विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने यूक्रेन के विदेश मंत्री से फोन पर वार्ता की, जल्द युद्ध समाप्ति और स्थायी शांति की भारत की इच्छा जताई।
यूक्रेन-रूस युद्ध को जल्द खत्म करने में भारत की भूमिका पर जयशंकर का बयान
भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने रविवार को यूक्रेन के विदेश मंत्री आंद्रेई सिबिहा से फोन पर बातचीत की, जिसमें उन्होंने रूस-यूक्रेन संघर्ष के नवीनतम विकासों पर जानकारी प्राप्त की। जयशंकर ने युद्ध के शीघ्र अंत और स्थायी शांति की स्थापना के लिए भारत के समर्थन की पुनः पुष्टि की।
यह टेलीफोनिक संवाद कनाडा में सम्पन्न G7 विदेश मंत्रियों की बैठक के कुछ सप्ताह बाद हुआ, जहां दोनों मंत्रियों ने द्विपक्षीय मुद्दों, यूक्रेन में शांति के संभावित रास्तों और युद्ध क्षेत्र की स्थिति पर चर्चा की थी।
यूक्रेन के विदेश मंत्री सिबिहा ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि उन्होंने जयशंकर को शांति प्रयासों और आगामी कूटनीतिक वार्ताओं की जानकारी दी। उन्होंने भारत के उस महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया जो वह इस संघर्ष के न्यायसंगत समाधान के निकट आने में निभा सकता है।
इस वार्ता के दौरान, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 28-अंक वाले शांति प्रस्ताव की चर्चा भी तेज हो रही है। इस प्रस्ताव में यूक्रेन को युद्ध क्षेत्र के कुछ हिस्सों को छोड़ देना, सैन्य सीमाओं को स्वीकारना, और रूस के वैश्विक आर्थिक मंच में वापसी जैसी शर्तें शामिल हैं।
यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने इस प्रस्ताव पर सख्त आपत्ति व्यक्त की है, क्योंकि वे इसे कठिन समझौता मानते हैं जो देश की संप्रभुता और सुरक्षा के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
अमेरिकी विदेश मंत्री और अन्य अंतरराष्ट्रीय नेता इस प्रस्ताव को लेकर जेनेवा में कूटनीतिक प्रयास कर रहे हैं, जबकि यूरोपीय सरकारें इसे रूस के पक्ष में पक्षपाती बताते हुए विरोध कर रही हैं।
भारत की नीति संवाद और कूटनीति के जरिये स्थायी समाधान की खोज पर टिकाऊ है, और जयशंकर की इस फोन बातचीत ने उस प्रतिबद्धता को दोहराया है, खासकर ऐसे समय में जब यूक्रेन पर अमेरिकी दबाव बढ़ रहा है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
- जयशंकर ने यूक्रेन से क्या बात की?
रूस-यूक्रेन संघर्ष के हालिया विकासों और शांति प्रयासों पर चर्चा की। - भारत की युद्ध समाप्ति नीति क्या है?
भारत स्थायी शांति एवं संवाद के माध्यम से समाधान चाहता है। - ट्रंप के 28-अंक प्रस्ताव में क्या है?
युद्ध क्षेत्रीय, सैन्य और राजनीतिक कदमों के साथ समापन। - यूक्रेन इस प्रस्ताव के बारे में क्या सोचता है?
उन्हें यह कठिन और चुनौतीपूर्ण समझौता लगता है। - भारत और यूक्रेन के बीच कूटनीतिक संबंध कैसे हैं?
मजबूत और स्थायी शांति के लिए पारस्परिक संवाद सक्रिय है।
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