काला टार जैसा बदबूदार मल (Melena) ऊपरी GI ब्लीड का संकेत हो सकता है। जानिए अल्सर, गैस्ट्राइटिस, वराइसीज़ के कारण, लक्षण, डायग्नोसिस (एंडोस्कोपी) और इलाज। आयरन/फूड vs असली खतरे की पहचान।
Melena क्या है और क्यों होता है?
Melena वह स्थिति है जिसमें मल जेट–ब्लैक, चिपचिपा, टार जैसा और तेज़, बदबूदार गंध वाला होता है, क्योंकि उसमें ऊपर वाले GI ट्रैक्ट से आए खून को एसिड, एंज़ाइम और बैक्टीरिया पचाकर काला बना देते हैं। क्लासिक क्लीनिकल टेक्स्ट के मुताबिक Melena आमतौर पर इसोफेगस, पेट या ड्यूओडेनम में 50–100 ml या उससे ज़्यादा खून जमा होने पर दिखता है और यह मेजर GI हेमरेज का सबसे आम प्रेज़ेन्टिंग सिम्पटम हो सकता है।
ऊपर वाले हिस्से से खून निकलकर आँतों में जाते–जाते 14 घंटे से ज़्यादा समय तक रहता है तो हेमोग्लोबिन के टूटने से मल का रंग काला और टार जैसा हो जाता है; इसी वजह से ऊपर वाले ब्लीड में Melena और नीचे वाले ब्लीड (कोलन/रेक्टम) में ज़्यादातर चमकीला लाल खून (hematochezia) दिखता है, हालांकि कुछ ओवरलैप संभव है।
कब यह सिर्फ फूड/दवा की वजह से काला मल होता है, न कि Melena?
कई सामान्य चीज़ें मल को अस्थायी रूप से काला कर सकती हैं बिना किसी अंदरूनी ब्लीड के:
- आयरन सप्लीमेंट, आयरन–फोर्टिफाइड मल्टीविटामिन।
- बिस्मथ युक्त दवाएं (जैसे कुछ एंटासिड/डायरिया मेडिसिन)।
- ब्लैक लिकोरिस, ब्लूबेरी, ब्लैकबेरी, ब्लड–सॉसेज, बहुत डार्क कलर–फूड, एक्टिवेटेड चारकोल आदि।
इन केस में आमतौर पर:
- मल काला दिख सकता है लेकिन टार जैसा चिपचिपा नहीं होता।
- बदबू सामान्य से बहुत अलग या मेटैलिक नहीं होती।
- फूड/दवा बंद होते ही 1–2 दिन में रंग नॉर्मल होने लगता है, और साथ में कमज़ोरी, चक्कर, पेट दर्द या उलटी जैसा ब्लीड–सिग्नल नहीं होता।
फिर भी, अगर आपको काले मल की वजह साफ नहीं पता और खासकर साथ में ऊपर बताए सीरियस लक्षण हों, तो “शायद आयरन की वजह से होगा” सोचकर खुद फैसला न करें—डॉक्टर stool occult blood test से आसानी से खून की मौजूदगी चेक कर सकते हैं।
Melena के कॉमन मेडिकल कारण
Melena ज़्यादातर upper GI bleed की तरफ इशारा करती है; कॉमन कारणों में शामिल हैं:
- पेप्टिक अल्सर (पेट या ड्यूओडेनम का अल्सर), जो Helicobacter pylori, NSAIDs या एसिड–ओवरप्रोडक्शन से जुड़ा हो सकता है।
- गैस्ट्राइटिस और इसोफैजाइटिस, जिनमें लम्बी सूजन से सतह कट–फट कर ब्लीड कर सकती है।
- इसोफेजियल या गैस्ट्रिक वराइज़ (लिवर–सिरोसिस में फूली हुई नसें), जिनके फटने पर अचानक हैवी ब्लीड और Melena/हैमैटेमेसिस दोनों हो सकते हैं।
- Mallory–Weiss tear (ज़ोर–ज़ोर से उलटी के बाद इसोफेगस की लाइनिंग में फटाव)।
- गैस्ट्रिक या इसोफेजियल कैंसर और दूसरी मालिगनेंसी, जो धीरे–धीरे खून रिसकर Melena से प्रेज़ेन्ट हो सकती हैं।
खून पतला करने वाली दवाएं (जैसे वारफरिन, DOACs, कुछ एंटिप्लेटलेट) और अनकंट्रोल्ड हाइपरटेंशन–लिवर डिजीज़ जैसे फैक्टर मौजूद हों, तो मामूली अल्सर या गैस्ट्राइटिस भी सीरियस ब्लीड में बदल सकता है।
किन लक्षणों के साथ काला मल देखते ही तुरंत डॉक्टर या इमरजेंसी जाना चाहिए?
Melena के साथ ये सिम्पटम दिखें तो यह मेडिकल इमरजेंसी मानी जाती है:
- मल जेट–ब्लैक, टार जैसा चिपचिपा, तेज़ और बदबूदार हो, और बार–बार ऐसा ही दिखे।
- चक्कर, बेहोशी सी महसूस होना, खड़े होने पर ब्लैक–आउट, तेज़ धड़कन, सांस फूलना, थकान, पीली त्वचा—ये सब खून की कमी या शॉक के सिग्नल हैं।
- पेट में तेज़ या लगातार दर्द, सीने में जलन के साथ Melena होना।
- कॉफ़ी–ग्राउंड या ताज़ा खून वाली उलटी (hematemesis) के साथ काला मल—यह ऊपर से बड़े ब्लीड का संकेत है।
इन हालात में घर पर घरेलू नुस्खे या सिर्फ एंटासिड लेकर इंतज़ार करना रिस्की है; गाइडलाइंस के अनुसार ऐसे मरीजों का तुरंत हॉस्पिटल में ब्लड–प्रेशर, हेमोग्लोबिन, IV फ्लूइड्स और जल्दी एंडोस्कोपी के साथ इवैल्युएशन किया जाना चाहिए।
डॉक्टर कैसे जांच करते हैं: टेस्ट और एंडोस्कोपी की भूमिका
पहला स्टेप होता है यह कन्फर्म करना कि मल का काला रंग सचमुच खून की वजह से है या सिर्फ फूड/दवा से—इसके लिए स्टूल occult blood test या FOBT (फेकल ओकल्ट ब्लड टेस्ट) उपयोग किया जाता है। इसके बाद खून की मात्रा और मरीज की स्थति समझने के लिए CBC (हेमोग्लोबिन), BP–pulse, लिवर फ़ंक्शन और क्लॉटिंग प्रोफाइल जैसे बेसिक टेस्ट किए जाते हैं।
Upper GI bleed की सिचुएशन में गोल्ड–स्टैंडर्ड जांच upper GI endoscopy (EGD) है, जिसमें एक फ्लेक्सिबल कैमरा मुंह से डालकर इसोफेगस, पेट और ड्यूओडेनम को सीधे देखा जाता है। गाइडलाइंस सुझाव देती हैं कि hemodynamically स्टेबल मरीजों में 24 घंटे के भीतर अर्ली एंडोस्कोपी की जाए, जिससे 90% से ज़्यादा केस में ब्लीडिंग सोर्स पहचाना जाता है और 80% तक में उसी समय क्लिपिंग, कोएगुलेशन, इंजेक्शन आदि से ब्लीड रोकने की कोशिश की जा सकती है।
ट्रीटमेंट किस आधार पर तय होता है?
- पेप्टिक अल्सर/गैस्ट्राइटिस: हाई–डोज़ IV proton pump inhibitors (PPI), H. pylori eradication थेरपी (अगर पॉज़िटिव हो), NSAIDs/अल्कोहल बंद करना और एंडोस्कोपिक क्लिप/इंजेक्शन/थर्मल ट्रीटमेंट।
- वेराइसीज़: एंडोस्कोपिक band ligation, vasoactive ड्रग्स (जैसे टेरलिप्रेसिन आदि) और लिवर डिजीज़ मैनेजमेंट; कभी–कभी TIPS जैसी एडवांस्ड प्रोसीजर।
- कैंसर/मालिग्नेंसी: बायोप्सी से डायग्नोसिस और फिर ऑन्कोलॉजी टीम के साथ सर्जरी, chemo–radio या palliation की प्लानिंग।
- सीवियर ब्लीड या एनीमिया: हेमोग्लोबिन 7 g/dL से नीचे हो या क्लिनिकल साइन हों तो RBC ट्रांसफ्यूज़न और इंटेंसिव केयर की ज़रूरत पड़ सकती है।
इसीलिए Melena को सिर्फ “कलर चेंज” मानकर घर पर इलाज करना खतरनाक है; असली क्यूरेटिव ट्रीटमेंट उस अंदरूनी कारण को पकड़ने पर निर्भर करता है जिसका पता सिर्फ क्लिनिकल इवैल्युएशन और एंडोस्कोपी से ही चल सकता है।
FAQs
1. सिर्फ एक बार काला मल आया हो तो भी डॉक्टर को दिखाना ज़रूरी है?
अगर आपने हाल में आयरन, बिस्मथ–कंटेनिंग दवा, एक्टिवेटेड चारकोल या बहुत डार्क फूड (ब्लैक लिकोरिस, ब्लूबेरी, ब्लड–सॉसेज आदि) लिया हो और सिर्फ एक–दो बार मल थोड़ा काला दिखा हो, बिना किसी और लक्षण के, तो आमतौर पर यह Melena नहीं बल्कि harmless कलर–चेंज हो सकता है। लेकिन अगर मल जेट–ब्लैक, टार जैसा और बदबूदार हो, या बार–बार ऐसा हो और साथ में चक्कर, थकान, पेट दर्द या उलटी जैसे लक्षण हों, तो एक बार भी ऐसा दिखने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
2. Melena हमेशा ऊपर के GI ब्लीड से ही होता है?
अधिकतर केस में Melena upper GI ट्रैक्ट (इसोफेगस, पेट, ड्यूओडेनम) से ब्लीड का संकेत देता है, लेकिन कभी–कभी small bowel या राइट–कोलन से slow ब्लीड भी Melena जैसा दिख सकता है, खासकर जब ट्रांजिट टाइम ज्यादा हो। इसलिए सोर्स कन्फर्म करने के लिए एंडोस्कोपी/कोलोनोस्कोपी और ज़रूरत हो तो इमेजिंग की जाती है, सिर्फ रंग देखकर सोर्स तय नहीं किया जाता।
3. क्या Melena घर के नुस्खों या OTC एंटासिड से ठीक हो सकती है?
Melena एक सिम्पटम है, खुद बीमारी नहीं; इसका मतलब है कि कहीं न कहीं से खून निकल रहा है और वो खून पचकर मल में आ रहा है। OTC एंटासिड थोड़ा एसिड कम करके अस्थायी राहत दे सकते हैं, लेकिन ब्लीडिंग अल्सर, वेराइसीज़ या कैंसर जैसी कंडीशन को न तो रोकते हैं, न ठीक करते हैं—इनके लिए प्रोफेशनल डायग्नोसिस और टार्गेटेड ट्रीटमेंट ज़रूरी है।
4. अगर मैं पहले से आयरन सप्लीमेंट ले रहा/रही हूं, तो कैसे पहचानूं कि ब्लीड हो रहा है या सिर्फ आयरन से रंग बदला है?
आयरन सप्लीमेंट से मल अक्सर डार्क ग्रे–ब्लैक दिख सकता है, लेकिन उसकी कंसिस्टेंसी आमतौर पर नॉर्मल रहती है और कोई असामान्य बदबू, चक्कर या थकान–साइन ज़रूर नहीं होते। अगर आयरन लेते हुए भी आप टार–जैसा मल, चक्कर, सांस फूलना, दिल तेज़ धड़कना या पेट दर्द महसूस करें, तो डॉक्टर stool occult blood test वगैरह से कन्फर्म कर सकते हैं कि ब्लीड है या नहीं; ऐसे में “सिर्फ आयरन है” मान लेना सेफ नहीं।
5. Melena एक बार हो जाए तो क्या आगे जीवनभर ब्लीडिंग का खतरा बना रहता है?
जो लोग एक बार Upper GI bleed के कारण Melena के साथ हॉस्पिटल एडमिट हुए हों, उनमें भविष्य में दोबारा ब्लीड का रिस्क उस underlying कारण पर निर्भर करता है—जैसे अगर H. pylori–अल्सर सही तरह eradicate किया जाए, NSAIDs बंद किए जाएं और PPI/लाइफ़स्टाइल फॉलो हो, तो रिस्क काफी घट जाता है। लेकिन सिरोसिस–वेराइसीज़, क्रॉनिक गैस्ट्रिक कैंसर या गंभीर कोएग्युलेशन–डिसऑर्डर वाले मरीजों में री–ब्लीड का रिस्क ऊँचा रह सकता है, इसलिए ऐसे केस में रेगुलर फॉलो–अप, दवाएं और कभी–कभी प्रॉफिलैक्टिक एंडोस्कोपिक या सर्जिकल इंटरवेंशन की ज़रूरत रहती है।
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