सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि पड़ोसी देशों से आए आधार धारक व्यक्ति क्या वोटिंग का अधिकार पा सकते हैं, SIR प्रक्रिया पर सुनवाई में महत्वपूर्ण सवाल।
क्या आधार वाले ‘घुसपैठिए’ वोट डाल सकते हैं? सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने आधार धारक ‘घुसपैठियों’ को वोटिंग अधिकार पर उठाया सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने मतदाता सूची की विशेष गहन संशोधन (SIR) प्रक्रिया पर सुनवाई के दौरान महत्वपूर्ण सवाल उठाया कि क्या पड़ोसी देशों से आए व्यक्ति जो आधार कार्ड धारण करते हैं, उन्हें वोटिंग का अधिकार दिया जा सकता है। मुख्य न्यायाधीश सूर्या कांत ने कहा कि आधार केवल कल्याणकारी योजनाओं के लिए वैध है, क्या यह उन्हें वोटर बना देता है।
आधार का दायरा और सीमाएं
कोर्ट ने स्थिति की कल्पना की जिसमें दूसरे देश से आए मजदूर या रिक्शा चालक को आधार पर लाभ मिलता है। CJI ने स्पष्ट किया कि संवैधानिक नैतिकता के तहत कल्याण लाभ देना ठीक है लेकिन क्या यही उन्हें मताधिकार दे देगा। वरिष्ठ वकील कपिल सिबाल ने कहा कि आधार धारक स्व-घोषणा कर नागरिकता का दावा करते हैं।
SIR प्रक्रिया पर बहस
सुनवाई में बिहार SIR का जिक्र आया जहां बहुत कम आपत्तियां दर्ज हुईं। न्यायमूर्ति ज्योमल्या बागची ने कहा कि डिजिटल टूल्स से डुप्लिकेट तो पकड़े जा सकते हैं लेकिन मृत वोटरों की पहचान नहीं हो सकती। कोर्ट ने डेडलाइन बढ़ाने पर कहा कि जरूरत पड़ी तो हस्तक्षेप करेंगे।
निर्वाचन आयोग का रुख
ECI के वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि 99% वोटरों को फॉर्म मिल चुके हैं और आधे डिजिटाइज हो गए हैं। केरल के लोकल बॉडी चुनावों को प्राथमिकता देते हुए कोर्ट ने 2 दिसंबर को सुनवाई तय की। यह मामला पारदर्शी मतदाता सूची सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है।
FAQs:
- सुप्रीम कोर्ट ने आधार धारकों को वोटिंग अधिकार पर क्या सवाल उठाया?
- SIR प्रक्रिया में मैपिंग और वेरिफिकेशन कैसे होता है?
- क्या आधार कार्ड नागरिकता या मताधिकार का प्रमाण है?
- मृत वोटरों की पहचान कैसे की जाती है?
- SIR प्रक्रिया की समयसीमा बढ़ सकती है या नहीं?
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