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Sabarimala मंदिर 18 घंटे खुलेगा-मंडल-मकरविलक्कु सीजन की विशेष व्यवस्था

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Sabarimala Mandalam Makaravilakku
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Sabarimala मंदिर में मंडल-मकरविलक्कु तीर्थयात्रा शुरू हुई है—दिन में 18 घंटे दर्शन, प्रतिदिन 90 हज़ार श्रद्धालुओं को अनुमति, नए मेलसंथि की नियुक्ति व व्यापक व्यवस्था।

Sabarimala मंदिर में मंडल-मकरविलक्कु तीर्थयात्रा सीजन की शुरुआत

केरल के प्रसिद्ध पर्वतीय तीर्थस्थल सबरिमाला में वार्षिक मंडल-मकरविलक्कु तीर्थयात्रा सीजन का प्रारंभ हो गया है। यह सीजन लगभग दो महीने तक जारी रहता है और देशभर से लाख-हज़ार श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। इस वर्ष के आयोजन में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं—दर्शन-घंटे बढ़ाए गए हैं, प्रतिदिन दर्शन के लिए अधिक संख्या में स्लॉट रखे गए हैं, और नए मेलसंथि की नियुक्ति भी हुई है। इन तैयारियों के पीछे लक्ष्य है श्रद्धालुओं को सुगमता-सुरक्षा के साथ तीर्थयात्रा का अनुभव देना।


मुख्य तैयारियाँ और व्यवस्था

  • मंदिर शाम के समय खोला गया था और आधिकारिक रूप से अगले दिन सुबह से दर्शन-क्रिया प्रारंभ हुई। इसमें नए मेंलसंथि की नियुक्ति की गई, जिनके संभालने के बाद मंदिर का मुख्य संचालन होगा।
  • तीर्थयात्रियों के प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए वर्चुअल-क्यू प्रणाली तथा स्थल-पास व्यवस्था की गई है। प्रतिदिन लगभग 90,000 श्रद्धालुओं को निर्देशित रूप से दर्शन के लिए अनुमति दी गयी है—70,000 ऑनलाइन पास के माध्यम से और 20,000 स्थान-पास (spot passes) के रूप में।
  • मंदिर के खुलने के समय को दो चरणों में विभाजित किया गया है: सुबह-3 बजे से 1 बजे तक और पुनः दोपहर-3 बजे से रात-11 बजे तक। इस तरह दिन में कुल 18 घंटे दर्शन खुला रहेगा।
  • भक्तों के लिए पानी-की सुविधा, विश्राम-आस्थाएँ, मतदान-तंबू, आपात चिकित्सकीय सेवा, शौचालय व बायो-टॉयलेट जैसे सुविधाओं को बढ़ाया गया है। भीड़-प्रबंधन के लिए विशेष मार्ग, सूचना-बोर्ड व मल्टी-लिंगुअल सहायता दी गयी है।
  • नए नियुक्त बोर्ड अध्यक्ष व संचालन समिति द्वारा यह सुनिश्चित करने का आश्वासन दिया गया है कि तीर्थयात्रा सुचारु व परेशानी-रहित हो।

स्तुति-तिथि व धार्मिक विशेषताएँ

इस वर्ष की शुरुआत मोहीबाक मलयालम माह ‘वृश्चिकम’ के प्रथम दिन से हुई है, जो इस सीजन की मान्यता प्राप्त अवधि है। इस दौरान श्रद्धालुओं द्वारा विशेष व्रत पालन, काले वेशभूषा में सफ़र, इरुमुदिक्केट्टु (साधारण सामान बँधा हुआ बंडल) ओढ़कर पूजा-प्रक्रिया में भाग लिया जाता है। मंदिर प्रवेश के पूर्व 18-सोपान (पवित्र सीढ़ियाँ) चढ़ने की रीति ओर विशेष संकल्प(“व्रतम”) का निर्वाह भी देखा जाता है।


भक्तों-के लिए सुझाव व सावधानियाँ

  • वर्चुअल-क्यू या ऑनलाइन स्लॉट जल्द ही भर जाते हैं—सो दर्शन-टाइम से पहले पास बुक कर लेना बेहतर रहेगा।
  • काले वेश-भूषा व इरुमुदिक्केट्टु सहित तीर्थयात्रा की मान्यता-प्रथा का समुचित ध्यान रखें।
  • Trekking मार्ग व पहाड़ी-मंजिल होने की वजह से स्वास्थ्य-स्थिति का ध्यान रखना ज़रूरी है—ट्रेकिंग निर्देशों का पालन करें।
  • विशेष रूप से बढ़ी हुई भीड़ को ध्यान में रखते हुए धीमी चाल से चलेँ, साफ-सफाई व पर्यावरण-संवेदनशीलता अपनाएँ।
  • यदि सुबह-3 बजे से दर्शन खुलने वाला पहला चरण चुनना हो तो रात-पहले विश्राम करना बेहतर होगा ताकि स्वास्थ्य प्रभावित न हो।
  • बच्चों, बुजुर्गों या रहसय-पथ पर कमी महसूस करने वालों के लिए विशेष सुविधा-पथ व सहायता उपलब्ध है—उनका लाभ लें।

प्रभाव-व विश्लेषण

  • इस सीजन की शुरुआत से पहले की गई तैयारियाँ यह संकेत देती हैं कि तीर्थस्थल-प्रबंधन उस दिशा में कदम बढ़ा रहा है जहाँ श्रद्धालुओं-के अनुभव को आसान व सुरक्षित बनाया जा सके।
  • दर्शन-घंटों के विस्तार और दर्शन-संख्या की वृद्धि से बड़ी संख्या में भक्त शामिल हो सकेंगे, जिससे तीर्थयात्रा आर्थिक-संस्थान व स्थानीय-समुदाय के लिए भी लाभ-प्रद हो सकती है।
  • ट्रेकिंग-मार्ग व सुविधाओं में निवेश से पर्यटक-और-धर्म-यात्रियों को बेहतर सुविधा मिलेगी तथा स्थानीय सेवा-उद्योग को भी बढ़ावा मिलेगा।
  • साथ-ही यह चुनौती भी सामने आती है कि बढ़ी भीड़ व तीव्र तीर-प्रवाह के बीच पर्यावरण व सुरक्षा-प्रबंधन किस तरह संतुलित रहेगा।

सबरिमाला मंदिर में मंडल-मकरविलक्कु तीर्थयात्रा सीजन की शुरुआत एक वृहद् आयोजन-प्रस्तावना है—जहाँ धार्मिक उदात्तता, श्रद्धा-रुझान और आधुनिक-प्रबंधन एक साथ मिल रहे हैं। यह न सिर्फ एक धार्मिक पर्व है बल्कि तीर्थस्थल-नेतृत्व व स्थानीय-समुदाय द्वारा संचालित-विकास-यात्रा का भी प्रतीक है। यदि यात्रियों द्वारा सुझाई गई दिशा-निर्देशों का पालन होगा और प्रबंधन ने अपनी तैयारियों को बनाए रखा, तो यह यात्रा न सिर्फ यादगार बनेगी बल्कि सुरक्षित व सामाजिक-रूप से समृद्ध बनेगी।


FAQs

  1. इस वर्ष मंडल-मकरविलक्कु सीजन कब शुरू हुआ?
    – इस वर्ष मंदिर तय दिन-समय पर शुरुआती शुभ समय में खुला और सुबह-3 बजे से आधिकारिक दर्शन-प्रारंभ हुआ।
  2. प्रतिदिन कितने श्रद्धालुओं को दर्शन की अनुमति है?
    – प्रतिदिन लगभग 90,000 श्रद्धालुओं को दर्शन के लिए पास दिए गए हैं—उनमें से अधिकांश ऑनलाइन वर्चुअल-क्यू के माध्यम से व कुछ स्थल-पास के माध्यम से।
  3. दर्शन-घंटे इस सीजन में कैसे हैं?
    – मंदिर दिन में दो चरणों में खुला रहेगा: सुबह-3 बजे से 1 बजे तक और दोपहर-3 बजे से रात-11 बजे तक, जिससे दिन-भर कुल 18 घंटे दर्शन-सुविधा रहेगी।
  4. तीर्थयात्रा से पहले क्या-क्या तैयारियाँ करनी चाहिए?
    – वर्चुअल-क्यू पास बुक करना, काले वेश-भूषा व इरुमुदिक्केट्टु तैयार रखना, ट्रेकिंग-मार्ग का ध्यान रखना, स्वास्थ्य स्थिति जांच लेना व समर्थनीय स्पष्ट जानकारी लेना चाहिए।
  5. क्या विशेष सुविधा-प्रबंध किए गए हैं?
    – हाँ, पानी-विश्राम सुविधा, बायो-टॉयलेट, आपात चिकित्सा-सेवा, मल्टी-लिंगुअल सूचना-बोर्ड, ट्रेकिंग-मार्ग सुरक्षा आदि प्रमुख व्यवस्था की गयी हैं।
  6. स्थानीय-समुदाय एवं अर्थ-विकास पर इसका क्या प्रभाव होगा?
    – तीर्थयात्रा की बढ़ी संख्या स्थानीय-व्यापार, आतिथ्य-सेवा, परिवहन व स्थानीय-उद्योगों को लाभ दे सकती है; साथ-ही तीर्थस्थल-प्रबंधन के जिम्मेदारी-बोझ को भी बढ़ा सकती है।
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