटौती, निम्न खुदरा-मुद्रास्फीति तथा बढ़ती अग्रिम-बुकिंग्स ने उत्साह लौटाया है। - यात्रियों को क्या सावधानी बरतनी चाहिए?
– यात्रा-पहले बुक करें, डिजिटल-सहायता व फॉरेक्स-फैसिलिटी देखें, और गंतव्य-निर्धारण व फ्लाइट-लॉजिक पर ध्यान दें। - ट्रैवेल-कंपनियों की रणनीति में क्या बदलाव आया है?
– कंपनियाँ अब सिर्फ पैकेज-बिक्री नहीं बल्कि डिजिटल-सर्विसेज, फॉरेक्स-कार्ड, बेहतर कनेक्टिविटी व समय-पर यात्रा-सहायता पर जोर दे रही हैं। - क्या यह संकेत है कि ट्रैवेल-उद्योग पूरी तरह सुदृढ़ हो गया है?
– नहीं, यह पहचान है कि सुधार-की ओर कदम बढ़ रहे हैं; लेकिन जटिलताएँ (लागत-उछाल, ग्लोबल-वोलैटिलिटी) अभी भी बनी हुई हैं।
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