दक्षिण सीरिया के बेइट जिन गांव में इज़राइल की घुसपैठ के दौरान 10 नागरिक मारे गए और कई घायल हुए, जबकि 5 इज़राइली सैनिक भी जख्मी हुए। जैमा इस्लामिया पर कार्रवाई, नई सीरियाई सरकार और सीमा सुरक्षा पर इसका क्या असर होगा?
सीरिया के बेइट जिन में इज़राइली ऑपरेशन: बच्चों समेत कई की जान गई, नया तनाव क्यों खतरनाक है?
इज़राइल की दक्षिण सीरिया में घुसपैठ: बेइट जिन ऑपरेशन में नागरिकों की मौत और बढ़ता तनाव
दक्षिण सीरिया के बेइट जिन गांव में इज़राइल की ताजा सैन्य कार्रवाई ने फिर से सीमा सुरक्षा और नागरिकों की सुरक्षा पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के मुताबिक, इस ऑपरेशन के दौरान 10 नागरिकों की मौत हुई, जबकि इज़राइली सेना के पांच सैनिक घायल हुए, जिनमें से कुछ की हालत गंभीर बताई गई है। इज़राइली सेना का कहना है कि यह रेड जैमा इस्लामिया नामक एक उग्रवादी समूह के सदस्यों को पकड़ने के लिए की गई थी, जिन्हें वे सीमा पार से हमलों की साजिश रचने वाला बता रहे हैं।
सीरियाई सरकारी एजेंसी SANA के अनुसार, यह घटना 3:40 बजे तड़के शुरू हुई, जब इज़राइली सेना ने बेइट जिन पर गोले बरसाए और कुछ ही देर बाद जमीनी दस्ते गांव में घुस आए। स्थानीय अधिकारियों के हवाले से बताया गया कि गांव के लोगों ने सैनिकों का विरोध किया, जिसके बाद “भीषण झड़पें” हुईं और गोलाबारी में दो बच्चों सहित कई नागरिक मारे गए व दर्जनों घायल हुए। सीरियाई विदेश मंत्रालय ने इस हमले को “भयावह नरसंहार” और “पूर्ण युद्ध अपराध” कहा है, जबकि इज़राइल इसे सीमावर्ती सुरक्षा के लिए नियमित कार्रवाई बता रहा है।
ऑपरेशन की आधिकारिक कहानी: इज़राइल क्या कह रहा है?
इज़राइली सेना के बयान के मुताबिक, यह ऑपरेशन बीती रात उस समय शुरू हुआ जब उनकी टुकड़ी खुफिया जानकारी के आधार पर जैमा इस्लामिया आतंकवादी संगठन के संदिग्ध सदस्यों को पकड़ने के लिए बेइट जिन इलाके में दाखिल हुई। सेना ने कहा कि तलाशी के दौरान उग्रवादियों ने उन पर फायरिंग की, जिसके जवाब में सैनिकों ने “फायर के साथ जवाब दिया और हवाई मदद भी ली”, जिसमें ड्रोन और हेलिकॉप्टर शामिल थे। इस झड़प में पांच इज़राइली सैनिक घायल हुए, जिनमें से तीन की हालत गंभीर बताई गई, और कुछ उग्रवादी मारे गए या गिरफ्तार किए गए।
इज़राइल का आरोप है कि जिन संदिग्धों को निशाना बनाया गया, वे इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) लगाना, सीमा के पास हमले करना और इज़राइली इलाकों पर रॉकेट फायर जैसी गतिविधियों की योजना बना रहे थे। सेना के अनुसार, हाल के महीनों में दक्षिण सीरिया के इस इलाके से कई साजिशें पकड़ी गई हैं, इसलिए यह “रूटीन सिक्योरिटी ऑपरेशन” का हिस्सा था। हालांकि, उन्होंने जैमा इस्लामिया की संरचना, नेतृत्व या स्थानीय नेटवर्क पर विस्तृत जानकारी सार्वजनिक नहीं की, जिससे पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं।
सीरिया की तस्वीर: असद के बाद नया शासन और पुरानी चिंता
यह ऑपरेशन ऐसे समय हुआ है जब सीरिया में पिछले एक साल में बड़ा राजनीतिक बदलाव आया है। पूर्व अल-कायदा कमांडर रहे अहमद अल-शरा (अब देश के राष्ट्रपति) ने बशर अल-असद के हटने के बाद अंतरिम शासन संभाला और जनवरी 2025 से औपचारिक रूप से राष्ट्रपति के रूप में काम कर रहे हैं। उनका दावा है कि नई सरकार किसी भी देश के लिए खतरा नहीं है, लेकिन इज़राइल इस सरकार पर गहरा शक जताता रहा है। विश्लेषकों के अनुसार, अल-शरा की पृष्ठभूमि और उनके गुट की जड़ें हयात तहरीर अल-शाम जैसे संगठनों में रही हैं, जिसकी वजह से इज़राइल उन्हें संभावित सुरक्षा जोखिम मानता है।
इज़राइल पहले भी असद सरकार के दौर में सीरिया पर हवाई हमले करता रहा है, लेकिन असद के हटने के बाद उसने और भी सक्रिय रूप से दक्षिण सीरिया में जमीनी घुसपैठ बढ़ाई है। रिपोर्टों के मुताबिक, इज़राइल ने 1974 की बफर ज़ोन व्यवस्था से आगे बढ़ते हुए सैनिकों और भारी हथियारों को दक्षिणी सीरिया के कई इलाकों, खासकर माउंट हर्मन जैसे रणनीतिक क्षेत्रों तक पहुंचा दिया है, जहां से वह दमिश्क और लेबनान के बेक़ा घाटी को देख सकता है।
जैमा इस्लामिया क्या है और क्यों निशाने पर है?
इज़राइली सेना जिस जैमा इस्लामिया की बात कर रही है, उसे वह “आतंकवादी संगठन” करार देती है, जिसका नेटवर्क पड़ोसी लेबनान से जुड़ा बताया जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, यह समूह इस्लामिक ग्रुप या इस्लामिक जामा’अ नाम से भी जाना जाता है और इज़राइल के खिलाफ हमलों की योजना बनाने के आरोप झेल रहा है। सेना का कहना है कि बेइट जिन में मौजूद संदिग्ध इसी संगठन से जुड़े थे और उनकी गतिविधियां सीधे तौर पर इज़राइली नागरिकों को टारगेट करने के उद्देश्य से थीं।
हालांकि, सीरियाई पक्ष और स्थानीय निवासियों का दावा है कि मारे गए ज्यादातर लोग आम गांव वाले थे, जो अपने घरों और खेतों से निकले बिना अचानक गोलाबारी की चपेट में आ गए। अल जज़ीरा और अन्य चैनलों ने स्थानीय स्रोतों के हवाले से बताया कि कई परिवार गांव से भागने पर मजबूर हुए, जबकि सीरियाई सिविल डिफेंस टीमों को लगातार चल रहे हमलों के कारण घायल लोगों तक पहुंचने में मुश्किल हुई।
नागरिक हताहत और ‘व्हाइट-कॉलर’ पैटर्न की गूंज
सीरियाई सरकारी मीडिया के अनुसार, इस ऑपरेशन में कम से कम 10 नागरिक मारे गए और दर्जनों घायल हुए, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। कुछ स्रोतों ने यह संख्या 13 तक बताई है, जिससे यह असद के पतन के बाद से सबसे घातक इज़राइली जमीनी ऑपरेशनों में से एक बन गया है। संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार संगठनों ने पहले भी चेतावनी दी थी कि सीमावर्ती इलाकों में लगातार होने वाली ऐसी कार्रवाईयों में नागरिक बार-बार बीच में फंस जाते हैं।
इस तरह के ऑपरेशन “व्हाइट-कॉलर” या “लो-प्रोफाइल” माने जाते हैं, जहां आधिकारिक तौर पर बयान दिया जाता है कि लक्ष्य केवल मिलिटेंट हैं, लेकिन जमीन पर अक्सर गांवों, बस्तियों और स्थानीय आबादी पर भारी असर पड़ता है। विश्लेषकों का मानना है कि जब तक ऑपरेशन के बाद स्वतंत्र जांच नहीं होती, तब तक यह तय करना मुश्किल होता है कि कितने लोग वास्तव में लड़ाके थे और कितने आम नागरिक।
इज़राइल की सुरक्षा रणनीति: सीमा से आगे तक
इज़राइल लंबे समय से यह नीति अपनाए हुए है कि वह अपने सीमावर्ती इलाकों से संभावित खतरे को “सोर्स पर ही” खत्म करेगा, चाहे वह सीरिया हो, लेबनान हो या गाज़ा। सीरियाई सीमा के संदर्भ में, खासकर गोलान हाइट्स के आसपास, इज़राइल ने कई नए आउटपोस्ट बनाए हैं, पेट्रोलिंग बढ़ाई है, और ड्रोन व एयरस्ट्राइक को नियमित सुरक्षा टूल की तरह इस्तेमाल किया है। वहां ड्रूज़ अल्पसंख्यक समुदाय के संरक्षण को भी अक्सर सैन्य हस्तक्षेप का कारण बताया जाता है।
हाल के महीनों में लेबनान और सीरिया दोनों में इज़राइली अभियानों में दर्जनों नागरिकों की मौत की खबरें आई हैं। एनपीआर और अन्य रिपोर्टों के अनुसार, केवल पिछले कुछ महीनों में ही पड़ोसी देशों में इज़राइली हमलों में सौ से ज्यादा नागरिक मारे गए हैं, जिससे क्षेत्रीय तनाव और कूटनीतिक दबाव दोनों बढ़ रहे हैं।
नई सीरियाई सरकार की स्थिति और प्रतिक्रिया
राष्ट्रपति अहमद अल-शरा की सरकार पहले से ही गृहयुद्ध के बाद की आर्थिक तबाही, विस्थापित लोगों की वापसी और सुरक्षा व्यवस्था को स्थिर करने जैसी चुनौतियों से जूझ रही है। इस पृष्ठभूमि में इज़राइल की बार-बार की जाने वाली घुसपैठ और हवाई हमले उसकी राजनीतिक वैधता और राष्ट्रीय संप्रभुता दोनों पर दबाव बनाते हैं। सीरियाई सरकार ने इस ताजा हमले की कड़ी निंदा की है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से “तत्काल हस्तक्षेप” की अपील की है, हालांकि व्यावहारिक स्तर पर उसके विकल्प सीमित हैं।
इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप और अन्य थिंक टैंकों की रिपोर्टों में पहले ही चेतावनी दी गई है कि अगर इज़राइल दक्षिण सीरिया में अपनी सैन्य मौजूदगी को “स्थायी” बनाता है, तो इससे भविष्य में बड़े स्तर के संघर्ष की जमीन तैयार हो सकती है, खासकर तब जब स्थानीय मिलिशिया या पड़ोसी देशों के समर्थित गुट इसे खुली चुनौती के रूप में लें।
स्थानीय लोगों पर प्रभाव और मानवीय चुनौतियां
जमीनी स्तर पर, बेइट जिन और आस-पास के गांवों के लोगों के लिए यह ऑपरेशन सिर्फ एक “सिक्योरिटी इवेंट” नहीं, बल्कि रोज़मर्रा की जिंदगी पर सीधा असर डालने वाली त्रासदी है। कई परिवार रातों-रात घर छोड़कर पास के कस्बों या रिश्तेदारों के यहां शरण लेने को मजबूर हुए, जबकि बिजली, संचार और सड़कें भी कुछ समय के लिए बाधित हो गईं। सीरियाई रेड क्रिसेंट और स्थानीय राहत संगठनों ने घायलों के लिए मेडिकल कैम्प और अस्थायी शेल्टर की व्यवस्था शुरू की है, हालांकि लगातार सुरक्षा जोखिम उनकी पहुंच को सीमित कर रहे हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर इसी तरह की कार्रवाई जारी रही, तो दक्षिण सीरिया के कई गांव “साइलेंट फ्रंटलाइन” बन सकते हैं, जहां कोई आधिकारिक युद्ध घोषणा नहीं, लेकिन लोगों की जिंदगी हमेशा अनिश्चितता और डर के साए में रहेगी।
5 FAQs
- प्रश्न: बेइट जिन, दक्षिण सीरिया में इज़राइली ऑपरेशन कब और कैसे हुआ?
उत्तर: यह ऑपरेशन शुक्रवार तड़के लगभग 3:40 बजे शुरू हुआ, जब इज़राइली सैन्य वाहन और सैनिक बेइट जिन गांव में दाखिल हुए और इसके साथ ही गोले और हवाई हमले भी हुए। सेना का कहना है कि वे जैमा इस्लामिया के संदिग्धों को पकड़ने गए थे, जबकि सीरियाई पक्ष इसे सीधी आक्रमण कार्रवाई बता रहा है। - प्रश्न: इस ऑपरेशन में कितने लोग मारे गए और कौन घायल हुआ?
उत्तर: सीरियाई मीडिया के अनुसार कम से कम 10 नागरिक मारे गए और दर्जनों घायल हुए, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं, जबकि कुछ रिपोर्टें संख्या 13 तक बताती हैं। इज़राइली सेना ने स्वीकार किया है कि उसके पांच सैनिक घायल हुए, जिनमें से कई की हालत गंभीर है। - प्रश्न: जैमा इस्लामिया क्या है और क्यों निशाने पर है?
उत्तर: इज़राइल के अनुसार, जैमा इस्लामिया एक उग्रवादी इस्लामिक समूह है जो लेबनान और दक्षिण सीरिया के इलाकों से सक्रिय है और इज़राइली नागरिकों पर हमलों की योजना बनाता है, जिसमें आईईडी और रॉकेट हमले शामिल हैं। बेइट जिन ऑपरेशन को इसी समूह के संदिग्ध सदस्यों को गिरफ्तार करने की कार्रवाई बताया जा रहा है। - प्रश्न: इस घटना का सीरिया की नई सरकार और क्षेत्रीय राजनीति पर क्या असर हो सकता है?
उत्तर: अहमद अल-शरा की नई सरकार पहले से सुरक्षा और पुनर्निर्माण की चुनौतियों से घिरी है, इसलिए इस तरह की घुसपैठ उसकी संप्रभुता और जनता के भरोसे दोनों को कमजोर कर सकती है। यदि इज़राइल दक्षिण सीरिया में अपनी सैन्य मौजूदगी बढ़ाता रहा, तो यह भविष्य में बड़े क्षेत्रीय टकराव की नींव रख सकता है। - प्रश्न: आम नागरिकों के लिए सबसे बड़ी चिंता क्या है?
उत्तर: सबसे बड़ी चिंता लगातार असुरक्षा, अचानक होने वाली गोलाबारी और विस्थापन है, क्योंकि गांवों और कस्बों के लोग बिना चेतावनी के संघर्ष के बीच फंस सकते हैं। राहत एजेंसियां सीमित संसाधनों के साथ काम कर रही हैं, और जब तक सीमा के दोनों ओर तनाव कम नहीं होता, तब तक मानवीय स्थिति नाजुक बनी रहेगी।
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