न्यायमूर्ति सूर्य कान्त २४ नवंबर को भारत के ५३वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे।
सूर्यकान्त भारतीय सर्वोच्च न्यायालय के 53वें मुख्य न्यायाधीश
न्यायमूर्ति सूर्य कान्त २४ नवंबर २०२५ को भारत के ५३वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे। हरियाणा के एक मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मे, उनका अद्भुत सफर भारत के सर्वोच्च न्यायालय की सबसे ऊंची नौकरी तक कई महत्वपूर्ण फैसलों और योगदानों से भरा हुआ है।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
न्यायमूर्ति सूर्य कान्त का जन्म १० फरवरी १९६२ को हरियाणा के हिसार जिले में हुआ था। वे अपनी पढ़ाई में हमेशा उत्कृष्ट रहे। २०११ में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से उन्होंने लॉ में मास्टर्स की डिग्री प्रथम श्रेणी में सर्वोच्च अंकों के साथ प्राप्त की।
न्यायिक करियर के मुख्य बिंदु
न्यायमूर्ति कान्त ने ५ अक्टूबर २०१८ को हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में पद ग्रहण किया। पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालयों में भी उनके कई महत्वपूर्ण फैसलों का रिकॉर्ड है। सुप्रीम कोर्ट में उनकी सेवा के दौरान उन्होंने अनेक महत्वपूर्ण मामलों में हिस्सा लिया, जिनमें शामिल हैं:
- धारा ३७० का निरसन, जिससे जम्मू और कश्मीर की विशेष संवैधानिक स्थिति समाप्त हुई।
- पेगासस स्पाइवेयर मामले में न्यायिक खुलापन सुनिश्चित करना और सरकारी निगरानी के खिलाफ मजबूत रुख अपनाना।
- बिहार में मतदाता सूची के संशोधन के मामले में चुनाव आयोग की जवाबदेही पर जोर।
- महिलाओं के अधिकारों की रक्षा, जिसमें बार संघों में एक-तिहाई आरक्षण और सशस्त्र बलों में महिलाओं को समान आयोग देने का समर्थन शामिल है।
राष्ट्रीय प्रभाव वाले महत्वपूर्ण फैसले
न्यायमूर्ति कान्त ने कई संवैधानिक मुद्दों पर निर्णायक भूमिका निभाई है, जिनमें हालिया राज्य कार्यपालिका शक्तियों का राष्ट्रपति संदर्भ और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का संरक्षण शामिल हैं। उन्होंने उपनिवेशकालीन द्रोह कानून पर अस्थायी आदेश देते हुए कहा कि नई एफआईआर दर्ज नहीं की जाएं जब तक सरकार समीक्षा न करे। इन फैसलों से न्यायपालिका की आधुनिक संवैधानिकता और सामाजिक न्याय के बीच संतुलन दिखाई देता है।
व्यक्तिगत गुण और विरासत
न्यायमूर्ति कान्त अपनी संवैधानिक समानता और लोकतांत्रिक सिद्धांतों के प्रति प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते हैं। उनके नेतृत्व में न्यायपालिका में प्रगतिशील न्यायिक सिद्धांतों का विकास अपेक्षित है। फरवरी ९, २०२७ को ६५ वर्ष की आयु पूर्ण होने पर वे सेवा से निवृत्त होंगे, लेकिन उनकी न्यायिक विरासत लंबे समय तक प्रभावशाली रहेगी।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs):
- न्यायमूर्ति सूर्य कान्त कौन हैं और वे कब मुख्य न्यायाधीश के पद की शपथ लेंगे?
न्यायमूर्ति सूर्य कान्त २४ नवंबर २०२५ को भारत के ५३वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे। - न्यायमूर्ति सूर्य कान्त किन महत्वपूर्ण मामलों में शामिल रहे हैं?
वे धारा ३७० के निरसन, पेगासस स्पाइवेयर मामले, और बिहार में मतदाता सूची संशोधन जैसे प्रमुख मामलों में शामिल रहे हैं। - न्यायमूर्ति सूर्य कान्त की शैक्षिक पृष्ठभूमि क्या है?
उन्होंने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से लॉ में मास्टर्स की डिग्री प्रथम श्रेणी में प्राप्त की है। - न्यायमूर्ति सूर्य कान्त मुख्य न्यायाधीश के रूप में कितने समय तक कार्य करेंगे?
वे लगभग १५ महीने तक मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य करेंगे, फिर ९ फरवरी २०२७ को सेवानिवृत्त होंगे। - न्यायमूर्ति सूर्य कान्त ने लैंगिक न्याय के लिए क्या योगदान दिया है?
उन्होंने बार संघों में महिलाओं के लिए एक-तिहाई सीटें आरक्षित करने और सैन्य बलों में महिलाओं को समान आयोग देने का समर्थन किया है।
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