19 वर्षीय Vedamurti Devavrat Mahesh Rekhe ने काशी में दंडक्रम पारायण पूरा किया। शुक्ल यजुर्वेद के 2000 मंत्र, 50 दिनों में 25 लाख शब्द, पीएम मोदी की प्रशंसा। पूरी जीवनी, पारायण का महत्व।
Vedamurti Devavrat Mahesh Rekhe-पीएम मोदी की प्रशंसा, शृंगेरी मठ का सम्मान, वेद परंपरा का पुनरुत्थान
काशी की पवित्र धरती पर 200 वर्षों बाद एक चमत्कारिक घटना घटी। महाराष्ट्र के अहिल्यानगर (औरंगाबाद) के 19 वर्षीय वेदमूर्ति देवव्रत महेश रेखे ने शुक्ल यजुर्वेद माध्यंदिनी शाखा के लगभग 2000 मंत्रों का दंडक्रम पारायण मात्र 50 दिनों में पूर्ण किया। यह उपलब्धि वल्लभराम शालिग्राम सांगवेद विद्यालय में 2 अक्टूबर से 30 नवंबर 2025 तक चली। शृंगेरी मठ ने उन्हें ₹5 लाख की सोने की चूड़ी और ₹1,11,116 नकद पुरस्कार से सम्मानित किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा, “भारतीय संस्कृति प्रेमी हर व्यक्ति को गर्व है। आने वाली पीढ़ियां इसे याद रखेंगी।”
देवव्रत महेश रेखे का प्रारंभिक जीवन और पारिवारिक पृष्ठभूमि
देवव्रत का जन्म 2006 में महाराष्ट्र के अहिल्यानगर में हुआ। उनके पिता वेदब्रह्मश्री महेश चंद्रकांत रेखे शृंगेरी पीठम की वेद पोषक सभा के शुक्ल यजुर्वेद माध्यंदिन शाखा परीक्षाओं के मुख्य परीक्षक हैं। माता एक गृहिणी। बचपन से वैदिक वातावरण में पले। 5 वर्ष की आयु से पिता से वैदिक शिक्षा प्रारंभ। प्राथमिक शिक्षा स्थानीय पाठशाला में। 10 वर्ष की आयु में संपूर्ण संहिता कंठस्थ। 15 वर्ष में घनपाठ प्रारंभ।
शिक्षा यात्रा: 8 वर्षों में वैदिक प्रक्रिया पूर्ण
वैदिक शिक्षा 3 चरणों में:
- प्राकृत पाठ (3 वर्ष): संहिता, पद, क्रम।
- विकृति पाठ (5 वर्ष): जटा, माला, शिखा, रेखा, त्वजस, दंड, रथ, घन।
- दंडक्रम पारायण (50 दिन): उच्चतम स्तर।
देवव्रत ने 14 वर्ष की आयु तक घनपाठ पूर्ण किया। वेदमूर्ति उपाधि प्राप्त।
दंडक्रम पारायण क्या है? पूर्ण विवरण
दंडक्रम वैदिक पाठांतर्गत सबसे जटिल विधा। शुक्ल यजुर्वेद माध्यंदिन शाखा के 40 अध्यायों, 1975 मंत्रों (लगभग 25 लाख शब्द) का अनुलोम-विलोम क्रम में निरंतर पाठ।
मुख्य विशेषताएं:
- अविरलता: 50 दिन बिना रुके।
- स्वर शुद्धता: प्रत्येक स्वर का परमाणु स्तर सटीक।
- गति समानता: आगे-पीछे समान वेग।
- मानसिक एकाग्रता: एकाग्रचित्त अवस्था।
- आध्यात्मिक अनुशासन: ब्रह्मचर्य, सात्विक भोजन।
क्रांतिकारी संरचना:
textमंत्र 1 → मंत्र 2 → मंत्र 3 (अनुलोम)
मंत्र 3 → मंत्र 2 → मंत्र 1 (विलोम)
मंत्र 1 → मंत्र 3 → मंत्र 2 (दंडक्रम पैटर्न)
एक मंत्र 100+ बार पुनरावृत्ति।
50 दिवसीय पारायण का दैनिक कार्यक्रम
| समय | क्रिया | अवधि |
|---|---|---|
| 4:00 AM | मंगल स्नान, जप | 1 घंटा |
| 5:00 AM | पारायण प्रारंभ | 10 घंटे |
| 3:00 PM | विश्राम, भोजन | 2 घंटे |
| 5:00 PM | पारायण निरंतर | 5 घंटे |
| 10:00 PM | समापन, ध्यान | 1 घंटा |
| कुल | 15 घंटे/दिन | – |
ऐतिहासिक महत्व: 200 वर्ष बाद पुनरावृत्ति
शृंगेरी मठ के अनुसार अंतिम शुद्ध दंडक्रम 1825 में हुआ। 200 वर्षों में केवल 3 प्रयास, सभी असफल। देवव्रत तीसरे प्रयास में सफल।
सम्मान और पुरस्कार
| संस्था | पुरस्कार | मूल्य |
|---|---|---|
| शृंगेरी मठ | सोने की चूड़ी | ₹5 लाख |
| शृंगेरी मठ | नकद | ₹1,11,116 |
| जगद्गुरु शंकराचार्य | आशीर्वाद | – |
| पीएम मोदी | सार्वजनिक प्रशंसा | – |
पिता महेश चंद्रकांत रेखे: गुरु परंपरा
पिता वेदब्रह्मश्री, मुख्य परीक्षक। देवव्रत को मुखारविंद से प्रशिक्षण। “बिना ऐसे गुरु के असंभव,” विद्वानों का मत।
शुक्ल यजुर्वेद माध्यंदिन शाखा: संपूर्ण विवरण
40 अध्याय, 1975 मंत्र।
प्रमुख सूक्त: रुद्राष्टक, श्रीसूक्त, पुरुषसूक्त।
महत्व: यज्ञ विधि, कर्मकांड, दर्शन।
वर्तमान वैदिक विद्वान आंकड़े
| शाखा | विद्वान संख्या | घटाव दर |
|---|---|---|
| शुक्ल यजुर्वेद | 1500 | 5%/वर्ष |
| कृष्ण यजुर्वेद | 800 | 7%/वर्ष |
| सामवेद | 500 | 10%/वर्ष |
प्रधानमंत्री मोदी का संदेश
“काशी में दुर्लभ आध्यात्मिक उपलब्धि। विद्वानों, संतों, परिवार का योगदान सराहनीय।”
भविष्य योजनाएं
देवव्रत वैदिक गुरुकुल स्थापना, युवाओं को प्रशिक्षण। वेद प्रचार।
वैदिक संरक्षण चुनौतियां
- आधुनिकीकरण: युवा रुचि कम।
- गुरु कमी: 90% पारंपरिक गुरुकुल बंद।
- भाषा बाधा: संस्कृत ज्ञान शून्य।
प्रेरणा स्रोत
देवव्रत कहते हैं, “गुरु परंपरा ही वैदिक जीवन। युवा जिम्मेदारी लें।”
FAQs
- दंडक्रम पारायण क्या है?
शुक्ल यजुर्वेद के 2000 मंत्रों का अनुलोम-विलोम क्रम पाठ। - देवव्रत ने कितने दिनों में पूरा किया?
50 निरंतर दिन। - कितने शब्द कंठस्थ?
25 लाख+ शब्द। - अंतिम सम्मान किसने दिया?
शृंगेरी जगद्गुरु शंकराचार्य। - पीएम मोदी ने क्या कहा?
“भारतीय संस्कृति का गौरव।”
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