Relationship Trend में नए अध्ययन में पता चला है कि 97% भारतीय महिलाएं अब संबंधों में स्थिर और गंभीर प्रतिबद्धता चाहती हैं, पुरुषों में यह प्रतिशत 80% है।
भारतीय Relationship Trend में बदलाव
Relationship Trend कभी सिर्फ मिलना-जुलना, डेटिंग या समय-समय की दोस्ती तक सीमित रहता था। लेकिन एक नए अध्ययन ने यह दिखाया है कि अब भारतीय सिंगल्स—विशेषकर महिलाएं—रिश्तों में गंभीर प्रतिबद्धता को प्राथमिकता दे रही हैं। अध्ययन के अनुसार, 97 % महिलाएं यह कहना चाहती हैं कि उनके लिए स्थिर रिश्ता महत्वपूर्ण है, जबकि पुरुषों में यह आंकड़ा 80 % रहा। यह आंकड़ा सिर्फ संख्या नहीं, बल्कि रिश्तों-की समझ में एक नया मोड़ है।
अध्ययन-का निष्कर्ष क्या कहता है?
अध्ययन में लगभग 3,400 शहरी भारतीय सिंगल्स का सर्वे किया गया। इसमें शामिल बिंदु प्रमुख हैं:
- 97 % महिलाओं ने कहा कि उनके लिए मुलाकात (डेटिंग) से अधिक रिश्ते की गंभीरता या प्रतिबद्धता महत्वपूर्ण है।
- पुरुषों में 80 % ने इस प्राथमिकता को स्वीकार किया।
- आलेख में यह भी पता चला कि 67 % Gen Z महिलाएं (युवा पीढ़ी) यह सोच चुकी हैं कि यदि मानसिक-स्वास्थ्य संबंधी समस्या हो तो रिश्ता समाप्त करना सही विकल्प है।
- पहले की तुलना में आज की डेटिंग-रुझान में बिल बाँटना, जेंडर-समानता, और मिलते-जुलते मूल्य-उपयुक्तता (compatibility) पर ज्यादा फोकस देखा गया।
- अध्ययन का नाम ‘द कमिटमेंट डीकेड’ रखा गया है, जो संकेत करता है कि डेटिंग-दुनिया में अब “मजाक/मौज” का दौर कम हो रहा है और “जिम्मेदारी/भविष्य-सूचक” संबंधों का दौर बढ़ रहा है।
क्यों यह बदलाव हो रहा है? कारण-वाले अवलोकन
स्वतंत्रता-व सोच में वृद्धि
शहरी महिलाएं शिक्षा-व रोजगार-सक्षम होती जा रही हैं। इसके साथ-साथ उन्होंने देखा है कि हल्के-फुल्के संबंधों में उन्हें वह संतुष्टि नहीं मिलती जो स्थिर, समझदार व भविष्य-केंद्रित संबंधों से मिल सकती है। इसलिए आज प्रतिबद्धता-चयन अधिक बढ़ गया है।
मानसिक-स्वास्थ्य व स्वयं-विश्वास-जागरूकता
द्स्वानों में यह पाया गया कि आज की युवा पीढ़ी—विशेषकर महिलाएं—मानसिक-स्वास्थ्य, आत्म-सम्मान और जीवन-संतुलन को महत्व देती हैं। वे ऐसे संबंध नहीं चाहतीं जिसमें उनका ख्याल न रखा जाए। इसलिए वे चुनिंदा-रिश्ते चाहती हैं।
डेटिंग-ऐप्स-व विकल्पों की भरमार
जब विकल्प अधिक हों, तो प्राथमिकता बदल जाती है। आज के प्लेटफार्म ऐसी महिलाएं-और-पुरुषों को सक्षम बना रहे हैं कि वे सिर्फ “मौका-डेटिंग” में समय न गंवाएँ, बल्कि उन रिश्तों को चुनें जो आगे-की दिशा देते हों।
सामाजिक-व परिवर्तित-परिवार-मूल्य
परंपरागत विचारों में रिश्तों-का लक्ष्य सिर्फ विवाह या “संघ” हुआ करता था। लेकिन आज-समय में यह …relay more realistic expectations व सहभागिता-व साझा-जीवन की ओर बढ़ा है।
महिलाओं-और-पुरुषों में प्राथमिकता-का अंतर
यह अध्ययन इस अंतर को उजागर करता है कि चाहे पुरुष भी महत्वपूर्ण संबंध चाहते हों (80% ने कहा), फिर भी महिलाओं में यह प्राथमिकता अधिक दृढ़ है (97%)। इसके कुछ कारण हो सकते हैं:
- महिलाएं अक्सर समय-व सामाजिक-परिस्थितियों के दबाव को अधिक महसूस करती हैं—इसलिए वे जल्दी-व सार्थक संबंध चुनना चाहती हैं।
- डेटिंग-व विकल्पों में बदलाव से पुरुष शायद “कुछ इंतजार कर सकते हैं” की स्थिति में हैं, जबकि महिलाएं “चुनाव-का समय कम” महसूस कर सकती हैं।
- यह अंतर यह भी संकेत करता है कि सामाजिक-मूल्यों में बदलाव के बावजूद अभी-भी “रिश्तों-में महिलाओं-का अपेक्षा” अधिक सक्रिय है।
क्या-कर सकते हैं वो लोग जो इस ट्रेंड में-ना-हों?
- यदि आप सिंगल हैं और संबंध-चाहना रखते हैं, तो अपनी प्राथमिकताएँ स्पष्ट करें—क्या आप सिर्फ डेटिंग चाहते हैं या “रिलेशनशिप-प्रति समर्पित” होना चाहते हैं?
- संवाद करें: दूसरे पार्टनर को बताएं कि आपके लिए प्रतिबद्धता क्या मायने रखती है—इससे शुरुआत-से ही अलाइनमेंट बेहतर होगी।
- समय-और-खुद-का मूल्य समझें: यदि आप “शुरुआती संयम” में हैं, तो ऐसे पार्टनर चुनें जो आपकी सोच से मेल खाते हों।
- विकल्प की भरमार मेंवह वस्तु खोजें जो आपके लिए महत्वपूर्ण है—यह “मौका-डेटिंग” नहीं बल्कि “लक्षित-रिश्ता” है।
- सामाजिक-दबाव-के बीच निर्णय लें, न कि सिर्फ “बहुत देर नहीं हो रही” की चिंताओं से।
जब 97 % महिलाओं और 80 % पुरुषों ने यह स्वीकार किया कि वे जीवन-साथी-चयन में “गंभीर प्रतिबद्धता” को प्राथमिकता देते हैं, तो यह एक संकेत है कि संबंध-दृष्टिकोण में बदलाव आ गया है। यह सिर्फ संख्या नहीं, बल्कि सोच-व व्यवहार-का नई दिशा-प्रस्ताव है। यदि आप भी इस दौर में रिश्ते बनाने चाह रहे हैं, तो यह वक्त है कि आप अपने लक्ष्य, अपनी प्राथमिकता और अपनी दिशा पर समीक्षा करें। याद रखें—वह संबंध सफल होगा जिसमें आप स्वयं-संपर्क में हों, अपनी प्राथमिकता पहचानते हों और उसे बयान भी करते हों।
FAQs
- क्या यह परिणाम सिर्फ शहरों-के सिंगल्स पर आधारित है?
– हाँ, यह अध्ययन विशेष रूप से शहरी भारतीय सिंगल्स का सर्वे था, इसलिए ग्रामीण-परिस्थिति में हो सकते हैं कुछ भिन्नताएँ। - क्या “प्रतिक्रिया-कमी” क्यों पुरुषों में कम (80%) पाई गई?
– कई कारण हो सकते हैं: पुरुष अधिक विकल्पों-का महसूस कर सकते हैं, या उनकी प्राथमिकताएँ अभी-भी स्थिर-रिश्तों-से पहले डेटिंग-व विविधता में हो सकती हैं। - क्या यह मतलब है कि आज के युवाओं में शादी-रुचि कम हो गई है?
– नहीं, बल्कि इसका मतलब है कि वे “शुरुआती डेटिंग” से हटकर “रिश्ते-निर्धारित” दिशा की ओर बढ़ रहे हैं। - क्या मानसिक-स्वास्थ्य-मुद्दे रिश्तों-की निरंतरता को प्रभावित कर रहे हैं?
– हाँ, अध्ययन में पाया गया है कि बहुत-सी महिलाएं यदि रिलेशनशिप में मानसिक-स्वास्थ्य-दबाव महसूस करती हैं, तो उसे खत्म करने-की प्रवृत्ति दिखाती हैं। - क्या डेटिंग-ऐप्स ने इस ट्रेंड में भूमिका निभाई है?
– संभव है—ऐप्स ने विकल्प बढ़ाए हैं, लेकिन इस अध्ययन में यह पाया कि महिलाओं-और-पुरुषों में “प्राथमिकता-परिवर्तन” अधिक महत्वपूर्ण है। - अगर मैं पुरुष हूँ और अभी “प्रतिबद्ध रिश्ता” नहीं खोज रहा, तो क्या गलत है?
– बिल्कुल नहीं; यह सिर्फ आंकड़ा-दृष्टिकोण है। हर व्यक्ति-की प्राथमिकता अलग होती है। महत्वपूर्ण है कि आप अपनी प्राथमिकता जानें और उसी अनुरूप निर्णय लें।
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