Margashirsha Amavasya 2025 का शुभ दिन और समय जानें। इस दिन पितृ पूजा, तर्पण और पिंड दान करने के सही तरीके और इसके आध्यात्मिक महत्व के बारे में विस्तार से पढ़ें।
Margashirsha Amavasya 2025: तिथि, पूजन विधि और आध्यात्मिक महत्व
Margashirsha Amavasya हिंदू धर्म में सबसे पवित्र दिनों में से एक मानी जाती है। यह कृष्ण पक्ष की 15वीं तिथि को आता है और इसे मृगशिरा अमावस्या भी कहा जाता है। इस दिन पितृ पूजा, तर्पण और पिंड दान के जरिए पूर्वजों का सम्मान किया जाता है और पितृ दोष से मुक्ति की प्रार्थना की जाती है।
Margashirsha Amavasya 2025 की तिथि और शुभ समय
| घटना | तिथि एवं समय |
|---|---|
| मार्गशीर्ष अमावस्या | बुधवार, 19 नवंबर 2025 |
| अमावस्या तिथि शुरू | 09:43 पूर्वाह्न, 19 नवंबर 2025 |
| अमावस्या तिथि समाप्त | 12:16 अपराह्न, 20 नवंबर 2025 |
पूजा विधि और धार्मिक अनुष्ठान:
- दिन की शुरुआत स्वच्छता और पवित्रता से होती है, स्नान preferably पवित्र नदी जैसे गंगा में करना शुभ माना जाता है।
- घर पर गंगा जल मिलाकर स्नान करना भी प्रभावी होता है।
- भगवान सूर्य को अर्घ्य देना और मंत्र “ॐ घ्राणि सूरय नमः” का जाप विशेष पुण्यकारी।
- पितृ पूजन में ब्राह्मणों को निमंत्रित करना, शुद्ध और सात्विक भोजन परोसना।
- गाय, कुत्ते, कौवे आदि को भोजन कराना धर्म और पुण्य का कार्य है।
आध्यात्मिक महत्व:
मार्गशीर्ष मास को भगवद गीता में सबसे पवित्र मास कहा गया है। कृष्ण भगवान ने इसे समर्पित शांति और पवित्रता का मास बताया है। इस अमावस्या पर किए गए अनुष्ठान मानसिक शांति, परिवार में सौहार्द और पितृ दोष निवारण में अत्यंत प्रभावी माने जाते हैं।
FAQs
प्र1. मार्गशीर्ष अमावस्या कब पड़ती है?
कृष्ण पक्ष की 15वीं तिथि को, इस साल 19 नवंबर 2025 को।
प्र2. इस दिन कौन-कौन से अनुष्ठान होते हैं?
पितृ पूजन, तर्पण, पिंड दान, अर्घ्य देना।
प्र3. पितृ दोष का निवारण कैसे होता है?
पितृ पूजा और पिंड दान से।
प्र4. क्या गंगा जल के बिना पूजन संभव है?
हाँ, घर पर गंगा जल मिलाकर भी पूजन किया जा सकता है।
प्र5. पिंड दान के लिए क्या जरूरी होता है?
शास्त्रीय विधि और पितरों का ध्यान।
प्र6. क्या इस दिन गाय, कौवा आदि को खाना खिलाना जरूरी है?
हाँ, यह पारंपरिक और पुण्यकारी कार्य माना जाता है।
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