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रेडिएशन को खाने वाला चेरनोबिल फंगस: मेलानिन का चमत्कार या प्रकृति का नया रहस्य?

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Cladosporium sphaerospermum: The Fungus That Defies Chernobyl's Poison
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चेरनोबिल के रिएक्टर में क्लैडोस्पोरियम फंगस रेडिएशन में फलता है। मेलानिन से ऊर्जा लेता है? NASA ने ISS पर टेस्ट किया। रेडियोसिंथेसिस की पूरी वैज्ञानिक कहानी, तथ्य और संभावनाएं।

घातक विकिरण में पनपने वाला चेरनोबिल का फंगस: क्या ये पौधों जैसा रेडिएशन से ऊर्जा बनाता है?

चेरनोबिल न्यूक्लियर प्लांट का यूनिट फोर रिएक्टर आज भी इंसानों के लिए घातक रेडिएशन का केंद्र है। 1986 के विस्फोट के 39 साल बाद भी यहां विकिरण का स्तर इतना ऊंचा है कि घुसना खतरनाक है। लेकिन वैज्ञानिकों को वहां एक हैरान करने वाली चीज मिली – क्लैडोस्पोरियम स्फेरोस्पर्मम नाम का काला फंगस। ये रिएक्टर की दीवारों पर मोटे-मोटे काले झुंड बनाकर उग रहा है। इसका रंग मेलानिन नामक पिगमेंट से आता है, जो शायद सिर्फ सुरक्षा नहीं देता बल्कि रेडिएशन से ऊर्जा भी निकालता है। इसे रेडियोसिंथेसिस कहते हैं, जो पौधों के फोटोसिंथेसिस जैसा लगता है।

1990 के अंत में माइक्रोबायोलॉजिस्ट नेली ज्हदानोवा ने चेरनोबिल एक्सक्लूजन जोन की सर्वे की। उन्हें 37 तरह के फंगस मिले, जिनमें ज्यादातर काले मेलानिन वाले थे। क्लैडोस्पोरियम सबसे ज्यादा था और सबसे ज्यादा रेडियोएक्टिव जगह पर। ये न सिर्फ जीवित थे बल्कि स्वस्थ लग रहे थे। 2000 के दशक में एकाटेरिना दादाचोवा और आर्टुरो कासाडेवाल ने प्रयोग किए। गामा रेडिएशन – जो डीएनए तोड़ देता है – इस फंगस को नुकसान न पहुंचा सका। उल्टा, ये तेजी से बढ़ा। 2008 के पेपर में उन्होंने कहा कि मेलानिन रेडिएशन के इलेक्ट्रॉनों को पकड़कर ऊर्जा में बदल देता है।

रेडियोसिंथेसिस अभी पूरी तरह साबित नहीं हुआ। कार्बन फिक्सेशन या बायोकेमिकल पाथवे का सबूत नहीं मिला। लेकिन प्रयोग दिखाते हैं कि रेडिएशन मेलानिन की संरचना बदल देता है। NASA ने 2022 में इसे इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर टेस्ट किया। सेंसरों ने बताया कि ये कॉस्मिक रेडिएशन रोकता है। स्पेस मिशन्स में प्राकृतिक शील्ड बन सकता है। NIH और NASA के मुताबिक, मेलानिन इलेक्ट्रॉनों को ट्रांसफर करता है जैसे क्लोरोफिल फोटॉन्स को।

चेरनोबिल फंगस की खोज: वैज्ञानिक यात्रा

1986 विस्फोट के बाद जोन में 1000 वर्ग किमी क्षेत्र सील हो गया। रेडिएशन आज भी 300 Sieverts/घंटा तक है। 1991 सर्वे में फंगस मिले। दादाचोवा के प्रयोग: फंगस को 90 ग्रे रेडिएशन दिया (इंसान के लिए घातक), ये 3 गुना तेज बढ़ा। मेलानिन आइसोलेटेड करके टेस्ट किया – ये इलेक्ट्रॉन डोनेट और एक्सेप्ट करता है। प्लास्टिक डिग्रेडेशन भी तेज। वांग्सनेस इंस्टीट्यूट के अनुसार, ये रेडियोट्रॉफिक फंगस हैं।

अन्य मेलानाइज्ड फंगस भी रेडिएशन सहते हैं लेकिन ये अनोखा है। क्रिप्टोकोकस नियोफॉर्मन्स भी मेलानिन वाला है लेकिन उतना मजबूत नहीं। चेरनोबिल में वक्रिया स्ट्रेप्टोफॉस्पोरस भी मिला। ICMR जैसी संस्थाएं रेडिएशन रेसिस्टेंट माइक्रोब्स पर रिसर्च कर रही हैं।

5 FAQs

  1. क्लैडोस्पोरियम फंगस क्या है?
    चेरनोबिल रिएक्टर में उगने वाला काला मेलानिन युक्त फंगस, रेडिएशन सहन करता है।
  2. रेडियोसिंथेसिस क्या है?
    रेडिएशन से ऊर्जा लेना, मेलानिन से जैसे फोटोसिंथेसिस। अभी पूरी तरह सिद्ध नहीं।
  3. NASA ने क्या टेस्ट किया?
    2022 में ISS पर फंगस लगाया, कॉस्मिक रेडिएशन ब्लॉक किया।
  4. क्यों ये फंगस अनोखा है?
    रेडिएशन में 3 गुना तेज बढ़ता, मेलानिन इलेक्ट्रॉन पकड़ता।
  5. इसके उपयोग क्या हैं?
    स्पेस शील्ड, न्यूक्लियर क्लीनअप, बायोटेक।
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